जब इंदिरा गांधी ने अपने अपमान का अमेरिका से दो-दो बार लिया बदला, खास अंदाज में दिया जवाब
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपने सख्त फैसलों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को हर हाल में हराने के कारण ‘आयरन लेडी’ भी कहा जाता था. इसकी एक झलक तब भी देखने को मिली थी, जब अमेरिका ने उनका अपमान किया और उन्होंने उसका एक नहीं दो-दो बार बदला लिया. दरअसल, पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए भारत के युद्ध से पहले तत्कालीन प्रधामंत्री इंदिरा गांधी अमेरिका के राष्ट्रपति रिसर्च निक्सन से मिलने गई थीं. वह चाहती थीं कि पूर्वी पाकिस्तानियों पर सेना के अत्याचार को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया जाए. लेकिन, तब पाकिस्तान के पक्ष में खड़े रहने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति ने इंदिरा गांधी को मिलने के लिए 45 मिनट इंतजार कराकर अपमान किया.
रिचर्ड निक्सन ने पहले इंतजार कराया, फिर मुलाकात के दौरान इंदिरा गांधी के साथ बदतमीजी से पेश आए. इंदिरा गांधी अपना ये अपमान भूलीं नहीं. उन्होंने बदला लेने तक इस अपमान को याद रखा. दरअसल, उस समय पाकिस्तानी सेना के अत्याचार के कारण पूर्वी पाकिस्तान के लोग सीमा पार कर भारत में शरण ले रहे थे. इससे भारत पर बेवजह बोझ बढ़ रहा था. इंदिरा गांधी ने पाकिस्तानी सेना की करतूत दुनिया के सामने लाने की हरसंभव कोशिश की. उस समय रिचर्ड निक्सन ने इंदिरा गांधी की हर बात को नजरअंदाज किया. उस समय निक्सन ने अमरीका के विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर से कहा था कि इंदिरा गांधी भारत में घुसने वाले बांग्लादेशी शरणार्थियों को गोली क्यों नहीं मरवा देती हैं.
निक्सन इंदिरा गांधी के लिए अपशब्द करते थे इस्तेमाल
अमेरिका 1971 में ‘या तो आप हमारे साथ हैं या हमारे खिलाफ हैं’ की नीति पर काम करता था. इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद और सोवियत संघ के साथ बढ़ती भारत की नजदीकियों से अमेरिका काफी नाराज था. निक्सन भी इंदिरा गांधी के मुकाबले पाकिस्तान के राष्ट्रपति अगा मुहम्मद याह्या खान को ज्यादा पसंद करते थे. इसलिए 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका ने पाकिस्तान का साथ दिया था. बावजूद इसके पाकिस्तानी सेना घुटनों पर आ गई. युद्ध खत्म होने और बांग्लादेश बनने के कुछ समय बाद निक्सन के कार्यकाल के समय के टेप सार्वजनिक हुए तो पता चला कि वह इंदिरा गांधी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते थे.
निक्सन की चेतावनी पर दी बेहद ठंडी प्रतिक्रिया
भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले नवंबर 1971 में जब इंदिरा गांधी निक्सन से मिलने गईं तो उन्हें कड़ी चेतावनी दी जाने वाली थी. रिचर्ड निक्सन ने चेतावनी दी कि अगर भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई की हिम्मत की तो नतीजे अच्छे नहीं होंगे. भारत को पछताना होगा. इंदिरा ने निक्सन की चेतावनी पर ऐसा हावभाव बनाए रखा, जैसे उन पर इसका कोई असर ही नहीं हुआ हो. इंदिरा गांधी के बारे में सभी कहते थे कि वह अपने सम्मान से कोई समझौता नहीं करती थीं. अमेरिका दौरे से पहले सितंबर में वह सोवियत संघ भी गई थीं. भारत को सैन्य आपूर्ति के साथ मास्को के राजनीतिक समर्थन की सख्त जरूरत थी, जिसे उन्होंने अमेरिका जाने से पहले ही हासिल कर लिया था.