28 या 29 कब है सकट चौथ व्रत? नोट कर लें सही डेट, शुभ मुहूर्त और चांद निकलने का समय
सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य का भी विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश संतान के सारे संकटों को दूर करते हैं। हर वर्ष माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान निरोगी दीर्घायु और सुख समृद्धि से परिपूर्ण होती है। सकट चौथ पर श्री गणपति की उपासना से सारे संकट दूर हो जाते हैं इस पर्व पर माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और परिवार की सुख समृद्धि की कामना के लिए उपवास रखती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं।
मुहूर्त-
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 29, 2024 को 06:10 ए एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – जनवरी 30, 2024 को 08:54 ए एम बजे
चन्द्रोदय समय – 09:10 पी एम (देश के अलग-अलग हिस्सों में चंद्रोदय का समय अलग होता है)
पूजा-विधि:
1. सुबह स्नान ध्यान करके भगवान गणेश की पूजा करें।
2. इसके बाद सूर्यास्त के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. गणेश जी की मूर्ति के पास एक कलश में जल भर कर रखें।
4. धूप-दीप, नैवेद्य, तिल, लड्डू, शकरकंद, अमरूद, गुड़ और घी अर्पित करें।
5. तिलकूट का बकरा भी कहीं-कहीं बनाया जाता है।
6. पूजन के बाद तिल से बने बकरे की गर्दन घर का कोई सदस्य काटता है।
सकट चौथ की पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, पीला जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, गंगाजल, लौंग, इलायची, सिंदूर, अक्षत, मौली, इत्र, रोली, मेहंदी, 21 गांठ दूर्वा, लाल पुष्प, भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या मूर्ति, गुलाल, गाय का घी, दीप, धूप, तिल के लड्डू, फल, सकट चौथ व्रत कथा की पुस्तक, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, गंगाजल, कलश, चीनी आदि।
सकट चौथ व्रत में पान के प्रयोग का महत्व-
शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीगणेश की पूजा में पान का प्रयोग सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी को भी पान अति प्रिय है। कहते हैं कि सकट चौथ पूजन में भगवान गणेश को पान अर्पित करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ॐ गणपतए नम: का करें जाप- सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान गणेश की पुष्प, दूर्वा, लड्डू आदि से विधि-विधान पूर्वक पूजा करनी चाहिए। विघ्नों को हरने वाले भगवान गणेश के मंत्र ॐ गणपतए नम: का जाप करना चाहिए। संतान की लंबी आयु के लिए सकट चौथ व्रत की कथा सुननी चाहिए। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करना चाहिए।