अगले 10 वर्षों में कहां जाएंगे प्रॉपर्टी के रेट? इस अहम रिपोर्ट से लगाएं अंदाजा, इन शहरों में बढ़ेगी डिमांड
अगर आप रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं तो पहले इस सेक्टर पर आई एक अहम रिपोर्ट पर गौर कर लें. क्रेडाई-लाइसिस फोरास ने एक रिपोर्ट में कहा कि जनसंख्या में वृद्धि के कारण 2036 तक अतिरिक्त 6.4 करोड़ मकानों की जरूरत होगी. इस संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ जनसंख्या वृद्धि के कारण 2036 तक भारत में अतिरिक्त 6.4 करोड़ मकानों की आवश्यकता होगी.’’ रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में भारत में 2.9 करोड़ मकानों की कमी थी.
क्रेडाई ने वाराणसी में आयोजित न्यू इंडिया समिट में डेटा एनालिटिक कंपनी लाइसिस फोरास के साथ मिलकर एक रिपोर्ट पेश की. क्रेडाई-लाइसिस फोरास ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘ इसलिए भारत में 2036 तक कुल अनुमानित आवास मांग 9.3 करोड़ होगी.’’ रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि रियल एस्टेट वृद्धि की अगली तेज मांग मझोले और छोटे शहर (दूसरी और तीसरी श्रेणी) क्षेत्रों में होने की उम्मीद है.
रियल एस्टेट सेक्टर में डिमांड बढ़ीक्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, ‘‘ तेजी से बढ़ती भारतीय आबादी और अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप मकानों की मांग तथा आपूर्ति में तेजी आई है. साथ ही मकान खरीदारों की क्रय क्षमता में भी सुधार हुआ है और वे बड़े मकान खरीदने को इच्छुक हैं. ’’ क्रेडाई के चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा, ‘‘2023 सभी रियल एस्टेट हितधारकों के लिए एक उल्लेखनीय वर्ष रहा. हमें उम्मीद है कि यह मांग 2024 और उसके बाद भी जारी रहेगी.’’ उन्होंने कहा कि मझोले और छोटे शहरों में आवास निर्माण में तेजी आएगी.
लाइसिस फोरास के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक पंकज कपूर ने कहा, ‘‘ भारतीय रियल एस्टेट वर्तमान में एक अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ पर है. इसमें निरंतर मांग और आपूर्ति सकल घरेलू उत्पाद में बहुत योगदान दे रही है और 5,000 अरब डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक निश्चित मार्ग प्रशस्त कर रही है.’’
मौजूदा वित्त वर्ष में घटा निवेशवहीं, एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में रियल एस्टेट में निजी इक्विटी निवेश सालाना आधार पर 26 प्रतिशत घटकर 2.65 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विदेशी तथा घरेलू निवेशकों का सतर्क रहना इसकी मुख्य वजह रही. जबकि वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में यह आंकड़ा 3.6 अरब डॉलर था
एनारॉक कैपिटल के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ शोभित अग्रवाल ने कहा कि कुल पीई प्रवाह में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी सालाना आधार पर 79 प्रतिशत से बढ़कर 86 प्रतिशत हो गई. उन्होंने कहा, ‘‘ वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में भारतीय रियल एस्टेट में कुल पूंजी प्रवाह में घरेलू निवेश हिस्सेदारी घटकर 14 प्रतिशत रह गई.’’
इस वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में घरेलू निवेशकों का निवेश घटकर 36 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 71.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर था. एनारॉक के अनुसार, विदेशी और घरेलू निवेशकों की कम गतिविधि की खबर के कारण पीई निवेश में गिरावट आई है. वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और उच्च ब्याज दर के कारण इस अवधि में अधिकतर समय विदेशी निवेशकों की गतिविधियां धीमी रहीं.