आडवाणी के लिए किसने बनवाया था वो रथ, जिससे निकले थे अयोध्या? रात डेढ़ बजे क्या हुआ था
अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार है. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दरबार आम श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे नया राम मंदिर उसी जगह बना है जहां कभी विवादित बाबरी ढांचा हुआ करता था. दशकों लड़ाई चली और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में फैसला दिया. राम जन्म भूमि की लड़ाई में 1990 अहम पड़ाव था और इस पड़ाव के केंद्र में थे भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ।
चलते हैं थोड़ा पीछे
अयोध्या में राम जन्मभूमि का मामला 1987 के आसपास गरमाने लगा था. हिंदू पक्ष लगातार विवादित स्थल का ताला खोलने और पूजा की मांग कर रहा था. विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा जैसे संगठन आंदोलनरत थे. केंद्र की कांग्रेस सरकार से बात भी हुई पर बात बन नहीं पाई.
ताला खुला और शिलान्यास हुआ
अयोध्या के लिए 1987 टर्निंग पॉइंट की तरह आया. फैजाबाद (अब अयोध्या) की एक स्थानीय अदालत ने विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दे दिया. कांग्रेस ने इसको भुनाने का प्रयास किया. 1989 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की राजीव गांधी सरकार और उत्तर प्रदेश की एनडी तिवारी सरकार ने मंदिर का शिलान्यास भी कर दिया.
बीजेपी, संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने कांग्रेस पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया. उस वक्त लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के अध्यक्ष हुआ करते थे. उन्होंने 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवा का ऐलान किया और राम भक्तों से अयोध्या पहुंचने का आह्वान किया. आडवाणी ने खुद 12 सितंबर 1990 को ऐलान किया कि वह रथयात्रा के जरिए अयोध्या पहुंचेंगे.
किसने तैयार करवाया रथ?
आडवाणी का रथ तैयार करवाने की जिम्मेदारी प्रमोद महाजन को मिली. उन दिनों आडवाणी का रथ तैयार करने वाले मुंबई निवासी प्रकाश नलावडे उस किस्से को याद कर आज भी सिहर उठते हैं. चेंबूर में रहने वाले नलावडे का तब साज-सज्जा का व्यवसाय था. वह कहते हैं कि यात्रा से कुछ दिन पहले भाजपा नेता प्रमोद महाजन ने मुझसे संपर्क किया.
आर्ट डायरेक्टर शांति देव (Shanti Dev) ने रथ डिजाइन किया और मुझे इसे बनाने को कहा. हमने रथ बनाने के लिए एल्यूमीनियम और अन्य कठोर धातुओं का उपयोग किया ताकि यह गंभीर से गंभीर परिस्थितियों का सामना कर सके. नलावडे कहते हैं कि आडवाणी के रथ में एक वातानुकूलित केबिन और बिजली बैकअप जैसी सुविधाएं थीं.
10 दिन में मिनी ट्रक बना ‘रथ’
लालकृष्ण आडवाणी का रथ सिर्फ 10 दिन में बनकर तैयार हो गया. इस ‘रथ’ को लगभग 10 हजार किलोमीटर की यात्रा करनी थी. 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से आडवाणी की रथयात्रा शुरू हुई. इस यात्रा को देश के तमाम हिस्सों से होते हुए अयोध्या पहुंचना था और फिर 30 अक्टूबर को कारसेवा में शामिल होना था. प्रमोद महाजन, नरेंद्र मोदी जैसे नेता रथयात्रा की पूरी कमान संभाल रहे थे.
30 अक्टूबर की वो गोलीबारी
आडवाणी की गिरफ्तारी से कार सेवक और उग्र हो गए. इसके बाद जो हुआ वह सबको मालूम है. 30 अक्टूबर को आडवाणी तो अयोध्या नहीं पहुंच पाए लेकिन हजारों की तादाद में कार सेवक पहुंचे. जब वे विवादित बाबरी ढांचे की तरफ जाने लगे तो यूपी की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने गोली चलाने का आदेश दे दिया. इस गोलीबारी में 5 कार सेवकों की जान गई.
6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ था?
1990 के गोलीकांड ने आग में घी डालने का काम किया और राम मंदिर आंदोलन और मजबूती से आगे बढ़ने लगा. इसके बाद आया साल 1992. तब तक केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों जगह सरकार बदल चुकी थी. केंद्र में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी तो उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह (Kalyan Singh) मुख्यमंत्री थे. 6 दिसंबर 1992 को फिर हजारों की तादाद में कार सेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए. इस बार उन्होंने विवादित ढांचे को ढहा दिया.