रूस और ईरान के इतने क़रीब आने की वजह क्या है?
फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से ही रूस और ईरान के बीच सैन्य सहयोग मज़बूत होता जा रहा है.अमेरिका ने ईरान को ‘रूस का शीर्ष सैन्य सहयोगी’ कहा. ईरान मॉस्को को तोपखाने और अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) सहित कई तरह के हथियार मुहैया कराता है.
रूस के रक्षा मंत्री ने कहा कि ईरान के साथ सैन्य संबंध ‘सकारात्मक’ दिशा में विकसित हो रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस सहयोग की विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया.ईरान ने रूस को ड्रोन भेजने की बात स्वीकार की है लेकिन ये भी कहा है कि ‘ये यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल नहीं किए जाएंगे’.
हालांकि, ईरान रूस के साथ सैन्य सहयोग को छिपा नहीं रहा है, बल्कि वह रूस के विमानों से अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की योजना बना रहा है.
रूस-ईरान के रक्षा सहयोग पर क्या-क्या पता है?
इराक़ 1980 से 1988 के बीच जब ईरान से जंग लड़ रहा था, तब सोवियत संघ उसे हथियार देने वाले सबसे प्रमुख देशों में था. लेकिन इस युद्ध के अंत ने रूस और ईरान के बीच सहयोग के दरवाज़े ज़रूर खोल दिए.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, वर्ष 1989 में सोवियत संघ और ईरान के बीच एक बड़ा व्यापार सौदा हुआ. इसके तहत ईरान को करीब 1.9 अरब डॉलर के उपकरण मिलने थे और 1990 से 1999 के बीच ईरान को युद्धक विमान, टैंक, पनडुब्बियों की आपूर्ति भी हुई.
रूस और ईरान के बीच ये रक्षा सहयोग जारी रहा. हालांकि, रूस हमेशा इस बात को लेकर सतर्क भी रहा कि कहीं उसपर ईरान के ख़िलाफ़ लगे प्रतिबंधों का खुला उल्लंघन करने का आरोप न लगे. इसकी वजह से दोनों देशों की साझेदारी सीमित रही.
लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसकी अपनी अर्थव्यवस्था और रक्षा क्षेत्र में प्रतिबंधों का शिकंजा कसने के बाद, रूस ने हर उस मौके को भुनाने की कोशिश की जिससे वह अपना युद्ध जारी रखने के लिए हथियार पा सके.
अक्टूबर में जब बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास और उत्पादन और शोध को लेकर प्रतिबंधों की मियाद खत्म हुई, तो रूस का उसके साथ रक्षा सहयोग एक बार फिर ज़ोर पकड़ने लगा.
अगस्त में हुए मॉस्को फ़ोरम में ईरान ने अपने उन हथियारों को दिखाया, जो इससे पहले कभी किसी देश को नहीं बेचे गए और जिन्हें ख़ासतौर पर ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनीरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) के लिए डिज़ाइन किया गया था.
इन हथियारों की सूची में ज़ोहीर और अबाबिल/अबाबिल ओपी बैलिस्टिक मिसाइलें, शहीद-129 और शहीद-133 ड्रोन के साथ-साथ लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाला अराश ड्रोन भी शामिल थे.