प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति की आंखों पर क्यों बांधते हैं पट्टी? जानें क्या है रहस्य

प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति की आंखों पर क्यों बांधते हैं पट्टी? जानें क्या है रहस्य

रामनगरी अयोध्या में प्रभु राम की जन्मभूमि पर नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी. प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुनी गई मूर्ति चर्चा का विषय बनी हुई है. कि जब तक प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो जाएगी. तब तक रामलला की आंखों पर पट्टी बंधी रहेगी और अनावरण के मौके पर उनकी आंखें नहीं देख सकेंगे. प्राण प्रतिष्ठा हो जाने का बाद ही उनकी पट्टी खोली जाएगी. इस मौके पर आपको जानकारी दे रहे हैं कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति की आंखों पर पट्टी क्यों बांध दी जाती है. इसके पीछे क्या रहस्य है. जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख…

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के अनुसार, प्राण प्रतिष्ठा से पहले 17 जनवरी को मूर्ति का अनावरण किया जाएगा. इसी दिन रामभक्त प्रभु राम की मूर्ति देख सकेंगे. इसके लिए अयोध्या में नगर यात्रा भी निकाली जाएगी. इसी दिन मूर्ति की तस्वीर और वीडियो आम जनता के लिए जारी किया जाएगा. नगर यात्रा पर जब प्रभु राम की मूर्ति निकलेगी, तब उनकी आंखें भक्तों को नजर नहीं आएंगी क्योंकि प्रभु की मूर्ति की आंखों को कपड़े की पट्टी से ढक दिया गया है.

मूर्ति की आंखों पर क्यों बंधी रहेगी पट्टी
ज्योतिषियों के अनुसार, जब भक्त भगवान के दर्शन करता है तो उसकी आंखों में ही देखता है, क्योंकि आंखें ही ऊर्जा का मुख्य केन्द्र होती हैं. वहीं से भावों का आदान-प्रदान होता है. यहां तक कि बांकें बिहारी के लिए भी कहा गया है कि भक्त उनकी आंखों में ज्यादा देर तक न देखें इसलिए बार-बार गर्भगृह का पर्दा बंद कर दिया जाता है. क्योंकि एक बार भक्त ने 30 सेकंड तक प्रभु की आंखों में इतने प्रेम से देखा कि उसके वशीभूत होकर श्रीकृष्ण भक्त के साथ ही चले गए थे.

यानी कि भगवान की मूर्ति में आंखें ही सबसे अहम होती हैं. इसलिए प्राण-प्रतिष्ठा के बाद ही आंखें खोली जाती हैं. भगवान की मूर्ति की आंखों में देखने से एक ऊर्जा, सकारात्मकता, आत्मानंद की अनुभूति होती है. इसलिए नगर यात्रा के दौरान मूर्ति की आंखें ढक दी जाती है. यहां कारण है कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला की आखों पर पट्टी बांधी गई है.

जानें क्यों खास है रामलला की मूर्ति?
बता दें कि रामलला की मूर्ति तो खास है ही. बताया जा रहा है कि नेपाल की नारायणी नदी से शालिग्राम शिला को लाकर और उसे तराशकर यह मूर्ति तैयार की गई है. शालिग्राम भगवान विष्णु का विग्रह रूप है और प्रभु राम भगवान विष्णु के ही अवतार हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो साक्षात नारायण के विग्रह रूप को तराशकर उनके ही अवतार प्रभु राम के बालक रूप की मूर्ति बनाई गई है जो कि परमपवित्र है.

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