क्यों PAK ने किया उरी हमला, क्या वापस आएगा PoK … अजय बिसारिया ने किताब ‘एंगर मैनेजमेंट’ में किया खुलासा

पूर्व हाई कमिश्नर अजय बिसारिया ने ‘एंगर मैनेजमेंट’ नाम से एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने भारत-पाक रिश्तों को विस्तार से बताया है और इसी के साथ केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से देश की विदेश नीति में हुए बदलावों की भी चर्चा की है. बिसारिया ने इस पुस्तक में उरी, बालाकोट हमले के अलावा पाकिस्तान ने पूर्व राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष रहे परवेज मुशर्रफ की भारत यात्रा के दौरान अटल सरकार से उनकी बातचीत को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं.

अजय बिसारिया किताब में उरी हमले के बारे में गहराई से इसके अंदर बयान करते हैं. उन्होंने कहा कि जब यह हुआ और उसके बाद नवाज शरीफ तक बात पहुंचती है तो वह आर्मी ऑफिसर अधिकारियों से इस बारे में बातचीत करते हैं. नवाज शरीफ को जो बात पता चलती है, उससे वह काफी नाराज होते हैं. इसी के बाद नवाज शरीफ के खिलाफ बहुत कुछ होता है और उनको प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ता है, उनके खिलाफ केस भी चलाए गए और इसी कारण उनको देश छोड़ना पड़ा.

क्यों हुआ उरी हमला

उरी हमले के पीछे को लेकर उन्होंने अपनी किताब में बताया है कि यह सब उस समय शुरू होता है, जब नवाज शरीफ की पोती की शादी में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचते हैं तो पाकिस्तान में बड़े-बड़े अधिकारी हैरान हो जाते हैं. उससे पहले भी जब पीएम मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे तो उन्होंने नवाज शरीफ को बुलाया था, जिसके बाद पाक में उनके खिलाफ एक गुस्सा पनपना शुरू हो गया था. पाकिस्तान में सरकार के अलावा कुछ ऐसे संगठन भी है, जो वहां की फॉरेन पॉलिसी बनाते हैं खासतौर पर इंडिया और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर.

इन लोगों को नवाज शरीफ और पीएम मोदी के खिलाफ बन रहे संबंध रास नहीं आ रहे थे और यहां पर एक गुस्सा जमा होना शुरू हो गया था. शरीफ को पसंद नहीं किया जा रहा था कि पाकिस्तानी हुकूमत या वजीर ए आजम की तरफ से भारत के साथ ताल्लुकात कायम किया जाए और जहां से यहां का वजीर ए आजम वहां पर जाए या वहां का वजीर ए आजम धडल्ले से यहां पर आ जाए. उसके बाद फिर हमने देखा कि क्या-क्या हुआ, जिसमें उन्होंने जिक्र किया है उनकी तरफ से उरी हमले को अंजाम दिया गया. बिसारिया अपनी किताब में यह भी बताते हैं कि इसके बाद नवाज़ शरीफ़ को पाकिस्तान से निकाल दिया जाता है. हालांकि यह बात सिर्फ अजय बिसारिया ने अपनी किताब में ही नहीं लिखी बल्कि पाकिस्तान में कहा भी जाता है कि यहां पर कोई भी वजीर ए आजम भारत से संबंध बनाने को लेकर कोई हैसीयत नहीं रखता.

कत्ल की रात

अजय बिसारिया ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ”मैंने किताब में वह लिखा है, जिसकी मुझे जानकारी थी. बालाकोट के बाद क्या कूटनीति हुई मैंने इसमें लिखी है. मुझे जानकारी नहीं की एक्जेक्टली कितनी मिसाइल थी, मगर यह बात पाकिस्तान में हुई. पाकिस्तानी के राजदूत सोहेल मोहम्मद ने इस्लामाबाद से फोन किया कि इमरान खान प्रधानमंत्री मोदी से बात करना चाहते थे. आधी रात का समय था तो मैंने चेक किया, मैंने वापस उनको कहा कि इस समय तो प्रधानमंत्री नहीं मिल सकते, आपको जो बात करनी है आप मुझे कहें. मैं आगे उसको जरूर पहुंचा दूंगा. यह किस्सा हमें बताता है कि उसे समय मामला सीरियस था, कुछ होने का डर था और पाकिस्तान की समझ में डर आ गया था. जो हमें चाहिए था वह विंग कमांडर वर्धमान अभिनंदन वापस आए और वह हासिल हुआ. मैं कहता हूं कि यह नीति सक्सेसफुल रही और उसे उसके द्वारा यह हुआ मुमकिन कि हमारा पायलट वापस आ गया.”

सर्जिकल स्ट्राइक से क्या बदला

उरी, पुलवामा और बालाकोट के बाद जो एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक हुई, उसका एक पॉजिटिव इंपैक्ट हुआ कि पाकिस्तान को समझ में आ गया कि भारत अब टेररिज्म के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा. इसका पहलू यह है कि पिछले 5 साल में कोई बहुत बड़ी घटना नहीं हुई. हालांकि छोटी घटनाएं हो रही है, यह समाप्त नहीं हुआ है, मगर आतंकवाद में कमी हुई है और यह मैं कहूंगा कि यह इस नीति की एक सफलता है.

2014 के बाद क्या आया बदलाव

बिसारिया ने कहा, ”अब क्या फर्क आ रहा है कि भारत के डिप्लोमेट्स में और कॉन्फिडेंस बढ़ा है, क्योंकि भारत ने तरक्की की है, जो नीति समझाई जाती है या जो आदेश होते हैं, वह क्लियर है तो दोनों चीज कैपेसिटी और विल बनती है. जो डिप्लोमेट्स हैं, उनको यह आश्वासन है कि देश में इतनी ताकत है, जिसको वह बाहर रिप्रेजेंट कर सकते हैं और कॉन्फिडेंस से बात कर सकते हैं.”

भारत में जो 1980 और फिर 1990 में दशहतगर्दी हुई, उसे वक्त उसका उसे तरीके से जवाब नहीं दिया गया जैसा कि अभी हालिया जवाब दिया गया है. उनका कहना यह है कि अगर 80 और 90 के दशक की पॉलिसी भी इंडिया में ऐसी रहती तो दहशतगर्दी जोकि पंजाब में हुई या कश्मीर में हुई तो उसको भी रोका जा सकता था, लेकिन उसको नहीं रोका गया, उसको सही तरीके से उसको टैकल नहीं किया गया. पीएम मोदी के दौर में दशहतगर्दी के खिलाफ जो पॉलिसीज है, वह ऐसी स्ट्रांग बनाई गई कि अब पाकिस्तान को यह सोचना पड़ा कि दशहतगर्दी की कोई ऐसी सिचुएशन ज्यादा देर तक नहीं चलेगी और उनको चेंज करना पड़ेगा.

क्या वापस आएगा PoK

यह मुद्दा है और रहेगा. 1994 में जैसे भारत की सांसद ने एक रेजोल्यूशन पास किया और यह भारत की पोजीशन बनी बनी हुई है. कई दशकों से की पीओके एक दिन वापस आएगा और ये हमारी पोजीशन रहेगी. मगर टाइमिंग और यह समय, कब यह होगा, एक अलग सवाल है, इसके लिए हमको बहुत जल्दबाजी में फैसला नहीं करना.

मुशर्रफ की आगरा यात्रा

मुशर्रफ ने आगरा समिट फेल होने के लिए अपनी पुस्तक में आडवाणी को दोषी बताया था, जोकि सच नहीं था क्योंकि इसके लिए वह खुद जिम्मेदार थे. मुशर्रफ दस्तावेज़ में हर विकास को कश्मीर आंदोलन के साथ जोड़ना चाहते थे, वह चाहते थे कि मसौदे में आतंकवाद के संदर्भ में बहुत कुछ नहीं बता जाए. इसलिए शिखर सम्मेलन विफल हो गया, क्योंकि पाकिस्तान की स्थिति और भारत की स्थिति के बीच बहुत अधिक अंतर था.

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