राजनाथ सिंह आज क्यों गए सियाचिन? सैन्य तैयारियों की समीक्षा भी की

ई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन का सोमवार को दौरा किया और क्षेत्र में भारत की समग्र सैन्य तैयारियों की समीक्षा की. सिंह ने सियाचिन का दौरा ऐसे समय में किया जब रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में भारतीय सेना की मौजूदगी को एक सप्ताह पहले 40 वर्ष हो गए.

 

राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि देश में किसी भी पर्व की शुरुआत सैनिकों के साथ से ही शुरू की जाए और वो भी एक दिन पहले. राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख से यह भी आग्रह किया कि वो वायुसेना और नौसेना प्रमुख से बात कर के ये परंपरा को शुरू करें की त्योहारों से ठीक एक दिन पहले सैनिकों के साथ मनाकर करें.

अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री ने सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के साथ क्षेत्र में समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. सिंह ने सियाचिन में तैनात सैनिकों से भी बातचीत की. काराकोरम पर्वतीय शृंखला में लगभग 20,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां सैनिकों को शीतदंश और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है.

भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के तहत अप्रैल, 1984 में सियाचिन ग्लेशियर पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया था. भारतीय सेना ने पिछले कुछ वर्षों में सियाचिन में अपनी मौजूदगी मजबूत की है. पिछले साल जनवरी में सेना के ‘कोर ऑफ इंजीनियर्स’ की कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन में एक अग्रिम चौकी पर तैनात किया गया. इस प्रमुख युद्धक्षेत्र में किसी महिला सैन्य अधिकारी की यह पहली अभियानगत तैनाती है.

सेना के एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था, ”सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना का नियंत्रण न केवल अद्वितीय वीरता और दृढ़ संकल्प की कहानी है, बल्कि प्रौद्योगिकी संबंधी प्रगति एवं साजो-सामान संबंधी सुधारों की एक अविश्वसनीय यात्रा भी है, जिसने इसे सबसे दुर्जेय इलाकों में शामिल इलाके से अदम्य उत्साह और नवोन्मेष के प्रतीक में बदल दिया.” (भाषा इनपुट के साथ)

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