राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होने से क्यों बच रहे हैं अखिलेश?
उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सीट शेयरिंग को लेकर INDIA गठबंधन के घटक दल कांग्रेस और सपा के बीच बुधवार को हुई बैठक आगे तो बढ़ी, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी और अब फाइनल फैसला तो राहुल गांधी-अखिलेश यादव के दरबार में होगा. राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं और 14 फरवरी को उत्तर प्रदेश में दाखिल होंगे. सपा-कांग्रेस भले ही INDIA गठबंधन में साथ हो, लेकिन ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में यूपी के ‘दो लड़कों’ की जोड़ी साथ नजर नहीं आएगी.
राहुल गांधी के अगुवाई में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ 14 फरवरी को चंदौली जिले से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी. कांग्रेस की यह यात्रा यूपी में 11 दिनों तक रहेगी और 18 से 20 जिलों से होकर गुजरेगी. पीएम मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से, सोनिया गांधी के संसदीय सीट रायबरेली और अपनी पुरानी सीट अमेठी से होते हुए लखनऊ, बरेली और आगरा के जरिए राजस्थान में दाखिल होगी. इस तरह राहुल गांधी पूर्वांचल से लेकर अवध, रुहेलखंड और बृज क्षेत्र के सियासी समीकरण को साधते हुए नजर आएंगे.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को संकेत दिए हैं कि वो राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शिरकत नहीं होंगे. अखिलेश ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि बीजेपी और कांग्रेस अपने कार्यक्रम में हमें आमंत्रित नहीं करती है. समाजवादियों की अपनी अलग लड़ाई है. हमें कांग्रेस और बीजेपी अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाएंगे. हालांकि, उन्होंने कहा कि हम INDIA गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं और बीजेपी को हटाने के लिए हर कोशिश करेंगे.
‘अखिलेश को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के लिए भेजा न्योता’
कांग्रेस ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के ऐलान के समय ही कहा था कि ‘INDIA गठबंधन’ के नेताओं को यात्रा में शामिल होने के लिए बुलाया जाएगा. कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय राय ने TV9 डिजिटल से बात करते हुए कहा कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के लिए INDIA गठबंधन के सभी सहयोगी दलों के नेताओं को मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के द्वारा निमंत्रण भेजा गया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी कांग्रेस ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शिरकत करने के लिए न्योता भेजा है. इसके अलावा जयंत चौधरी को भी भेजा गया है. हमारी कोशिश और अपील है कि यूपी में INDIA गठबंधन के सभी सहयोगी पार्टी के नेता न्याय यात्रा में शामिल हों.
राहुल गांधी की पिछली भारत जोड़ो यात्रा में भी शिरकत करने के लिए अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और मायावती को निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ था. सपा प्रमुख अखिलेश यादव अब INDIA गठबंधन का हिस्सा हैं, उसके बाद भी राहुल गांधी की यात्रा से दूरी बना रहे हैं जबकि कांग्रेस का कहना है कि उन्हें निमंत्रण भेजा गया है. यह मामला तब सामने आया जब लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर चर्चा के लिए कांग्रेस और सपा ने बुधवार शाम दिल्ली में सीट शेयरिंग को लेकर बैठक हो रही थी.
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में भारत जोड़ो न्याय यात्रा का रोड मैप ऐसा बनाया है, जिसके जरिए 2024 के सियासी समीकरण को साधा जा सके. चंदौली, बनारस, भदोही इलाहाबाद, प्रतापगढ़, अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, एटा, कासगंज, अलीगढ़, मथुरा और आगरा से होकर गुजरेगी. कांग्रेस ने 2024 में इन्हीं इलाके की सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है. यह वही सीटें हैं, जिस पर सपा ने भी चुनाव लड़ने के लिए प्लान बनाया हुआ है.
अखिलेश की पीडीए यात्रा के मायने
उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन में सपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर है, जिसके चलते अखिलेश यादव उसे लीड करना चाहते हैं. सूबे में कांग्रेस और सपा का सियासी आधार एक ही वोट बैंक पर टिका है, वो मुस्लिम मतदाता हैं. सपा इस बात को बखूबी जानती है कि अगर एक बार मुस्लिम मतदाता उसे छिटकर कांग्रेस के पाले में चला गया तो उसे दोबारा वापस लाना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में राहुल गांधी के साथ मंच शेयर करके अखिलेश कांग्रेस को दोबारा से उभरने का मौका नहीं देना चाहते हैं, जिसके चलते ही दूरी बनाए रखने की रणनीति बनाई है. इसलिए अखिलेश ने कहा कि उन्हें बीजेपी और कांग्रेस अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाते हैं.
कांग्रेस की यूपी में बढ़ती सक्रियता और राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के एंट्री से पहले अखिलेश यादव सतर्क हो गए हैं. अखिलेश ने बुधवार को पीडीए की प्रथम चरण की यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यात्रा का प्रथम चरण 1 फरवरी तक चलेगा. इस दौरान सपा की पीडीए यात्रा सूबे की 17 जिलों से होकर गुजरेगी, जिन रास्तों से राहुल गांधी की यात्रा को गुजरना है. ऐसे में समझा जा सकता है कि किस तरह से कांग्रेस की न्याय यात्रा से पहले सपा ने अपनी यात्रा के जरिए सियासी समीकरण को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है.