लोहड़ी पर क्यों जलाई जाती है आग, क्या है इससे जुड़ा धार्मिक महत्व?

लोहड़ी पर क्यों जलाई जाती है आग, क्या है इससे जुड़ा धार्मिक महत्व?

लोहड़ी का त्योहार भारत में काफी लोकप्रिय है. पंजाबी लोगों का ये विशेष त्योहार है. हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार पूरे जोश, हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. लोहड़ी के त्योहार में देर शाम के समय आग जलाई जाती है. इस अग्नि में रेवड़ी,गजक,मूंगफली और गुड़ की आहुति दी जाती है. लोहड़ी पर अग्नि की परिक्रमा की जाती है. इस अग्नि में गुड़, तिल ,मक्का,रेवड़ी, गजक और मूंगफली की आहुति दी जाती है और बाद में ये चीजें प्रसाद के रूप में बांटी जाती हैं. लोहड़ी पर पंजाबी लोक गीत भी गाए जाते हैं.

लोहड़ी में अग्नि क्यों जलाते हैं?

मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी का त्योहार सूर्य देव और अग्नि देव को समर्पित माना जाता है. लोहड़ी पर नई फसल को सूर्य देव और अग्नि देव को समर्पित किया जाता है. ऐसा करने के पीछे इन दोनो देवताओं का आभार व्यक्त करना होता है. माना जाता है ऐसा करने से अग्नि के माध्यम से नई फसल का भोग सबसे पहले सभी देवताओं तक पहुंच जाता है. इस माध्यम से सूर्य देव और अग्नि देव तक भविष्य में अच्छी फसल की कामना पहुंचाई जाती है.

अग्नि जलाने की परंपरा?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी पर आग जलाने की परंपरा माता सती से भी जुड़ी हुई है. एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने महायज्ञ किया और इस महायज्ञ में अपनी पुत्री सती और उनके पति भगवान शिव को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया. पिता द्वारा कराए जा रहे महायज्ञ में माता सती बिना निमंत्रण के ही पहुंच गई. वहां उन्होंने भगवान शिव का अपमान होते हुए देखा और उनके पिता ने भगवान शिव की बहुत निंदा की. अपने पिता के घर में हुए पति के घोर अनादर को मां सती सहन न कर सकीं और उन्होंने अपनी देह अग्नि को समर्पित कर डाली. माना जाता है लोहड़ी की अग्नि माता सती को ही समर्पित है.

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