मंदिर में क्यों बजाया जाता है घंटा? जानिए इससे होने वाले लाभ और कारण
आस्था की खुशबू …भक्ति की महक, मंदिर के घंटे की ध्वनि हर व्यक्ति को श्रद्धा से सराबोर कर देती है। ईश्वर में विश्वास हमारे देश की परंपरा ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है।
भक्तिमय माहौल विचारों को शुद्ध करता है और मंदिर के घंटे की आवाज़ मन को शांति देती है, जिसका एहसास आत्मा को छूता है। यही वजह है कि जब भी हमें कोई ख़ुशी मिलती है या मन की बात ईश्वर से करनी होती है तो हमारे कदम मंदिरों की ओर चल पड़ते हैं। मंदिर छोटा हो या बड़ा,हर धार्मिक स्थान पर घंटी जरूर लगाई जाती है।
आमतौर पर लोग मंदिर के अंदर जाते ही पहले घंटी बजाते हैं। घंटियों की आवाज मंदिरों की पहचान है और प्राचीन समय से ही मंदिरों में घंटियां लगाने की परंपरा चली आ रही है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर क्यों मंदिर में जाने से पहले घंटी बजाई जाती है? आइए जानते हैं।
धार्मिक कारण
धार्मिक मान्यता है कि देवी-देवताओं की आरती घंटी के नाद के बिना पूर्ण नहीं हो सकती है। भगवान की आरती में कई प्रकार के वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं, इनमें घंटी का स्थान महत्वपूर्ण है। घरों में भी पूजन करते समय घंटी अवश्य बजाई जाती है।
घंटी की ध्वनि मन, मस्तिष्क और शरीर को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। मंदिरों में जब भी आरती होती है तो घंटी की आवाज से लोगों के मन में भक्ति भाव जागृत होता है। शास्त्रों के अनुसार नियमित रूप से आरती करने और लगातार घंटी और घंटा बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाएं चैतन्य हो जाती हैं। ऐसी प्रतिमाओं की पूजा अधिक प्रभावशाली और शीघ्र फल प्रदान करने वाली होती है।
पुराणों में बताया गया है कि मंदिर में घंटी बजाने से हमारे पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, उस समय जो नाद (आवाज) था, वही नाद घंटे की ध्वनि से भी निकलता है। माना जाता है कि मंदिरों के बाहर लगी घंटियां व घंटे काल का प्रतीक हैं।
यह भी मान्यता है कि जब धरती पर प्रलय आएगी, उस समय भी घंटी बजाने जैसा ही नाद वातावरण में सुनाई देगा। मंदिर प्रवेश के समय घंटा बजाने से आपका संदेश सीधे ईश्वर तक जाता है और आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।