पीएम मोदी ने बनारस को क्यों बताया मिनी पंजाब? ये है इसके पीछे की कहानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को सीर गोवर्धन में स्थित रविदास मंदिर भी गए थे और उनके जन्मदिवस कार्यक्रम को संबोधित भी किया. पीएम मोदी ने मंदिर परिसर में मौजूद भीड़ को देखकर कर कहा कि यह मिनी पंजाब है. बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा से आए लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को भी संत रविदास के मार्ग पर चलने वाला बताते हुए कहा कि कुछ लोग लोगों को बांटने में लगे हैं जिनसे सावधान रहने की जरूरत है.
काशी से पीएम मोदी की ओर से मिनी पंजाब का जिक्र बहुत कुछ कहता है. यूपी के दलितों से लेकर पंजाब में रविदासिया संप्रदाय तक, पीएम मोदी ने संकेत और संदेश देने की कोशिश की. काशी पीएम मोदी का लोकसभा क्षेत्र तो है ही साथ ही राष्ट्रीय राजनीति में मोदी लहर बनाने वाला केंद्र भी है. सवाल ये भी है कि पंजाब-हरियाणा बॉर्डर से दिल्ली कूच के लिए तैयार हजारों किसानों के प्रदर्शन के बीच क्या पीएम मोदी संत रविदास के जरिए पंजाब के दलितों, किसानों से कनेक्शन जोड़ रहे हैं.
बंटवारे वाली राजनीति पर इसारों में ही किया प्रहार
सिर्फ किसान ही नहीं पीएम मोदी ने आज संत रविदास का नाम लेकर भेदभाव, जातिवाद और बंटवारे वाली राजनीति पर भी इशारों ही इशारों में जोरदार प्रहार किया. पीएम ने कहा कि बीजेपी सरकार सबकी है और संत रविदास के विचारों को भी आगे बढ़ा रही है. दिल्ली और आसपास के इलाकों में जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच इस कार्यक्रम की काफी चर्चा हो रही है. कार्यक्रम में आने वाले लोगों का मानना है कि भले ही इसका स्वरूप धार्मिक है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी से एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी जरूर जाएगा.
देश की सियासत के लिए क्यों अहम है रविदासिया संप्रदाय?
रविदासिया संप्रदाय में 50 लाख से ज्यादा अनुयायी हैं
पंजाब-हरियाणा में संत रविदास के अनुयायियों की बड़ी संख्या है.
खासतौर पर पंजाब के दोआब क्षेत्र में रविदासियों की अच्छी खासी संख्या है.
संत रविदास दलित समाज के पूजनीय हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में 31.9 फीसदी दलित आबादी है, जो देश में सबसे ज्यादा है
पंजाब की 117 में से 98 विधानसभा क्षेत्रों में दलितों का अच्छा खासा प्रभाव है
कई विधानसभा क्षेत्रों में 49 फीसदी तक दलित वोटर हैं
8 आरक्षित सीटों पर 40 फीसदी से अधिक दलित मतदाता हैं
सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि यूपी में लगभग 20 फीसदी दलित हैं
मतलब ये कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, पंजाब और जम्मू तक समाज के इस वर्ग की भूमिका सियासत में भी निर्णायक है. उत्तर प्रदेश में दलितों की सबसे बड़ी बिरादरी जाटव समाज के भगवान के तौर पर भगवान रविदास को पूजा जाता है. यही वजह है कि संत रविदास के लिए खासतौर पर चुनाव के वक्त में नेताओं के मन में अतिरिक्त प्रेम जाग जाता है.
मध्यकाल के सबसे बड़े भक्ति कवियों में होती थी गिनती
आपको बता दें कि संत रविदास मध्यकाल के सबसे बड़े भक्ति कवियों में गिने जाते हैं. उन्होंने रविदासिया संप्रदाय की स्थापना की. उनकी रचनाओं को सिख गुरुओं ने अपने ग्रंथों में स्थान दिया है. गुरु ग्रंथ साहिब में संत रविदास के 41 शब्द हैं. मीराबाई भी संत रविदास को अपना गुरु मानती थीं. ऐसे में भक्ति आंदोलन में संत रविदास की भूमिका बड़ी अहम मानी गई है. जाति तोड़ने और भक्ति के मार्ग पर सभी जातियों को जोड़ने वाले कवि के तौर पर संत रविदास को जाना जाता है, उनके अनुयायी दुनिया भर में फैले हैं. माघ पूर्णिमा के दिन रविदास जयंती मनाई जाती है और इस दिन दुनिया भर से संत रविदास के अनुयायी वाराणसी पहुंचते हैं.
पीएम मोदी ही नहीं, कई और भी पहुंच चुके हैं मंदिर
इससे पहले वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी काशी के सीर गोवर्धन पहुंचे थे. इसके बाद साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भी बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां संगत के बीच पहुंचे थे. सिर्फ पीएम ही नहीं उनके अलावा प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव भी संत रविदास के सामने शीश नवाकर उनके अनुयायियों के बीच अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश करते रहे हैं. यानी संत रविदास के माध्यम से रविदासिया संप्रदाय और दलितों का आशीर्वाद सबको चाहिए.