Wine Beer: लगातार एक महीना शराब पीना छोड़ने से सेहत में होगे ये सुधार, एक्सपर्ट ने बताई ये बड़ी बात

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों में शराब पीना बहुत ही आम बात है। कुछ वैज्ञानिक दावा करते हैं कि शराब को मॉडरेशन में लेने पर शरीर पर इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं.

लेकिन जब आप अल्कोहल अधिक मात्रा में और बार-बार सेवन करते हैं तो शरीर और दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है। शराब पीने के फायदे और नुकसान क्या है, आज हम इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करेंगे बल्कि आपको बताएंगे की अगर एक महीने शराब का सेवन न किया जाए तो इसका शरीर पर क्या असर पड़ता है?

बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन

शराब छोड़ने पर सबसे पहले बॉडी का डिटॉक्सिफिकेशन शुरू हो जाता है, यानी शरीर की गंदगी साफ होने लगती है। दरअसल शराब को Metabolizing की जिम्मेदारी लिवर की होती है .

ऐसे में जब आप शराब पीना रोक देते हैं तो लिवर को ब्रेक मिल जाता है जिसके कारण लिवर शरीर के अंदर जमा विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाल देता है।

अच्छी नींद

जब आप 1 महीने के लिए शराब का सेवन रोक देते हैं तो आपकी नींद की गुणवत्ता में भी सुधार होने लगता है इसे आप 1 सप्ताह के अंदर ही अनुभव कर सकते हैं।

दरअसल, शराब हमारी स्लीप साइकिल को प्रभावित करता है। यही वजह है कि लंबे समय तक शराब पीने के कारण लोग अनिद्रा, तनाव और अवसाद के शिकार हो जाते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

जैसे-जैसे बॉडी डिटॉक्स होती है और नींद में सुधार होता है वैसे-वैसे मानसिक स्वास्थ्य में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलता है। दरअसल, सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर शराब के अवसाद ग्रस्त प्रभाव से उदासी और चिंता की भावनाएं पैदा हो सकती हैं। यही वजह है कि जब कोई व्यक्ति शराब को छोड़ता है तो उसके मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलता है।

शारीरिक वजन में महत्वपूर्ण बदलाव

शराब छोड़ने के कुछ ही हफ्तों बाद शरीर पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है खासकर वजन बढ़ना रुक जाता है। डिहाइड्रेशन की समस्या भी कम हो जाती है। जिसके चलते व्यक्ति का वजन कम होने लगता है और शरीर का रूखापन भी कम होने लगता है। त्वचा पर निखार आने लगता है।

लिवर फंक्शन में भी सुधार होता है

हमारा लिवर डिटॉक्सिफिकेशन मेटाबॉलिज्म और पोषक तत्वों के भंडारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है शराब से दूरी बनाने पर लिवर में सूजन और वसा का संचय कम होने लगता है जिसके कारण लिवर की कार्य प्रणाली में भी सुधार होने लगता है।

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