अगले 10 साल में आपको अल्जाइमर रोग-डिमेंशिया तो नहीं होगा? इस ब्लड टेस्ट से चल जाएगा पता
डिमेंशिया वैश्विक स्तर पर बढ़ती गंभीर बीमारियों में से एक है, वर्तमान में दुनियाभर में 55 मिलियन (5.5 करोड़) से अधिक लोग इस रोग के शिकार हो सकते हैं। इनमें से 60% से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डिमेंशिया कोई विशिष्ट बीमारी नहीं है बल्कि ये कई प्रकार की बीमारियों का संयुक्त रूप है।
डिमेंशिया के कारण चीजों को याद रखने, सोचने या निर्णय लेने की क्षमता कम होने और रोजमर्रा के कार्यों को ठीक तरीक से न कर पाने में समस्या हो सकती है। अल्जाइमर रोग को डिमेंशिया का प्रमुख कारक माना जाता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि शारीरिक रूप से निष्क्रियता, धूम्रपान और शराब का सेवन, वजन बढ़ना, रक्तचाप-कोलेस्ट्रॉल बढ़े रहने के कारण संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया का खतरा हो सकता है। इसके जोखिमों को लेकर अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि एक खास प्रकार के ब्लड टेस्ट से डिमेंशिया के खतरे का पता लगाने में मदद मिल सकती है।
ब्लड टेस्ट से डिमेंश्या का चल सकता है पता
नेचर एजिंग जर्नल में इससे संबंधित एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, जिसमें शोधकर्ताओं ने बताया कि ब्लड टेस्ट की मदद से खून में खास प्रोटीन का आकलन करके किसी व्यक्ति में डिमेंशिया रोग के खतरे को अंदाजा लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, इस टेस्ट की मदद से ये भी जाना जा सकता है कि अगले एक दशक में तो आपमें डिमेंशिया का खतरा नहीं है?
अध्ययनकर्ता बताते हैं, डिमेंशिया का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है पर समय रहते इसके जोखिमों का पता चल जाए तो इसके जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है। इस ‘अल्ट्रा अर्ली डिटेक्शन’ टेस्ट से डिमेंशिया की रोकथाम में मदद मिल सकती है।