चीन में मुसलमानों की हद से ज्यादा बुरी स्थिति, कहीं 1975 वाला हाल ना हो जाए?

चीन में मुसलमानों का बुरा हाल है, यह सच है और किसी से छिपा भी नहीं है. शी जिनपिंग का देश मुसलमानों की भावनाओं को नहीं समझता तभी तो वहां के मुसलमानों का बुरा हाल हो रखा है. चीन में खासतौर से उइगर मुसलमानों की अच्छी खासी संख्या है. ये विशेष रूप से शिनजियांग में रहते हैं. ब्रिटेन के स्काई न्यूज ने हालिया जांच में देश के भीतर इस्लामिक प्रथाओं पर चीन के बढ़ते नियंत्रण पर एक रिपोर्ट छापी. रिपोर्ट में मुसलमानों पर बढ़ते प्रतिबंधों का जिक्र है. एक मुस्लिम नेता ने कहा, चीन में धर्म मर रहा है. साथ ही उन्होंने धार्मिक गतिविधियों पर चीनी सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर अफसोस जताया.
मस्जिदों का विध्वंस: कई मस्जिदों को ध्वस्त कर दिया गया है. विशेष रूप से वे जो सरकार के वास्तुशिल्प मानकों के अनुरूप नहीं हैं या जिन्हें बहुत विशिष्ट माना जाता है.
धार्मिक पोशाक पर प्रतिबंध: कुछ क्षेत्रों में पारंपरिक इस्लामी पोशाक, जैसे हेडस्कार्फ और लंबी दाढ़ी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इस्लामी ग्रंथों को सेंसर करना: सरकार ने इस्लामी ग्रंथों को भी सेंसर कर दिया है. ऐसी किसी भी सामग्री को हटा दिया है जिसे उग्रवाद या असहमति को बढ़ावा देने वाला माना जा सकता है. इसमें राज्य की कहानी के अनुरूप कुरान और अन्य धार्मिक साहित्य में बदलाव करना शामिल है.
रिपोर्ट सर्विलांस नेटवर्क पर प्रकाश डालती है जो मुस्लिम समुदायों पर नजर रखता है. चेहरे की पहचान करने वाले कैमरों सहित उच्च तकनीक निगरानी प्रणालियां शिनजियांग जैसे क्षेत्रों में प्रचलित हैं, जो एक महत्वपूर्ण उइघुर मुस्लिम आबादी का घर है. ये प्रणालियां व्यक्तियों की गतिविधियों और व्यवहारों पर नजर रखती हैं, जिससे सरकार के नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित होता है.
रोजमर्रा के जीवन पर असर: मुसलमानों पर जो प्रतिबंध लगे हैं वो उनके रोजमर्रा के जीवन को भी प्रभावित करता है. बच्चों के लिए धार्मिक शिक्षा को भारी रूप से विनियमित किया गया है. कई धार्मिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मुस्लिम आबादी के साथ चीन के व्यवहार पर चिंता व्यक्त की है. मानवाधिकार संगठनों ने कार्रवाई की निंदा की है और अधिक पारदर्शिता और धार्मिक स्वतंत्रता के सम्मान की मांग की है. हालांकि, चीनी सरकार का कहना है कि चरमपंथ से निपटने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये उपाय आवश्यक हैं.
कहीं 1975 वाला हाल ना हो जाए
इन तमाम प्रतिबंधों को देखते हुए लगता है कि चीन में मुसलमानों का हाल 1975 जैसा ना हो जाए. दरअसल, 29 जुलाई 1975 को चीनी सेना युन्नान प्रांत के शाडियान में घुसी थी और एक हफ्ते तक कत्लेआम मचाया था. रिपोर्ट्स बताती हैं कि रेड आर्मी के गार्ड शाडियान में आकर खूब उत्पात मचाए थे. मस्जिदों में तोड़फोड़ करते और यहां तक कि सुअरों की हड्डियां और उनके कटे सिर की माला बनाकर जबरदस्ती हुई समुदाय के लोगों को पहना देते थे. कहा जाता है इस पूरी घटना में 1500 से 2000 मुसलमान मारे गए थे.

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