फ्रांस और ब्रिटेन चुनाव जीतने वाले नेताओं का फिलिस्तीन-यूक्रेन को लेकर क्या रुख?

ब्रिटेन और फ्रांस में हुए चुनाव के बाद दोनों ही देशों का नेतृत्व बदलता नजर आ रहा है. ब्रिटेन में 14 साल बाद फिर से लेबर पार्टी ने वापसी की है, तो फ्रांस में लेफ्ट पार्टियों के गठबंधन (NFP) ने शानदार बढ़त हासिल कर ली है. दुनिया के दो मोर्चों पर इस वक्त भयंकर जंग चल रही है. हमास इजराइल युद्ध और रूस यूक्रेन दोनों युद्ध के लिए ब्रिटेन और फ्रांस महत्वपूर्ण देश हैं. क्योंकि दोनों ही देश NATO के मेंबर हैं और अमेरिकी अलायंस का हिस्सा हैं.
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का पूरे गाजा युद्ध के दौरान झुकाव इजराइल की ओर रहा है. हालांकि UNSC में फ्रांस ने सीजफायर के पक्ष में वोट किया. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी फिलिस्तीनियों की मौत के सवाल पर अक्सर इजराइल के तथाकथित ‘राइट टू डिफेंस’ का हवाला देते नजर आए हैं. वहीं रूस यूक्रेन युद्ध में दोनों ही नेताओं का रुख रूस के आक्रमण के खिलाफ रहा है. अब फ्रांस और ब्रिटेन का नेतृत्व बदल रहा है. चुनावों प्रचार के दौरान भी ब्रिटेन और फ्रांस के में ये दोनों युद्ध छाए रहे हैं.

Nous aurons un ou une Premier ministre du Nouveau Front Populaire.
Nous pourrons décider de nombreuses choses par décrets.
Sur le plan international, il faudra s’entendre pour reconnaître l’État de Palestine.#VictoireNFP pic.twitter.com/XYkzTk0zS4
— Jean-Luc Mélenchon (@JLMelenchon) July 7, 2024

फ्रांस देगा फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा
रनऑफ राउंड में लेफ्ट पार्टियों का अलायंस NFP (New Popular Front) चुनाव में सबसे बड़ा ब्लॉक बनकर उभरा है. नतीजों के बाद NFP के नेता जीन-ल्यूक मेलेनचॉन अपने भाषण में कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देंगे. इसके अलावा उनकी जीत के जश्न में फिलिस्तीनी समर्थकों ने पेरिस की सड़कों पर फिलिस्तीनी झंडे लहराए हैं.
जीन-ल्यूक मेलेनचॉन LFI पार्टी से आते हैं जोकि एक रेडिकल वामपंथी पार्टी मानी जाती है. वे पूर्व में पुतिन के खास सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को सपोर्ट कर चुके हैं और उन्होंने कई बार रूसी विरोधी लोगों का अपमान भी किया है. हालांकि चुनाव नतीजों के बाद उनका यूक्रेन युद्ध पर कोई बयान नहीं आया है.
ब्रिटेन के कीर स्टार्मर का क्या रुख
कीर स्टार्मर ने ब्रिटेन की सुरक्षा और रक्षा के मामले में यूक्रेन के समर्थन का दिखावा किया है. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान रूस के आक्रमण को गलत बताया है. लेकिन वे गाजा पर इजराइल के आक्रमण को गलत ठहराने से बचते रहे हैं. गाजा में युद्ध विराम की हिमायत भी स्टार्मर में काफी देर से की है, जिस पर उनको विरोध का सामना भी करना पड़ा है. फिलिस्तीन समर्थक आजाद उम्मीदवारों ने स्टार्मर की लेबर पार्टी के लगभग 10 उम्मीदवारों को हराया है.
ये तो आने वाला वक्त बताएगा कि इन दोनों नेताओं की नीतियों में ऐसे क्या बदलाव आएंगे जो दुनिया के दो छोर पर चल रही जंग पर असर डालेंगे.

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