बीजेडी, शिअद और बीआरएस… चुनाव बाद संकट में क्यों हैं ये 4 छोटी पार्टियां?

दक्षिण के आंध्र से उत्तर के पंजाब तक… 2024 के चुनावी नतीजों ने देश के 4 क्षेत्रीय दलों की टेंशन बढ़ा दी है. हार की वजह से इन दलों के भीतर की बगावत खुलकर बाहर आ गई है. हालात ऐसे हो गए हैं कि 4 में से 2 दलों के नेताओं की कुर्सी तक संकट में पड़ गई है. बात पहले तेलंगाना की बीआरएस की करते हैं. 10 साल तक सत्ता में रहने वाली बीआरएस में भगदड़ जैसी स्थिति है. यही हाल आंध्र की वाईएसआर कांग्रेस की है. पंजाब की शिरोमणि अकाली दल और ओडिशा की बीजू जनता दल के हालात बीआरएस और वाईएसआर से अलहदा है. इन पार्टियों में अभी भगदड़ की स्थिति तो नहीं है, लेकिन अंदर के भीतरघात ने इनके नेताओं के संकट जरूर बढ़ा दिए हैं.
1 महीने में बीआरएस के 10 नेता बाहर
10 साल तक तेलंगाना की सत्ता में रहने वाली भारत राष्ट्र समिति में चुनाव बाद भगदड़ जैसी स्थिति है. लोकसभा चुनाव के बाद कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. इनमें के.केशव राव, दांडे विट्टल जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं. छोड़ने वाले नेताओं की कुल संख्या देखा जाए तो पिछले एक महीने में बीआरएस के एक राज्यसभा सदस्य, 6 विधानपरिषद सदस्य और एक विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं.
कहा जा रहा है कि बीआरएस को तोड़ने के लिए तेलंगाना में कांग्रेस ऑपरेशन आकर्ष चला रही है. इस ऑपरेशन का मकसद बीआरएस से मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा छिनना है. ऑपरेशन की कमान खुद मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी संभाल रहे हैं.
बीआरएस में हो रही टूट को लेकर पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. हाल ही में अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर पूर्व सीएम केसीआर के बेटे केटीआर ने कहा कि राहुल गांधी दलबदल के खिलाफ हैं और यहां पर कांग्रेस उनकी पार्टी को तोड़ने में जुटी हुई है.
भारत राष्ट्र समिति जो कि पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति के नाम से पॉपुलर थी कि स्थाापना साल 2001 में हुई थी. पार्टी की स्थापाना तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर की गई थी. यह पार्टी 2 बार केंद्र में और 2 बार राज्य की सरकार में शामिल रही हैं.
बीजेडी में भीतरघात पर बवाल मचा
24 साल तक ओडिशा की सत्ता में रहने वाली बीजू जनता दल की हालत ठीक नहीं है. चुनाव में हुई करारी शिकस्त के बाद पार्टी के भीतर भीतरघात पर बवाल मचा हुआ है. पहले भुवनेश्वर में समीक्षा बैठक के दौरान हंगामा हुआ तो अब बीजेडी के कद्दावर नेता देबाशीष सामंतराय ने हार को लेकर बड़ा बम फोड़ा है.
राज्यसभा सांसद सामंतराय का कहना है कि बीजेडी की हार के लिए वीके पांडियन के साथ-साथ प्रणब प्रकाश दास भी जिम्मेदार हैं. दास बीजेडी के संगठन देखते हैं और उन्हें भी नवीन पटनायक का करीबी माना जाता है.
इधर पार्टी में मचे बवाल के बीच नवीन पटनायक ने ओडिशा की प्रदेश कार्यकारिणाी को भंग कर दिया है. पार्टी नए सिरे से अब संगठन तैयार करेगी.
शिअद में सुखबीर के खिलाफ खुला मोर्चा
लोकसभा चुनाव में हार के बाद शिरोमणि अकाली दल में सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ मोर्चा खुल गया है. हाल ही में जालंधर में पार्टी महासचिव प्रेम सिंह चंदूमाजरा के नेतृत्व में एक बैठक हुई थी, जिसमें सभी नेताओं ने अकाली बचाओ अभियान की शुरुआत करने की बात कही थी.
इन नेताओं की डिमांड अकाली के मुखिया पद से सुखबीर सिंह बादल को हटाने की है. सुखबीर के नेतृत्व में पार्टी 2017-2022 का विधानसभा चुनाव और 2019-2024 का लोकसभा चुनाव हार चुकी है. हालिया लोकसभा चुनाव में शिअद को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी.
आंध्र की वाईएसआर कांग्रेस भी मुश्किल में
चुनाव के बाद आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पर भी संकट के बादल छाए हुए हैं. एक तरफ पार्टी के कई बड़े-छोटे नेता पुलिस की रडार पर है, तो दूसरी तरफ पार्टी में भगदड़ की भी स्थिति है.
हाल ही में चित्तूर जिले में मेयर, डिप्टी मेयर और 15 पार्षदों ने तेलगु देशम पार्टी का दामन थाम लिया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेल्लोड़ समेत कई जिलों में पार्टी के नेता टीडीपी में शामिल होने के लिए कतार में खड़े हैं.
पार्टी के कई बड़े नेताओं पर पुलिसिया कार्रवाई भी चल रही है. इतना ही नहीं, पार्टी के दफ्तर भी बुलडोज किए जा रहे हैं. राज्य की सरकार ने वाईएसआर कांग्रेस के 18 दफ्तरों पर नोटिस चस्पा किया है. सरकार का कहना है कि ये दफ्तर अवैध तरीके से बनाया गया है.

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