अब विदेशों में होगा भारतीय कुल्फी का जलवा, भारत सरकार की इस पहल ने बदली तस्वीर

भारत की कुल्फी अब दक्षिण पूर्व एशिया में बसने वालों को अपने स्वाद का परिचय देगी. पहली खेप तमिलनाडु से चलकर मलेशिया पहुंच चुकी है. माना जा रहा है कि मिडिल ईस्ट और यूरोप के कई देशों के लिए भी भारतीय कुल्फी की खेप को जल्द रवाना किया जाएगा. वाणिज्य मंत्रालय की पहल से देसी कुल्फी को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिल रही है. वाणिज्य मंत्रालय विभिन्न क्षेत्रों में ऑफबीट एक्सपोर्ट को बढ़ावा दे रहा है, जिसके चलते पहले फलों के राजा आम की कई प्रजातियों की यूरोप समेत कई देशों में मांग बढ़ी और देश में आम की बागवानी करने वालों को फायदा हुआ. इसी तर्ज पर भारतीय कुल्फी को भी विदेशों में स्थान दिलाने के लिए मंत्रालय ने कदम आगे बढ़ाया और आइस्क्रीम से इतर स्वाद रखने वाली कुल्फी को अंतरराष्ट्रीय मंच मिल गया.
ऐसे हुई शुरुआत
31 मई को 53 हजार यूनिट कुल्फी चेन्नई, तमिलनाडु से मलेशिया के लिए रवाना की गई. समुद्री मार्ग के जरिए कुल्फी बनाने वाली एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने यह पूरा असाइनमेंट भेजा. इससे पहले 7.53 मिट्रिक टन बंगानापल्ले आम कर्नाटक से यूनाईटेड किंगडम भेजा गया था. बता दें कि बंगानापल्ले आम देखने में अंडाकार होता है. इसमें विटामिन और पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. भारत के इस आम को जीआई टैग भी मिला हुआ है. यानी कोई और दावा नहीं कर सकता कि ये प्रजाति उसके देश की है.
कश्मीर को हो रहा फायदा
अनुच्छेद-370 हटने के बाद कश्मीर से भी इस तरह के एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया जा रहा है. कश्मीर के पुलवामा इलाके के गांव छोकर से स्नो पीज आम को भी यूनाईटेड किंगडम भेजा गया है. हालांकि पहले पहल इसकी मात्रा महज 600 किलो भेजी गई है, लेकिन अगली खेप बड़ी होगी. मंत्रालय की ओर से पूरे यूरोप में भारत की तमाम वस्तुओं के एक्सपोर्ट को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. गोवा का मनकुराड आम भी इसी श्रृंखला में अपनी जगह बना चुका है और उसकी एक खेप भी यूनाईटेड किंगडम भेजी गई है.
यूपी के इस आम का है जलवा
उत्तर प्रदेश की आम की विभिन्न प्रजातियों को भी यूरोप में खासा पसंद किया जा रहा है. लंगड़ा, दशहरी, चौसा समेत देश के विभिन्न हिस्सों में पाई जाने वाली किस्मों की खेप का वजन हर साल बढ़ रहा है. करीब 23 हजार टन आम भारत से विदेशों को एक्सपोर्ट किया जा रहा है. बता दें कि देश की हल्दी, मिर्च, गंगाजल समेत अन्य तमाम वस्तुओं को भी जीआई टैग दिलाकर सरकार विदेशों में देसी व्यापारियों को मौके दिला रही है. देखना ये है कि कुल्फी को कितना पसंद किया जाता है और उसकी मांग कितनी बढ़ती है.

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