अमित शाह के बयान पर अब्दुल्ला का पलटवार, पत्थरबाजों पर कही ये बात
आज से दो दिन बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण है. इस चरण के लिए सभी राजनीतिक दल ज़ोरों से प्रचार-प्रसार में लगे हैं. वहीं, देश के गृह मंत्री अमित शाह के पत्थरबाजी वाले बयान को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा, “हर किसी को अपनी बेगुनाही साबित करने और जेल से बाहर आने का अधिकार है. मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज किया गया है या नहीं, और क्या उनकी अपराध की पुष्टि किसी अदालत में हुई है? आपने उन्हें 5 सालों से जेल में रखा हुआ है. मुझे बताइए, उनमें से कितनों का अपराध अदालत में साबित हुआ है? उनमें से ज़्यादातर ऐसे हैं जिनके खिलाफ आज तक कोई मामला भी दर्ज नहीं किया गया है.”
वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में अपने चुनावी अभियान के दौरान एक भाषण में कहा था कि “आतंकवाद को हम पाताल लोक में दफन कर देंगे.” आगे उन्होंने कहा कि किसी भी पत्थरबाजों को रिहा नहीं किया जाएगा.
बडगाम सीट से आठ उम्मीदवार
बता दें उमर अब्दुल्ला गांदरबल विधानसभा सीट के साथ-साथ बडगाम सीट से भी अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस की परंपरागत सीट मानी जाने वाली बडगाम सीट पर इस बार आठ उम्मीदवार मैदान में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और एनसी नेता उमर अब्दुल्ला पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ेंगे. पीडीपी ने उमर अब्दुल्ला को चुनौती देने के लिए प्रमुख शिया नेता और हुर्रियत के पूर्व नेता आगा सैयद हसन के बेटे आगा सैयद मुंतजिर को मैदान में उतारा है. अब्दुल्ला के खिलाफ मैदान में उतरे तीन बार बडगाम से जीत चुके आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी का समर्थन भी मुंतजिर को प्राप्त है. जो इस निर्वाचन क्षेत्र में काफी प्रभाव रखने वाले एक सम्मानित शिया नेता हैं. सांसद मेहदी का लंबे समय से बडगाम की राजनीति में दखल रहा है.
पहले चरण में किश्तवाड़ में सबसे अधिक, पुलवामा में सबसे कम मतदान
पहले चरण में हुए विधानसभा चुनाव में किश्तवाड़ जिले में सबसे अधिक 77% मतदान दर्ज हुआ. जबकि पुलवामा जिले में सबसे कम 46% मतदान हुआ. उम्मीद की जा रही है कि आगामी दूसरे और तीसरे चरण में भी बड़ी संख्या में मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. कश्मीरी पंडितों ने भी इस पहले चरण के चुनाव में अपनी भागीदारी दिखाई. जम्मू, उधमपुर और दिल्ली में बनाए गए विशेष केंद्रों पर कश्मीरी पंडित मतदाताओं ने मतदान किया. इन मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक पहुंचाने के लिए वाहनों का विशेष प्रबंध किया गया था.