आतंकवाद के समर्थन पर रोक लगनी चाहिए, UN में बोला भारत- दोहरा चरित्र नहीं चलेगा

भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में शुक्रवार को आतंकवाद को आर्थिक सहायता समेत हर प्रकार के समर्थन पर रोक लगाने की बात कही. यूएन में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि, आर रवींद्र ने आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने और उसका प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए आतंकियों और उनकी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया.
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ब्रीफिंग में एक बयान देते हुए रवींद्र ने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को अपने फायदे के लिए उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समेत बहुपक्षीय प्लेटफार्मों पर देशों के बीच सहयोग प्रभावित हो सकता है.
अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
उन्होंने कहा कि जब हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के बारे में बात करते हैं, तो आप इस बात से सहमत होंगे कि आतंकवाद सबसे गंभीर खतरों में से एक है. इसलिए, हमें आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में दोहरे मानकों से बचना चाहिए. कुछ देश आतंकवाद को राज्य के साधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
आतंकवाद से लड़ने का संकल्प
हमें आतंकवाद से लड़ने के अपने संकल्प की पुष्टि करनी चाहिए और इसकी आर्थिक मदद सहित समर्थन के सभी रूपों पर कार्रवाई करनी चाहिए. यूएनएससी संकल्प के पूर्ण कार्यान्वयन और आतंकवादी व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंधों की आवश्यकता है.
आतंकवादियों को पनाह
आतंकवाद का प्रभावी ढंग से मुकाबला करें. इस संबंध में, एससीओ के नेताओं ने 4 जुलाई 2024 को अपनाई गई अस्ताना घोषणा में सहमति व्यक्त की थी कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उन देशों को अलग-थलग करना चाहिए और बेनकाब करना चाहिए जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं, उन्हें सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं और आतंकवाद को नजरअंदाज करते हैं.
युवाओं में कट्टरपंथ पर लगे रोक
उन्होंने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि 2023 में भारत की एससीओ अध्यक्षता के दौरान कट्टरपंथ के विषय पर जारी संयुक्त बयान उसके खिलाफ लड़ाई में उनकी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है. सदस्य देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने में एससीओ-क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, आर रवींद्र ने कहा कि नई और जटिल सुरक्षा चुनौतियों के साथ बढ़ते क्षेत्रीय संघर्षों के बैकग्राउंड में, एससीओ-क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) सदस्य देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

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