एक तरफ जाट, दूसरी तरफ सिख… राज्यसभा चुनाव में हरियाणा के जरिए बीजेपी ने कैसे सेट किया पंजाब?

बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव के लिए जिन उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है उसमें हरियाणा और पंजाब की राजनीति को साधने का प्रयास किया है. हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए दो नेताओं को बड़े चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किया गया है और राज्यसभा भेजने की तैयारी है. हरियाणा से बंसीलाल परिवार की पुत्रवधू किरण चौधरी को राज्यसभा भेजकर पार्टी से नाराज माने जा रहे जाट वोट बैंक को साधने का प्रयास किया गया है.
कहा जाता है कि बीजेपी हरियाणा में नॉन जाट पॉलिटिक्स करती है, लेकिन किरण चौधरी के चेहरे को आगे करके बीजेपी ने इसका जवाब दिया है. इससे पहले एक और पार्टी के बड़े जाट चेहरे सुभाष बराला को भी राज्यसभा भेजा जा चुका है.
कौन हैं किरण चौधरी?

69 वर्षीय किरण चौधरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू हैं
2024 लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं
बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से टिकट कटने से नाराज थीं
भिवानी की तोशाम विधानसभा सीट से लगातार चार बार कांग्रेस की सीट पर विधायक बनीं
पहले 2005 उपचुनाव में जीतीं, फिर उसके बाद हुए 2009, 2014, 2019 के विधानसभा चुनावों में जीतती रहीं
किरण चौधरी दिल्ली से बनी थीं पहली बार विधायक
किरण चौधरी की शादी हरियाणा के सीएम रहे चौधरी बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह के साथ हुई थी.
पति की मौत के बाद वे हरियाणा की राजनीति में सक्रिय हुई, हरियाणा की राजनीति का बड़ा जाट चेहरा.
राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाकर बीजेपी की हरियाणा में नाराज माने जा रहे बड़े जाट वोट बैंक पर नजर.
1993 में दिल्ली कैंट से पहली बार किस्मत आजमाई, तब चुनाव हार गई थीं.
1998 में जीतकर वो 2003 तक दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष भी रहीं.
2003 में वो फिर चुनाव लड़ीं, इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
2004 में राज्य सभा के लिए खड़ी हुई, जिसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में हरियाणा की कैबिनेट मंत्री बनी.

वहीं, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू को राजस्थान से राज्यसभा भेजने की तैयारी है. रवनीत सिंह बिट्टू लुधियाना से लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने उनको पंजाब से सिख चेहरे के तौर पर आगे किया और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री का पद दिया और अब रवनीत सिंह बिट्टू को राज्यसभा भेजने की तैयारी है. रवनीत सिंह बिट्टू के माध्यम से बीजेपी पंजाब में सिख वोट को टारगेट कर रही है.
पंजाब में बड़े सिख वोट बैंक को साधने की कोशिश
माना जाता रहा है कि पंजाब में बीजेपी हमेशा से ही एक बड़े सिख चेहरे की तलाश में रही है जोकि पार्टी को पंजाब में और भी मजबूती दे सके. इसी कड़ी में रवनीत सिंह बिट्टू पर लगातार पार्टी की और से भरोसा जताया जा रहा है. दूसरा रवनीत सिंह बिट्टू बेअंत सिंह परिवार से आते हैं और बीजेपी इस परिवार के जरिए पंजाब के बड़े सिख वोट बैंक को साधने का प्रयास लगातार कर रही है। आइए आपको बताते हैं कौन है रवनीत सिंह बिट्टू –
रवनीत सिंह बिट्टू की प्रोफाइल?

कांग्रेस से तीन बार सांसद सदस्य रहे, पार्टी को अलविदा कहकर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए.
पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पोते हैं और परिवार की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं.
रवनीत सिंह बिट्टू पहली बार आनंदपुर साहिब से 2009 में लोकसभा चुनाव जीते थे, उसके बाद 2014 में सीट बदल कर लुधियाना आ गए, वहां से लगातार दो बार जीते.
2024 में लुधियाना से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से 20 हजार वोटों के मामूली अंतर से हार गए. हार के बावजूद केंद्र में राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया.
बीजेपी ने पंजाब से सिख चेहरे के तौर पर रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्र में आगे किया, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं.
2009 में उन्होंने पंजाब यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में पंजाब के युवाओं में मादक पदार्थों की लत के खिलाफ अभियान शुरू किया.
रवनीत सिंह बिट्टू का जन्म 10 सितंबर, 1975 को कोटली, जिला लुधियाना, पंजाब में हुआ, पंजाब के युवा सिख राजनेता के तौर पर पहचान.

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