चुनाव प्रचार में राजनीतिक दलों को ये गलतियां पड़ सकती हैं भरी, पढ़ लें ECI की गाइडलाइन

भारतीय लोकतंत्र का महापर्व धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक दल चुनाव प्रचार को रफ्तार देने की तैयारी तेज करते जा रहे हैं. हालांकि, इसके लिए चुनाव आयोग ने दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. आमतौर पर चुनाव प्रचार के लिए सुबह 6 से रात 10 बजे तक का समय तय होता है. इसके बाद जुलूस, रैली नहीं निकाली जा सकती. पोस्टर-बैनर के इस्तेमाल से लेकर लाउडस्पीकर बजाने तक के नियम तय किए गए हैं. भीड़ और प्रचार को लेकर जारी इन गाइडलाइन का पालन न करने पर राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है.

चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है और इसी के साथ प्रचार के नियम भी. चुनाव आयोग की दी गई गाइडलाइन के अनुसार राजनीतिक दलों को प्रचार करते समय सामान्य आचरण का पालन करना होगा. इसमें कहा गया है कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो आपस में मतभेद या नफरत पैदा करे. आइए जानते हैं अभियान और प्रचार के दौरान और कौन-कौन से नियम तय किए गए हैं.

भड़काऊ भाषण से बचना होगा

गाइडलाइन के अनुसार, राजनीतिक दलों को विभिन्न जातियों, समुदायों, धार्मिक या भाषाई आधार पर तनाव पैदा करने वाली गतिविधियों से भी दूर रहना होगा. जाति और संप्रदाय के आधार पर वोट नहीं मांगे जाएंगे. धार्मिक स्थलों का उपयोग प्रचार के लिए नहीं होगा. प्रचार के दौरान दूसरी दलों की आलोचना के दौरान ध्यान रखना होगा कि यह उनकी नीतियों, कार्यक्रम, पिछले रिकॉर्ड और काम तक ही सीमित रहे. गलत आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए और किसी के निजी जीवन की आलोचना भी नहीं की जानी चाहिए. भड़काऊ भाषण नहीं दिए जाएंगे.

प्रचार के नाम पर कानून का उल्लंघन न करें

कोई भी राजनीतिक दल प्रचार के नाम पर किसी तरह के कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे और भ्रष्ट आचरण से दूर रहेंगे. मतदाताओं को रिश्वत देने, डराने-धमकाने, मतदान केंद्र तक लाने-ले जाने की व्यवस्था करने आदि से दूर रहना होगा. मतदान केंद्र के सौ मीटर के दायरे में प्रचार नहीं किया जा सकता.

रात 10 से सुबह 6 बजे तक प्रचार नहीं

प्रचार के लिए रात 10ः00 से सुबह 6ः00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसी तरह से सुबह 6.00 बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद जुलूस और जनसभाएं नहीं हो सकतीं. मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार नहीं किया जा सकता. जुलूस, बैठक, रैली, जनसभा सब पर पाबंदी लग जाती है. इस दौरान शराब आदि नहीं बांटी जा सकती. घर-घर जाकर संपर्क जरूर हो सकता है पर इसके लिए प्रत्याशी समेत एक साथ पांच से अधिक लोग नहीं जा सकते. मतदान केंद्र के बाहर राजनीतिक दलों के शिविर पर भीड़ नहीं लगनी चाहिए.

दूसरे की बैठक-जुलूस में बाधा न पैदा करें

प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों का यह भी जिम्मा होगा कि अपने समर्थकों को नियंत्रित करें. किसी दूसरे दल या प्रत्याशी से नाराजगी के बावजूद उसके घर के सामने धरना-प्रदर्शन किसी भी स्थिति में नहीं किया जा सकता. राजनीतिक दल और उम्मीदवारों को ही यह तय करना होगा कि उनके समर्थक दूसरे दलों या उम्मीदवारों की बैठकों-जुलूसों में बाधा न पैदा करें. किसी एक दल के समर्थक या कार्यकर्ता दूसरे दल की सार्वजनिक बैठकों में मौखिक या लिखित में प्रश्न नहीं पूछ सकते. उस दौरान अपनी पार्टी के पर्चे नहीं बांट सकते. जहां एक पार्टी की बैठक, सभा, जुलूस आदि निकल रहा हो, वहां दूसरे दल के लोग ऐसा नहीं करेंगे. किसी दूसरे की जमीन, भवन, दीवार आदि पर बिना अनुमति के झंडा, बैनर, नोटिस नहीं लगाए जा सकते और न ही नारे आदि लिखे जा सकते हैं.

पहले से लेनी होगी जुलूस की अनुमति

किसी भी तरह की बैठक, रैली, जुलूस आदि के स्थान और समय के बारे में स्थानीय पुलिस अफसरों को जानकारी देकर अनुमति लेनी होगी. यह पता करना भी उम्मीदवार की जिम्मेदारी होगी कि जहां वह बैठक करने जा रहा है, वहां किसी तरह का निषेधात्मक आदेश तो लागू नहीं है. यदि ऐसा है तो वहां छूट के लिए आवेदन कर अनुमति लेनी जरूरी होगी. इसी तरह से किसी जुलूस, रैली या बैठक में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने के लिए पहले से ही आवेदन कर अनुमति या लाइसेंस लेना होगा. जुलूस के लिए समय और स्थान को पहले से तय करना होगा और इसका पूरी तरह से पालन करना होगा. यथासंभव जुलूस सड़क के दाहिने ओर ही होना चाहिए. मतदान के दिन प्रत्याशियों को वाहन संचालन की अनुमति लेकर सही जगह पर प्रदर्शित करना होगा.

सत्ताधारी दलों के लोग पद का दुरुपयोग नहीं कर सकेंगे

चुनाव के दौरान सत्ताधारी दल के लोग अपने पद का दुरुपयोग नहीं करेंगे. मंत्री अपने आधिकारिक दौरे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं करेंगे. सरकार विमान, वाहन, मशीनरी और कर्मियों का इस्तेमाल पार्टी हित में नहीं किया जा सकेगा. सभी सार्वजनिक स्थलों, उड़ानों आदि के लिए हेलीपैड का इस्तेमाल केवल सत्ताधारी दल के लोग नहीं कर पाएंगे. दूसरे दलों को भी इनका इस्तेमाल करने की अनुमति होगी. इसके लिए सभी के लिए शर्तें समान होंगी. सरकारी विश्राम गृह, डाक बंगला और दूसरे सरकारी आवास का इस्तेमाल सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग समान रूप से निष्पक्ष तरीके से कर सकेंगे. सरकारी खर्च पर किसी भी तरह की मीडिया में विज्ञापन की अनुमति नहीं होगी. मंत्री और अन्य प्राधिकारी विवेकाधीन निधि से कोई नया अनुदान नहीं देंगे और न ही भुगतान को मंजूरी देंगे. इस दौरान किसी भी नए वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकेंगे.

सभी दलों को सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2008 के एसएलपी (सी) नंबर 21455 (एस. सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार और अन्य) के मामले में 5 जुलाई 2013 को चुनाव आयोग को दिए गए निर्देशों के अनुसार ही चुनाव घोषणापत्र तैयार करना होगा. इसमें मुफ्त वस्तुओं के वितरण की घोषणा नहीं की जा सकती. हालांकि, यह घोषणापत्र चुनाव की तारीख की घोषणा से पहले जारी होता है तो उस पर चुनाव आयोग का नियंत्रण नहीं रहेगा.

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