ऑस्ट्रेलिया सरकार बोली- यूज करें AI, आम लोगों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस्तेमाल करना कितना सही?

ऐसा लगता है कि ‘चैटजीपीटी’ समय के साथ कम सटीक होता जा रहा है. बहुत सटीक काम करने के बाद भी यह आपको नहीं बता सकता कि ‘स्ट्रॉबेरी’ शब्द में कौन से अक्षर आते हैं. वहीं, गूगल का ‘जेमिनी’ चैटबॉट पिज्जा पर गोंद लगाने जैसे अजीबोगरीब सुझाव दे चुका है. ये दुनिया के दो बड़े एआई मॉडल हैं, जिनका करोड़ों लोग इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इनके गलत रिजल्ट आपको मुश्किल में डाल सकते हैं. ऐसे में किसी सरकार का अपने लोगों से एआई का इस्तेमाल करने के लिए कहना कितना सही है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इस हफ्ते वालेंटरी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेफ्टी स्टैंडर्ड पेश किया. साथ ही एक प्रोपजल पेपर भी जारी किया जिसमें तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के ज्यादा रेगुलेशन की अपील की गई है. इस कदम को आम लोगों के बीच एआई को बढ़ावा देने के तौर पर देखा जा रहा है. एआई के स्कोप और रिस्क को लेकर बहस चलती रहती है. ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई सरकार के इस कदम के क्या मायने हो सकते हैं.
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने लोगों से कहा- AI यूज करें
इंडस्ट्री एंड साइंस मिनिस्टर एड ह्यूसिक की ओर से जारी एक मैसेज में कहा गया है, ‘हम चाहते हैं कि ज्यादा लोग एआई का इस्तेमाल करें और ऐसा करने के लिए हमें भरोसा कायम करने की जरूरत है.’ लेकिन लोगों को इस टेक्नोलॉजी पर भरोसा करने की जरूरत क्यों है? और वास्तव में ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करें, इसकी भी जरूरत क्यों है?
एआई सिस्टम की पावर
एआई सिस्टम बहुत ज्यादा बड़े डेटा सेट में काम करने की काबिलियत रखता है, जिसमें एडवांस मैथमेटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है. ज्यादातर लोगों को यह सब नहीं आता है. हालांकि, इनसे ऐसे रिजल्ट आते हैं जिन्हें कंफर्म करने का हमारे पास कोई तरीका नहीं है. यहां तक ​​कि कई फेमस मॉडर्न सिस्टम भी गलती से भरे रिजल्ट देते हैं.
एआई के रिस्क
यह सब देखते हुए एआई के प्रति लोगों का अविश्वास पूरी तरह से सही लगता है. इसका ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक भी साबित हो सकता है. एक कयास ये भी है कि एआई से लोगों की नौकरी जा सकती हैं. बाकी नुकसान में सहकर्मियों और फैमिली-फ्रेंड्स के ‘डीप फेक’ के जरिये धोखाधड़ी भी शामिल है.
फेडरल सरकार की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इंसान एआई की तुलना में ज्यादा प्रभावी, कुशल और प्रोडक्टिव है. लेकिन बात यह है कि जब कोई नई टेक्नोलॉजी हमारे बीच आती है तो हम अक्सर बिना सोचे-समझे इसका इस्तेमाल करते हैं.
AI पर भरोसा करें या सरकार पर?
अगर ज्यादा लोग एआई का इस्तेमाल करेंगे तो इससे आस्ट्रेलिया की सरकार को क्या मिल जाएगा? सबसे बड़ा रिस्क निजी डेटा का लीक होना है. एआई हमारी निजी जानकारी, हमारी इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी आदि को उस पैमाने पर इकट्ठा कर रहे हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ.
चैटजीपीटी, गूगल जेमिनी और अन्य एआई मॉडल के मामले में इस डेटा का ज्यादातर हिस्सा ऑस्ट्रेलिया में प्रोसेस नहीं किया जाता है.
ये कंपनियां पारदर्शिता, गोपनीयता और सुरक्षा की बात तो करती हैं, लेकिन अक्सर यह पता लगाना मुश्किल होता है कि क्या आपके डेटा का इस्तेमाल उनके नये मॉडल की ट्रेनिंग करने के लिए किया जाता है? वे इसे कैसे सुरक्षित रखती हैं, या अन्य संगठनों या सरकारों की भी उस डेटा तक पहुंच है या नहीं?
आगे का क्या रास्ता?
‘ऑटोमेशन बायस’ वह शब्दावली है, जिसका इस्तेमाल लोगों को यह विश्वास दिलाने के लिए किया जाता है कि टेक्नोलॉजी उनसे ‘ज्यादा स्मार्ट’ है. एआई पर बहुत ज्यादा भरोसा लोगों के लिए और भी ज्यादा रिस्क पैदा करता है.
सही शिक्षा के बिना टेक्नोलॉजी के ज्यादा इस्तेमाल को बढ़ावा देकर हम अपनी आबादी को ऐसे निगरानी और कंट्रोल सिस्टम की ओर धकेल सकते हैं, जो अपने आप ही काम कर रहा है.
ज्यादा से ज्यादा लोग एआई का इस्तेमाल करें इसके लिए प्रोत्साहित करने के बजाय, हम सभी को यह सीखना चाहिए कि एआई का अच्छा और बुरा इस्तेमाल क्या है.

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