ओलंपिक में मेडल को दांतों से क्यों काटते हैं खिलाड़ी? क्या है इसकी वजह

फैन्स ने अक्सर पोडियम पर खड़े होकर अपने मेडल को काटते हुए एथलीट्स की फोटोज वायरल होती देखी हैं. इतिहास के मुताबिक, पुराने समय में सोने के सिक्कों की जांच के लिए व्यापारी उनको काटते थे. कई लोगों का मानना है कि खिलाड़ी भी इसी लिए ऐसा करते हैं, लेकिन ये बिल्कुल गलत है. (PC- GETTY IMAGES)फैन्स ने अक्सर पोडियम पर खड़े होकर अपने मेडल को काटते हुए एथलीट्स कीमेडल जीतने के बाद उसे अपने दांतों से काटते हुए भी नजर आते हैं फोटोज वायरल होती देखी हैं. इतिहास के मुताबिक, पुराने समय में सोने के सिक्कों की जांच के लिए व्यापारी उनको काटते थे. कई लोगों का मानना है कि खिलाड़ी भी इसी लिए ऐसा करते हैं, लेकिन ये बिल्कुल गलत है. (PC- GETTY IMAGES)बता दें, ओलंपिक में दिया जाने वाले मेडल पुरी तरह से सोने का नहीं होता है, उसमें सोने का कम चांदी का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है. हालांकि 1912 से पहले शुद्ध सोने के मेडल दिए जाते थे. बता दें, मेडल को दांतों से काटने के पीछे की एक वजह ये भी है कि एथलीट ऐसा करके अपनी प्रतियोगिता में उनकी कड़ी मेहनत, टक्कर और जोश को दर्शाता है. (PC- GETTY IMAGES)वहीं, मेडल को काटने की असली वजह ये है कि खिलाड़ियों को ऐसा करने के लिए फोटोग्राफर कहते हैं. ओलंपिक की वेबसाइट के मुताबिक, एथलीट सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए मेडल को दांतों से काटते हैं. फोटोग्राफर खुद ही एथलीट्स से इस पोज की अपील करते हैं. (PC- GETTY IMAGES)रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेडल को काटने की प्रथा काफी लंबे समय से चलते आ रही है. हर एथलीट मेडल जीतने के बाद ऐसा करना चाहता है. 2010 ओलंपिक में तो जर्मन के लुगर डेविड मोलर ने मेडल को काटने समय अपना दांत तोड़ लिया था. उन्होंने खुद एक बार ये खुलासा किया था. (PC- GETTY IMAGES)

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