क्या कमला हैरिस को मुस्लिम वोट खोने का सता रहा डर? इजराइल-हिजबुल्लाह युद्ध के डैमेज कंट्रोल में जुटे डेमोक्रेट्स
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. 5 नवंबर को यहां मतदान होने वाला है. अमेरिका का यह चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि दुनिया में इस वक्त दो बड़े युद्ध चल रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हिजबुल्लाह युद्ध जिसमें अब ईरान भी कूद चुका है. अमेरिका इन युद्धों में एक तरफ यूक्रेन तो दूसरी तरफ इजराइल का समर्थन कर रहा है. लेकिन ये दोनों युद्ध अमेरिका की मौजूदा जो बाइडेन सरकार के लिए चुनौती भी बन गए हैं. डेमोक्रेट्स प्रत्याशी कमला हैरिस को हमास, हिजबुल्लाह पर निशाने के चलते मुस्लिम वोट खोने का डर सताने लगा है. हालांकि अमेरिका में रहने वाले मुस्लिम रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को वोट देना पसंद नहीं करते लेकिन इस बार यहां के हालात बदल गए हैं. कमला हैरिस को मुस्लिम बहुल राज्यों में मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. सर्वे बताता है ग्रीन पार्टी की ज़िल एलेन स्टीन को ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम वोट मिलने की संभावना है. वहीं दूसरे नंबर पर ट्रंप हैं.
हालांकि कई नेशनल सर्वे में फिलहाल कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रंप से 2 से 3 फीसदी तक आगे हैं लेकिन कुछ राज्यों में मुकाबला कड़ा है तो कुछ राज्यों में ट्रंप आगे हैं. ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी ने अब मुस्लिम समुदाय को रिझाने का अभियान तेज कर दिया है. मिशिगन जैसे राज्यों में अगर मुस्लिम वोट बंटे तो कमला हैरिस की चुनौती बढ़ सकती है. कमला हैरिस को फीड बैक मिला है कि हाल के समय में बाइडेन सरकार ने जिस प्रकार युद्ध में इजराइल का समर्थन किया, उससे उसके मुस्लिम वोट बैंक पर नकारात्मक असर पड़ा है. हमास, हिजबुल्लाह पर आक्रमण में इजराइल के समर्थन से अमेरिका के मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं में डेमोक्रेट्स को लेकर रोष देखा जा रहा है.
अमेरिका में भी क्रिश्चियन Vs मुस्लिम वोट
अमेरिका का चुनाव दिलचस्प हो चुका है. फिलहाल यहां भी भारत जैसे देशों के चुनावों जैसा हाल देखने को मिल रहा है. जिस प्रकार भारत में मुस्लिम मतदाता कई सीटों पर प्रत्याशियों की जीत, हार को प्रभावित करते हैं उसी तरह अमेरिका के भी कई स्टेट्स हैं जहां अरब अमेरिकी मुस्लिम अधिक संख्या में रहते हैं. पिछले दिनों अमेरिकी अरब संस्थान ने जो सर्वे किया है वह बेहद चौंकाने वाला है. सर्वे के मुताबिक अरब मूल के मतदाता बाइडेन-हैरिस प्रशासन से नाराज हैं. कमला हैरिस और डेमोक्रेट्स का समर्थन करने से कतरा रहे हैं. सर्वे तो ये भी कहता है कि कई लोग पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ग्रीन पार्टी से साथ जुड़ने लगे हैं. मिशिगन जैसे राज्य में गुस्सा ज्यादा देखा जा रहा है, यहां अरब-अमेरिकी आबादी काफी तादाद में रहती है.
पिछले दिनों गाजा में नरसंहार का जिस प्रकार समर्थन किया गया, उसकी वजह से बाईडेन प्रशासन को विरोध और आरोपों का सामना करना पड़ा है. हां, कमला हैरिस की उम्मीदवारी के सामने आने के बाद विरोध का स्वर कुछ कम हुआ लेकिन समर्थन अभी पूरी तरह से डेमोक्रेट्स के पाले में नहीं है. खबर तो ये भी है कि अरबी अमेरिकी मतदाता कमला, ट्रंप के अलावा तीसरे विकल्प ज़िल एलेन स्टीन को भी समर्थन देने का मन बना रहे हैं. बेशक कमला हैरिस इन क्षेत्रों में काफी मेहनत कर रही हैं और सर्वे में वोटों के अंतर को धीरे-धीरे कम करती जा रही हैं लेकिन युद्ध ने यहां उनकी चुनौती बढ़ा दी है.
इन राज्यों में कमला हैरिस को झटका
सर्वे में पाया गया कि मिशिगन में 40% मुस्लिम मतदाता तीसरे पक्ष ज़िल स्टीन का समर्थन कर रहे हैं, 18% ट्रंप का तो केवल 12% हैरिस का समर्थन करते हैं. वहीं एरिज़ोना में जिल स्टीन को 35% तो हैरिस को 29% समर्थन है. जबकि विस्कॉन्सिन में ज़िल स्टीन को 44% तो कमला हैरिस को 39% समर्थन है. कुल मिलाकर देखें तो एरिज़ोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन में ज़िल स्टीन कमला हैरिस से आगे हैं. मिशिगन में बड़ी संख्या में लेबनानी अमेरिकी रहते हैं, जिनमें से हजारों लोग लेबनान के दक्षिणी गांवों और कस्बों से आते हैं जो इज़राइली हमले से चिंतित हैं.
पिछले कई महीनों से अमेरिका में रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग अमेरिका की डेमोक्रेट्स सरकार से इजराइल को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर अंकुश लगाने की अपील कर रहे हैं लेकिन कमला हैरिस ने इन अपीलों को खारिज कर दिया था, बल्कि जो बाइडेन ने इजराइल का समर्थन करते हुए ईरान को भी चेतावनी जारी कर दी. अमेरिका इजराइल को हर साल कम से कम 3.8 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान करता है.
यहां ट्रंप की भी लोकप्रियता का ग्राफ चढ़ा
हालांकि ये तो तय है कि अमेरिका में पहले नंबर पर हमला हैरिस और दूसरे नंबर डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की संभावना है. ग्रीन पार्टी की ज़िल स्टीन राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं जीत सकतीं लेकिन हाल के सर्वेक्षणों के मुताबिक अरब और मुस्लिम समुदायों में उनके समर्थकों की संख्या बढ़ी है, जिसकी वजह कमला हैरिस और डेमोक्रेट्स के युद्ध के प्रति उनके रुख से नाराजगी है.
दूसरी तरफ अरब और मुस्लिम समुदायों में ट्रंप की भी लोकप्रियता में सुधार हुआ है. चर्चा तो यहां तक है कि पिछले महीने दक्षिण-पूर्वी मिशिगन के मुस्लिम बहुल शहर हैमट्रैमक के यमनी अमेरिकी मेयर ने भी उनका समर्थन किया था. ये खबर भी कमला की चिंता बढ़ाने वाली है. यानी जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रचार अभियान ने अमेरिका में अरब और मुस्लिम समुदायों के हित और प्राथमिकता को लेकर बहस आम हो गई है. डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन के बीच मुस्लिम मतदाताओं को अपने-अपने पाले में लाने की होड़-सी मची है.
अमेरिका में कितने हैं मुस्लिम?
एक जानकारी के मुताबिक अमेरिका में विभिन्न देशों से आई मुस्लिम आबादी की संख्या करीब 45 लाख है. यह अमेरिका की कुल आबादी की 1.3 फीसदी जनसंख्या है. इनमें अरब के अलावा भारत और पाकिस्तान मूल के मुस्लिम हैं. खास बात ये कि अमेरिका में अरब के मुसलमान बेहद प्रभावशाली हैं. अकेले इनकी संख्या करीब 35 लाख है यानी अमेरिकी आबादी का करीब 1 फीसदी. मिशिगन जैसे राज्य में अरब मुस्लिम की आबादी सबसे ज्यादा करीब 2.5 लाख है. अरब के मुस्लिम डेमोक्रेट्स के खास समर्थक रहे हैं. लेकिन गाजा और हिजबुल्लाह युद्ध ने जिस प्रकार का माहौल तैयार कर दिया है, वैसे स्थिति में यहां के मतदाता क्या फैसला करेेंगे, ये कह पाना फिलहाल मुश्किल है.