क्या है सर्केडियन रिदम? क्यों इसके बिगड़ने से खूब थके रहने के बाद भी नहीं आती नींद?

हमारा शरीर एक तय पैटर्न पर काम करता है, दिन में काम और रात में आराम. इस पैटर्न को चलाने के लिए हमारे शरीर में एक स्वचालित घड़ी होती है जिसे सर्केडियन साइकिल कहा जाता है. ये घड़ी शरीर में सभी प्रक्रियाओं को संचालित करने का काम करती है. इसलिए हम तय समय से जागते, सोते और काम करते हैं, लेकिन किन्हीं बाहरी कारणों से इस साइकिल में परिवर्तन आ जाए तो हमारे शरीर के सोने, जागने और काम करने का समय बदल जाता है. जिससे अन्य कई समस्याएं पैदा हो जाती है. इस साइकिल के बिगड़ने से नींद न आने की परेशानी को सर्केडियन रिद्म कहते हैं. हालांकि ये समस्या अस्थायी होती है जिसे ठीक किया जा सकता है.
सर्केडियन रिदम क्या है?
फोर्टिस अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग में डॉ. प्रवीण कुमार बताते हैं कि हमारे शरीर में एक नैचुरल घड़ी है जिसे ‘सर्केडियन रिदम’ कहते हैं. ख़राब लाइफस्टाइल के कारण हमारी नींद का पैटर्न बिगड़ रहा है. इस वजह से शरीर की नेचुरल क्लॉक जिसे सर्केडियन रिदम’ कहते हैं वह बिगड़ रही है और लोग कई बीमारियों का शिकार हो रहे है. डॉ कुमार बताते हैं कि हमारी स्लीप साइकिल में किसी भी तरह का बदलाव होने से हमें नींद न आने की समस्या हो जाती है, क्योंकि हमारा शरीर एक तय साइकिल के अनुसार सोता-जागता है लेकिन अगर इस साइकिल को बार-बार डिस्टर्ब किया जाए तो फिर नींद आना ही बंद हो जाता है. स्लीप साइकल के बिगड़ने से सर्केडियन रिदम भी बिगड़ जाती है. इस स्थिति में व्यक्ति को खूब ज्यादा थके होने के बाद भी नींद नहीं आती.
क्यों बाधित होती है नींद
स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें
– जेट लैग- इसमें जब आप एक देश से दूसरे देश यात्रा करते हैं तो दिन/रात में फर्क होने से आपका शेड्यूल बिगड़ जाता है जिससे आपको सोने में परेशानी होती है.
– नाइट शिफ्ट्स- जो लोग अक्सर रात की शिफ्ट में काम करते हैं उन्हें ये समस्या होने का खतरा ज्यादा हो जाता है क्योंकि उनकी स्लीपिंग साइकिल बिगड़ जाती है जिसकी वजह से ये दिन में चाहकर भी सो नहीं पाते.
– बहुत देर तक सोना- जो लोग अक्सर औसत व्यक्ति की तुलना में देर तक सोते हैं उनमें भी ये विकार देखा जाता है इसमें ज्यादातर छोटे बच्चे और व्यस्क शामिल होते हैं.
– सोने का समय निश्चित न होना- कई लोगों का काम ऐसा होता है जिन्हें कभी कई रात जागना होता है ऐसे में उनकी स्लीप साइकिल अवरूद्ध हो जाती है और उन्हें भी ये समस्या हो सकती है.
क्या होते हैं लक्षण
– नींद आने में परेशानी होना
– बार-बार नींद टूटना
– नींद पूरी होने से पहले ही जाग जागना
– दिन में नींद आना
– थकान महसूस होना
– नींद न पूरी होने से सिर दर्द की शिकायत रहना
– नींद की कमी से चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन होना
– किसी काम पर फोकस करने में परेशानी होना
बचाव के उपाय
– सोने के घंटे सुनिश्चित करें, एक तय समय पर लाइट बंद करके सोने की कोशिश करें.
– नींद न आने पर लाइट डीम कर म्यूजिक की मदद से भी सोने की कोशिश करें.
– नींद की दवाइयां खाने से बचे, इसकी आदत पड़ सकती है इसलिए सोने के लिए नेचुरल तरीके इस्तेमाल करें.
– रात को किताबें पढ़ें. किताबें पढ़ने से आपको नींद आ सकती है.
– रात को ज्यादा देर फोन या लैपटॉप, या किसी तरह की स्क्रीन न देखें.
– रात की शिफ्ट करने से बचें, रात की शिफ्ट करनी पड़ रही है तो दिन में पूरी नींद लें.

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