क्या होती हैं HIV की दवाएं, अगर हो गया है ये संक्रमण तो फ्री में कैसे कराएं इलाज
HIV Infection medicines : एचआईवी वायरस दशकों पुराना है, लेकिन आज भी अगर कोई व्यक्ति इससे संक्रमित हो जाता है तो उसे लगता है कि दुनिया उसके लिए अब खत्म हो गई है. एचआईवी को लाइलाज माना जाता है और इस बीमारी के कुछ मरीज तो आत्महत्या तक कर लेते हैं. उनको लगता है कि एचआईवी मतलब मौत है, लेकिन हकीकत ऐसी नहीं है. अगर कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित होता है तो वह किसी सामान्य इंसान की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि समय पर बीमारी की पहचान हो और इसकी रोकथाम की दवाएं शुरू हो जाएं
एचआईवी की रोकथाम के लिए देश में एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) है. ये कई दवाओं से मिलकर बनी एक थेरेपी है जो एचआईवी को कंट्रोल करती है. थेरेपी से आप यह न समझें कि इसमें कोई एक्सरसाइज करनी है, बल्कि एआरटी को गोली के रूप में लिया जाता है. अधिकतर मरीजों को एआरटी की दवाएं दी जाती हैं. ये दवा एचआईवी को कंट्रोल करती हैं. देश के सभी सरकारी अस्पतालों में ये फ्री में मिलती हैं.
कैसे मिलती हैं एआरटी दवाएं
सफदरजंग हॉस्पिटल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि एआरटी दवाएं एचआईवी के वायरस को कंट्रोल में रखती हैं. इससे एचआईवी एड्स की बीमारी नहीं बनता है. अगर किसी व्यक्ति को एचआईवी के लक्षण दिखते हैं तो वह सरकारी अस्पताल जाकर अपना टेस्ट करा सकता है. एचआईवी का टेस्ट और इलाज गोपनीय रखा जाता है. अगर जांच में व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव मिलता है तो अस्पताल के एआरटी सेंटर में अपना रजिस्ट्रेशन कराकर वहां इलाज शुरू करा सकता है. अस्पताल में एचआईवी की जांच से लेकर दवाएं सब बिलकुल फ्री है.
एचआईवी के लिए एआरटी दवाएं दी जाती हैं. इनको खाने से मरीज का वायरस लोड कम होता है. दवा शुरू होने के कुछ महीनों बाद मरीज के वायरल लोड की भी जांच की जाती है कि यह कितना कम हो रहा है. वायरस लोड जितना कम होगा उतना ही मरीज के लिए बेहतर होता है. ऐसे में एचआईवी के हर मरीज को एंटीरेट्रोवायरल दवाएं लेनी चाहिए. अगर मरीज नियमित रूप से खुराक लेना भूल जाते हैं तो वायरस फिर से बढ़ना शुरू हो सकता है जो खतरनाक होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप दवाएं हर दिन समय पर जरूर लें.
सरकारी अस्पताल में कराएं एचआईवी की जांच
इस बात का भी ध्यान रखें कि अपनी एचआईवी की जांच सरकारी अस्पताल में कराएं. क्योंकि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो आपका रजिस्ट्रेशन वहीं हो जाएगा और ट्रीटमेंट भी सरकारी अस्पताल से ही चलेगा. अस्पताल के एआरटी सेंटर में एचआईवी की दवाएं फ्री मिलती हैं और हर महीने या सेंटर के अधिकारी के आदेश के मुताबिक आपको दवा लेने जाना होता है. दवा लेने के लिए मरीज का जाना जरूरी है.
लाइफस्टाइल का ध्यान रखें
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ. एलएच घोटेकर बताते हैं कि एचआईवी के हर मरीज को एआरटी दवाएं जरूर लेनी चाहिए. अगर मरीज इन दवाओं का यूज नहीं करता है तो कुछ सालों बाद एचआईवी वायरस एड्स बन जाता है. जो एक जानलेवा बीमारी होती है. अगर किसी व्यक्ति का लाइफस्टाइल खराब है तो भी एचआईवी उसके लिए खतरनाक बन सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये वायरस मरीज के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है. ऐसे में कोई भी बीमारी शरीर में गंभीर रूप ले सकती है
एचआईवी के बारे में जागरूकता जरूरी
डॉ. जुगर किशोर बताते हैं कि एचआईवी के बारे में जागरूता बढ़ानी अभी जरूरी है. अधिकतर लोगों को लगता है कि एचआईवी ही एड्स है, लेकिन ऐसा नहीं है. एचआईवी एक वायरस है तो एड्स बीमारी का कारण बनता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि अगर किसी को एचआईवी है तो एड्स होगा ही, अगर मरीज समय पर एआरटी दवाओं को खाना शुरू कर दे तो एचआईवी एड्स बनता नहीं है. कई मामलों में एचआईवी के वायरस का असर भी शरीर में कम हो सकता है.
दूसरी गलत धारणा यह होती है कि एचआईवी साथ रहने या खाने से फैलता है, लेकिन ऐसा नहीं है. ये वायरस असुरक्षित यौन संबंध, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और एक ही सिरिंज के इस्तेमाल से होता है.
एचआईवी के लक्षण
खाना निगलने में कठिनाई
हमेशा थकान बने रहना
मुंह में छाले
वजन कम होना
उल्टी और दस्त होना