क्यों कुछ महिलाओं को महीने में दो बार आ जाते हैं पीरियड्स? एक्सपर्ट्स से जानें
हर महिला को एक उम्र के बाद पीरियड्स आने शुरू होते हैं और हर महिला का मासिक धर्म का चक्र अलग-अलग होता है. ये पीरियड साइकिल 28 दिनों से लेकर 45 दिनों तक नॉर्मल मानी जाती है यानी कि इस अंतराल में किसी महिला को मासिक धर्म आते हैं लेकिन कई महिलाओं को महीने में दो बार पीरियड्स होते हैं जो कि सामान्य नहीं है. अगर ऐसा है तो महिला को डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए क्योंकि पीरियड्स की अनियमितता शरीर में कई बातों का संकेत होती है.
क्यों होते हैं महीने में दो बार पीरियड
सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर नुपुर गुप्ता कहती हैं कि महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन पीरियड्स को रेगुलेट करते हैं. ख़राब लाइफस्टाइल, यूटरस के साइज में बदलाव की वजह से इन हॉर्मोन के बैलेंस में बदलाव आ जाता है इससे पीरियड्स साइकिल में भी बदलाव देखने को मिलता है. यही वजह है कि कई महिलाओं में पीरियड्स की अनियमितता देखी जाती है. हार्मोन में किसी भी तरह की अनियमितता पीरियड्स पर असर डालती है जिससे महीने में दो बार पीरियड्स हो सकते हैं. लेकिन ये सामान्य नहीं है इसलिए ऐसा होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
स्ट्रेस भी है कारण
डॉक्टर नुपुर कहती हैं कि कई महिलाओं में हार्मोन के साथ साथ स्ट्रेस भी इसकी एक बड़ी वजह है. स्ट्रेस हमारे हार्मोंस पर बुरा असर डालता है यही कारण है कि जो महिलाएं ज्यादा स्ट्रेस में रहती हैं उनमें पीरियड्स की अनियमितता ज्यादा देखी जाती है.
थायरॉइड भी है बड़ी वजह
थायरॉइड के कारण भी पीरियड्स में अनियमितता हो सकती है. दरअसल, प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन हार्मोंस जो कि पीरियड्स को रेगुलेट करते हैं उनका प्रोडक्शन थायरॉइड ग्रंथि में ही होता है. इसलिए जिन महिलाओं को थायरॉइड से जुड़ी समस्या होती है उनके पीरियड्स अधिकतर अनियमित होते हैं. हाइपरथायरॉइडिज्म की स्थिति में जहां पीरियड्स आने में देरी होती है वहीं हाइपोथायरॉइडिज्म में महीने में दो बार पीरियड्स हो सकते हैं और पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग भी होती है.
अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो बिना देरी किए आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए, डॉक्टर कुछ टेस्टों की मदद से इसके होने का कारण जान उसका उपचार कर सकते हैं. हार्मोंस को ठीक कर पीरियड्स को रेगुलर किया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है स्ट्रेस को मैनेज करना. स्ट्रेस हर हार्मोन पर बुरा असर डालता है इसलिए हार्मोन को ठीक करने के लिए स्ट्रेस को मैनेज करना बेहद ज्यादा जरूरी है. इसके लिए योगा और मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं साथ ही हार्मोंस की दवाई लेकर हार्मोंस की अनियमितता को भी दूर किया जा सकता है. वर्ना इसका इलाज न कराया जाए तो ये आगे चलकर गंभीर समस्या बन सकती है.