गहरे समंदर से कम नहीं भारत का शेयर बाजार, 30 करोड़ लोग करते हैं 800 लाख करोड़ का करोबार
कोविड महामारी से पहले शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या काफी कम थी. आम लोग शेयर बाजार में हाथ डालने से डरते थे. कोविड महामारी आई और शेयर बाजार में काफी गिरावट देखने को मिली. उसके बाद अचानक से निवेशकों की संख्या में इजाफा देखने को मिला. खासकर युवा निवेशकों की तो बाढ़ सी आ गई. जो यंग प्रोफेशनल वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे, या फिर जिन लोगों की नौकरी कोविड की वजह से चली गई थी, उन्होंने अपनी सेविंग्स को शेयर बाजार में निवेश करना शुरू किया.
इसका नतीजा ये हुआ कि शेयर बाजार के दोनों एक्सचेंज बीएसई और एनएसई को स्थानीय निवेशकों की मजबूती मिली. साथ ही विदेशी निवेशकों की निर्भरता कम हुई. यही वजह है कि मौजूदा दौर में विदेशी निवेशक लगातार अपना पैसा निकाल रहे हैं, लेकिन देश का खुदरा निवेशक बाजार में निवेश कर परिस्थितियों को संभाले हुए है. दूसरी बात स्थानीय निवेशकों की संख्या में लगातार इजाफा होने की वजह से देश के साइज में बढ़ोतरी हो चुकी है.
मौजूदा समय में दोनों एक्सचेंज के मार्केट कैप को मिला दिया जाए तो 10 ट्रिलियन डॉलर यानी 800 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का हो चुका है. ऐसे में आखिर बीते 5 सालों में भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या में किस तरह का इजाफा देखने को मिला है.
कैसे बढ़ी बीएसई निवेशकों की संख्या
अगर बात 5 साल पहले की करें तो शेयर बाजार निवेशकों की संख्या काफी कम थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2018 में बीएसई में रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या करीब 4 करोड़ थी. जिसमें लगातार इजाफा देखने को मिला था. खासकर कोविड के बाद निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ती गई. मई 2020 में बीएसई के निवेशकों की संख्या में 5 करोड़ हो गई. करीब 6 महीने के बाद इसमें एक करोड़ निवेशकों का और इजाफा देखने को मिला और जनवरी 2021 में निवेशकों की संख्या 6 करोड़ के पार हो गई. साल 2021 में कोविड के पीक ईयर में शेयर बाजार निवेशकों की संख्या में 4 करोड़ से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है. मार्च 2022 में शेयर बाजार निवेशकों की संख्या 10 करोड़ के ऊपर पहुंच गई थी.
एनएसई के निवेशकों की संख्या में भी इजाफा
वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निवेशकों की बात करें तो इसमें भी तेजी देखने को मिली है. आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में एनएसई में निवेशकों की संख्या 1.80 करोड़ थी. जो साल 2018 में बढ़कर 3 करोड़ हो गई. 2020 में इसमें इजाफा देखने को मिला और 3.7 करोड़ निवेशक हो गए. साल में 2021 में इसमें जबरदस्त इजाफा देखने को मिला और निवेशकों की संख्या 5.4 करोड़ हो गई. जोकि साल 2023 खत्म होते ही 8.35 करोड़ देखने को मिली. जानकारों की मानें तो इस आंकड़ें को देखने के बाद पता चलता है कि कोविड पीरियड के दौरान निवेशकों की संख्या में अच्छा इजाफा देखने को मिला है.
देश में 30 करोड़ निवेशक
मौजूदा दौर की बात करें तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निवेशकों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो 30 करोड़ से ज्यादा देखने को मिल रही है. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार देश में रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या 17.40 करोड़ हो चुकी है. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निवेशकों की बात करें तो फरवरी 2024 में निवेशकों की संख्या 12 करोड़ हो गई थी. जोकि मौजूदा समय में बढ़कर 13 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है. इसका मतलब है कि दोनों एक्सचेंज के टोटल निवेशकों की संख्या मौजूदा समय में 30 करोड़ को पार कर चुकी है. जिस तेजी के साथ निवेशकों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है. जल्द ही निवेशकों की संख्या 50 करोड़ के पार जा सकती है.
10 ट्रिलियन डॉलर का बाजार
बीते कुछ सालों में शेयर बाजार के साइज में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है. बीएसई और एनएसई दोनों का मार्केट कैप 5—5 ट्रिलियन डॉलर के लेवल को पार कर गया है. इसका मतलब है कि दोनों एक्सचेंज का टोटल मार्केट कैप 10 ट्रिलियन डॉलर यानी 800 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है. 28 मई 2019 में बीएसई का मार्केट कैप 1,54,11,381.88 करोड़ रुपए था. जो 27 मई 2024 में बीएसई का मार्केट कैप 4,19,95,493.34 करोड़ रुपए हो गई है. इसका मतलब है कि इन पांच सालों में मार्केट कैप में करीब 3 गुना का इजाफा देखने को मिला है. वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का मार्केट कैप 27 मई 2024 को 415 लाख करोड़ रुपए के पार जा चुका है. इसका मतलब है कि दोनों एक्सचेंजों का मार्केट कैप 835 लाख करोड़ रुपए यानी 10.06 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच चुका है.