ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर एस्सार ग्रुप की बड़ी प्लानिंग, करने जा रही 30,000 करोड़ रुपए का निवेश
एस्सार ग्रुप गुजरात के जामनगर में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित करने के लिए अगले चार साल में 30,000 करोड़ रुपए के निवेश की योजना बना रहा है. धातु से लेकर बुनियादी ढांचे तक अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाला यह समूह अपनी वृद्धि के लिए स्वच्छ ऊर्जा को एक प्रमुख स्तंभ के रूप में देख रहा है. समूह के निवेश पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने वाली एस्सार कैपिटल के डायरेक्टर प्रशांत रुइया ने कहा कि समूह ब्रिटेन में अपनी तेल रिफाइनरी में कार्बन उत्सर्जन कम करने, सऊदी अरब में एलएनजी और इलेक्ट्रिक इकोसिस्टम बनाने पर विचार कर रहा है.
ग्रुप मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी, सौर पैनल और विंड-टर्बाइन मैग्नेट में उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिजों के खनन कारोबार में प्रवेश करने पर भी विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि एस्सार फ्यूचर एनर्जी ने अगले चार वर्षों में जामनगर में एक गीगावाट हाइड्रोजन क्षमता के साथ ही 10 लाख टन प्रति वर्ष की ग्रीन मॉलेक्यूल्स क्षमता विकसित करने की योजना बनाई है.
ये होगी खासियत
रुइया ने कहा कि हम जामनगर में ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना में लगभग 30,000 करोड़ रुपए का निवेश करने जा रहे हैं. एस्सार अपनी सहयोगी कंपनी एस्सार रिन्यूएबल्स के जरिये 4.5 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग पानी के अणुओं को विभाजित करने के लिए करेगा, जिससे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाएगा. हाइड्रोजन दुनिया में ऊर्जा का सबसे स्वच्छ स्रोत है, जिसका उपयोग वाहन चलाने, बिजली पैदा करने, उद्योगों को बिजली देने और घरों को गर्म रखने के लिए किया जा सकता है.
ये है कंपनी का प्लान
उन्होंने कहा कि विचार यह है कि हरित अमोनिया के बजाय ऐसे ग्रीन मॉलेक्यूल्स बनाए जाएं, जिन्हें सीधे ले जाया जा सके. ग्रीन अमोनिया को ले जाकर उसे हाइड्रोजन में बदला जाता है. इसकी लागत बहुत अधिक है. इसलिए हम एक ऐसा परिसर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो हाइड्रोजन से ग्रीन मॉलेक्यूल्स बना सके और बड़े पैमाने पर जैव ईंधन का निर्यात किया जा सके.
कर्ज फ्री हो चुकी है कंपनी
समूह कुछ बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों को बेचने के बाद 2022 में कर्ज मुक्त हो गया था. उसने अब रिन्यूएबल एनर्जी प्लेटफॉर्म बनाने के साथ ही कोयले से बिजली पैदा करने की अपनी क्षमता बढ़ाने का फैसला भी किया है. रुइया ने कहा कि अगले 3-5 वर्षों में लगभग 10,000 मेगावाट तक बढ़ने का विचार है. उन्होंने कहा कि ग्रीन परिवहन समाधान के क्षेत्र में एस्सार लंबी दूरी के भारी ट्रक को कार्बन उत्सर्जन मुक्त करने के लिए एलएनजी और इलेक्ट्रिक इकोसिस्टम बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
उन्होंने कहा कि समूह के पास 450 से 500 एलएनजी संचालित ट्रकों का बेड़ा है, जिनका उपयोग विभिन्न लॉजिस्टिक जरूरतों के लिए किया जाता है. ट्रक सड़क पर सबसे अधिक प्रदूषण करते हैं. इनसे प्रति ट्रक लगभग 110 टन कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होता है. देश में 40 लाख ट्रक हैं और निकट भविष्य में यह संख्या दोगुनी होने वाली है. ट्रकों में डीजल की जगह एलएनजी का इस्तेमाल करने से कार्बन उत्सर्जन में 30-35 प्रतिशत की कमी आती है. उन्होंने बताया इसके अलावा समूह इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा दे रहा है. इस तरह कार्बन उत्सर्जन में लगभग 60-70 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है.