चीन के बजाय इंडिया के साथ 1 बिलियन डॉलर की डील करना चाहती हैं शेख हसीना, वजह हैरान कर देगी

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना चीन पर अपने देश की निर्भरता कम करने के लिए हर संभव प्रयास करती दिख रही हैं. बीजिंग की अपनी यात्रा को बीच में ही समाप्त करके ढाका लौट आई हैं. उन्होंने यात्रा रद्द करने के कुछ ही घंटों बाद कहा कि बांग्लादेश की ओर 1 बिलियन डॉलर की तीस्ता नदी विकास परियोजना को पूरा करने में वह चीन के बजाय भारत को प्राथमिकता देंगी.
क्यों भारत के साथ डील करना चाहती हैं हसीना?
हसीना ने संवाददाताओं से कहा कि चीन तैयार है, लेकिन मैं चाहती हूं कि भारत इस परियोजना को करे. यह जवाब उन्होंने तब दिया जब उनसे पूछा गया कि क्या वह तीस्ता परियोजना के लिए भारत या चीन के साथ जाएंगी. उन्होंने बताया कि दोनों देश इस डील पर काम करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें भारत के साथ काम करना अधिक पसंद आ रहा है.
हसीना ने कहा कि किस देश के साथ हम यह डील करते हैं यह समय तय करेगा, लेकिन अगर भारत इस काम को करता है तो वह अधिक प्राथमिकता देंगी, क्योंकि भारत ने तीस्ता के पानी को रोक रखा है. वह बताती हैं कि भारत वह चीज मिल सकती है, जिसे उन्हें सबसे अधिक जरूरत है. जबकि चीन ऐसा नहीं कर सकता है.
क्यों ठुकराया चीन का ऑफर?
शेख हसीना उम्मीद कर रही थीं कि चीन उन्हें 4 लाख करोड़ का लोन तो दे ही देगा. मगर चीन ने जो लोन ऑफर किया उसे जानकर बांग्लादेश हैरान था. चीन उसे 900 करोड़ का लोन ही ऑफर कर रहा था. बांग्लादेश हैरान था कि चीन की कथनी और करनी में इतना फर्क है. कहा जा रहा है कि शेख हसीना इससे नाखुश थीं और इन्हीं वजहों से उन्होंने यात्रा तय समय से पहले ही खत्म कर दी.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, चीन से मिलने वाले ऑफर से ढाका खुश नहीं था, क्योंकि ढाका ज्यादा की उम्मीद कर रहा था. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को शी के साथ लंबी बातचीत की उम्मीद थी लेकिन केवल संक्षिप्त बातचीत ही हो पाई. इसके अलावा चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने शेख हसीना से मुलाकात तक नहीं की. यही नहीं, चीनी मीडिया ने भी शेख हसीना के दौरे को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया.
पीएम मोदी के शपथ में शामिल होने भारत आईं थी शेख हसीना
चीन के दौरे से पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री भारत आई थीं. वह इस साल दो बार भारत का दौरा कर चुकी हैं.दोनों यात्राएं जून में हुईं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुईं और बाद में द्विपक्षीय राजकीय यात्रा पर दिल्ली आईं . नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी विदेशी नेता की यह पहली यात्रा थी.
वहीं, उन्होंने आखिरी बार जुलाई 2019 में चीन का दौरा किया था. चीन और बांग्लादेश के संबंध मधुर रहे हैं. लेकिन भारत और बांग्लादेश की बढ़ती नजदीकियों से चीन को मिर्ची लग जाती है. बांग्लादेश को अपने पाले में करने के लिए ही वो उसे लोन देता है. चीनबांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. हालांकि इससे पहले भारत के साथ ये जुड़ा था.

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