जापान और दक्षिण कोरिया से कौन सी टेक्नोलॉजी चाहता है भारत, किसमें हासिल करनी है महारत?

भारत देश में घरेलू जहाज सप्लाई चेन को बढ़ावा देने के लिए जहाज मैन्युफैक्चरिंग और शिप रिपेयर सेंटर (क्लस्टर) स्थापित करने के लिए दक्षिण कोरिया और जापान से निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की डिमांड कर रहा है. मौजूदा समय में भारत के पास ग्लोबल शिप मैन्युफैक्चरिंग मार्केट का एक फीसदी से भी कम हिस्सा है. इस बाजार में चीन, दक्षिण कोरिया और जापान का दबदबा है. आदए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारत की दक्षिण कोरिया और जापान से इस मामले किस जरह की बातचीत चल रही है.
शिप मैन्युफैक्चरिंग पार्क की योजना
बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव टीके रामचंद्रन ने पत्रकारों से कहा कि हम भारत में शिप मैन्युफैक्चरिंग और शिप रिपेयर सेंटर स्थापित करने के लिए इंवेस्टमेंट और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए दक्षिण कोरिया और जापान की ओर देख रहे हैं. रामचंद्रन 20वीं समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) में भाग लेने के लिए गोवा में थे, जहां कई राज्यों में एक विशाल शिप मैन्युफैक्चरिंग पार्क की योजना पर चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि हमने उनसे (दक्षिण कोरिया और जापान से) कहा है कि आप अपनी टेक्नोलॉजी और इंवेस्टमेंट के साथ आइए, हम आपको जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत कलस्टर स्थापित करने के लिए जमीन उपलब्ध कराएंगे.
राज्यों को लिखा गया है लेटर
रामचंद्रन ने कहा कि केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सभी राज्यों के चीफ मिनिस्टर्स को लेटर लिखकर कहा है कि यदि जापानी या कोरियाई कंपनियां उनके राज्यों में जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत कलस्टर स्थापित करने में रुचि दिखाती हैं तो उन्हें तुरंत जमीन उपलब्ध करानी चाहिए. महाराष्ट्र के पालघर जिले के दहानू शहर के नजदीक वाढवण पोर्ट तैयार किया जा रहा है. जो कि देश का सबसे बड़ा पोर्ट होगा. इस पोर्ट के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य एक वर्ल्ड क्लास समुद्री एंट्री प्वाइंट स्थापित करना है. इस पोर्ट के निर्माण में 76 हजार करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है.

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