दिल्ली सरकार ने संवेदनहीनता दिखाई… 422 पेड़ों को काटने की अनुमति देने पर SC की फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिणी रिज के आरक्षित वन क्षेत्र में सड़क बनाने के लिए 422 पेड़ों को काटने की अनुमति देने की खातिर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पर्यावरण की रक्षा के प्रति संवेदनहीनता दिखाई है. बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस अभय एस ओका और जज उज्जल भुइयां की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.
पीठ ने कहा कि यह एक स्वीकार्य स्थिति है जैसा कि पेड़ अधिकारी द्वारा दिए गए बयान से पता चलता है कि 422 पेड़ों को काटने के लिए अधिकारी ने कोई अनुमति नहीं दी थी. अदालत सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए रिज वन क्षेत्र में 1,100 पेड़ों को कथित रूप से काटने के मामले में अवमानना कार्यवाही की सुनवाई कर रहा था. कोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष के खिलाफ खुद संज्ञान लिया था.
दिल्ली सरकार ने संवेदनहीनता दिखाई- SC
इससे पहले पीठ ने 12 जुलाई को दिए आदेश में कहा, ‘दिल्ली सरकार को 422 पेड़ों को काटने की अनुमति देने का दोष स्वीकार करना चाहिए, हालांकि दिल्ली सरकार को ऐसी अनुमति देने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है.’ कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रकार, रिज क्षेत्र के पेड़ों के अलावा, सरकार ने दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 के तहत अनुमति के बिना रिज क्षेत्र के बाहर के पेड़ों को काटने में मदद की.
ये भी पढ़ें- Karnataka Reservation: प्राइवेट जॉब में 100 फीसदी आरक्षण, विवाद के बाद CM सिद्धारमैया ने डिलीट किया पोस्ट
कोर्ट ने कहा कि डीडीए की तरह ही दिल्ली सरकार ने पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर संवेदनहीनता दिखाई है. पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पेड़ अधिकारी और वृक्ष प्राधिकरण को कार्यालय या बुनियादी ढांचा भी उपलब्ध नहीं कराया है. दो जजों की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार को अदालत के सामने आकर बताना चाहिए कि ‘वह अपने अवैध कृत्यों के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई कैसे करेगी.’
यह एकमात्र मामला नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार के हलफनामे से पता चलता है कि यह एकमात्र मामला नहीं है, जहां दिल्ली सरकार के वन विभाग ने पेड़ों की कटाई की अनुमति दी है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार को उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई रिपोर्ट भी पेश करनी चाहिए, जिन पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने का आरोप है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *