दुनियाभर में 100 से ज्यादा मंदिर, करोड़ों भक्त…बांग्लादेश में ही क्यों निशाने पर रहता है ISKCON?

अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ यानी ISKCON चर्चा में है. वजह पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में उसके सबसे बड़े चेहरे चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी है. चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को गिरफ्तार किया गया. वह जब ढाका से चटगांव जा रहे थे, तब उनकी गिरफ्तारी हुई. बांग्लादेशी पुलिस के एक्शन के बाद हिंदुओं में गुस्सा है. वो कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. सैकड़ों लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
भारत ने चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर चिंता जाहिर की है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से हम चिंतित हैं. यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है. विदेश मंत्रालय ने दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर भी चिंता जताई.
चिन्मय दास पर क्या आरोप?
चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए मुखर आवाज रहे हैं. उनपर सरकार के खिलाफ बोलने और अल्पसंख्यक अधिकारों की वकालत करने का आरोप है. चटगांव के कोतवाली थाने में 30 अक्टूबर को चिन्मय दास समेत 19 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. उन पर हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान चटगांव के न्यू मार्केट इलाके में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया.
चिन्मय दास बांग्लादेश में ISKCON के साथ हिंदुओं के भी सबसे बड़े चेहरे रहे हैं. उन्होंने वहां पर इस्कॉन का खूब प्रचार और प्रसार किया. ये सब कुछ तब हो रहा है जब बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी घट रही है. ऐसे वक्त में मोहम्मद युनूस को इस्कॉन का बांग्लादेशी हिंदुओं को जागरूक करना रास नहीं आ रहा है. सत्ता में उनके आने के बाद से ही हिंदुओं पर हमला बढ़ा है. इस्कॉन तो खासतौर से उनके निशाने पर है. उसपर बैन की मांग भी उठी है.
ISKCON को जानिए
इस्कॉन वो संस्था है जो लोगों को भगवान श्रीकृष्ण के प्रति जागरूक करता है. वो भगवत गीता का संदेश घर-घर पहुंचाने का काम करता है. स्वामी श्रीलप्रभुपाद ने 11 जुलाई, 1966 को इसकी स्थापना की थी. दुनियाभर में इसके 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. आम लोगों में इसकी पहचान हरे कृष्ण हरे राम वाले मंदिर के तौर पर रही है.
भारत ही नहीं अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, पाकिस्तान जैसे देशों में भी इसके मंदिर हैं. कुल मिलाकर दुनियाभर में इस्कॉन के 108 मंदिर हैं. इसके कई केंद्र भी हैं. अकेले बांग्लादेश की बात करें तो ढाका, राजशाही, चटगांव, सिल्हट, रंगपुर, खुलना, बरीशल, मिमनसिंह में इसके मंदिर हैं.
बांग्लादेश में क्यों निशाने पर ISKCON?
ISKCON के मंदिर बांग्लादेश ही नहीं पाकिस्तान में भी हैं. लेकिन बांग्लादेश में वो जितना निशाने पर रहता है उतना पाकिस्तान में भी नहीं रहता. एक समय बांग्लादेश की आबादी में लगभग 20% हिंदू हुआ करते थे, लेकिन अब उनकी संख्या घटकर 9% से भी कम रह गई है. दशकों से उन्हें शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी का समर्थन मिलता रहा, लेकिन सत्ता बदलते ही हिंदुओं के बुरे दिन भी शुरू हो गए.
समुदाय के नेताओं का दावा है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हमेशा उपद्रवियों और दंगाइयों का आसान निशाना होते हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2013 और सितंबर 2021 के बीच हिंदू समुदाय पर कम से कम 3,679 हमले हुए.
हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद हिंदुओं को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों के साथ-साथ हसीना की पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमलों को रोकने में विफल रही है. हाल ही में बांग्लादेश को इस्लामिक राज्य घोषित करने की मांग भी उठी. देश के अटॉर्नी जनरल एमडी असदुज्जमां ने कोर्ट में कहा था कि समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता उस देश की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं जहां 90% आबादी मुस्लिम है.
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई को ISKCON और चिन्मय दास उठाते रहे हैं. इस्कॉन पर बांग्लादेश की राजनीति में हस्तक्षेप करने का आरोप लग चुका है. इसके अलावा ये भी कहा गया इस्कॉन ये नैरेटिव बना रहा है कि हिंदू बांग्लादेश में असुरक्षित हैं.
बांग्लादेश में इस्कॉन की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है. यहां पर उसके फॉलोअर्स में बढ़ोतरी हो रही है. हिंदुओं के कई त्योहार में इस्कॉन बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. जन्माष्टमी में तो खासतौर से. जरूरतमंदों को वो रासन भी मुहैया कराता है. इस्कॉन का यही प्रचार और प्रसार युनूस सरकार को रास नहीं आता और बौखलाहट में उसके खिलाफ एक्शन ले रही है.

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