नगालैंड: शंकराचार्य को एयरपोर्ट से लौटना पड़ा वापस, गौ ध्वज यात्रा पर लगा प्रतिबंध

नगालैंड सरकार ने गुरुवार को साधु की ओर से गौ ध्वज यात्रा निकालने पर रोक लगा दी है. ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के लिए नगालैंड पहुंचे एक संत और पांच अन्य लोगों को राज्य सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण लौटने को कहा गया. इसमें ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती समेत पांच अन्य लोगों के साथ गुरुवार को दीमापुर पहुंचे. हालांकि, उन्हें सरकार के रोक लगाए जाने के बाद वापस लौटना पड़ा. ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा का उद्देश्य गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने और गोहत्या पर रोक लगाने की मांग को लेकर किया जाना था.
शंकराचार्य को एयर पोर्ट से बाहर निकलने नहीं मिला
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा निकालनी थी. जिसका उद्देश्य गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने और गोहत्या पर रोक लगाने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू करना था. एक अधिकारी ने हालांकि बताया कि दीमापुर हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद राज्य सरकार के आदेश के कारण शंकराचार्य को हवाई अड्डे से बाहर निकलने से रोक दिया गया.
चुमौकेदिमा जिले के उपायुक्त पोलन जॉन ने बताया, ‘राज्य सरकार के आदेश के अनुसार स्वामी और अन्य को हवाई अड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई.’ उपायुक्त ने उन्हें और बाकी संतों को राज्य सरकार के उस निर्णय के बारे में बताया, जिसमें गौ ध्वज यात्रा की अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया गया है.
मुझे क्यों रोका जा रहा है?
गौ ध्वज यात्रा का आयोजन गौहत्या पर प्रतिबंध को बढ़ावा देने के लिए किया गया था. इससे एक दिन पहले सिक्किम पहुंचे स्वामी अविमुक्मंश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि वो बस इतना चाहते हैं कि उन्हें यात्रा करने और लोगों के साथ संवाद करने का अवसर मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि लेकिन नागालैंड सरकार ने फैसला किया कि मुझे राज्य में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.
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उन्होंने आगे कहा था कि वो नगालैंड में नफरत फैलाने नहीं बल्कि प्यार और ज्ञान बांटने जाना चाहते हैं. इस दौरान वो लोगों से गायों की पवित्रता के बारे में बात करते और सद्भावना का संदेश देते. उन्होंने कहा कि ऐसे में मुझे क्यों रोका जा रहा है? ये राज्य सरकार का गलत फैसला है.

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