नीतीश को दिए नसीहत पर JDU ने अखिलेश पर किया पलटवार, पूछा-आपने JP के मूल्यों को अपनाया
जनता दल (यूनाइटेड) ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार किया. अखिलेश ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने की नसीहत दी थी, जिसके बाद जेडीयू ने उन पर पलटवार किया. जेडीयू ने अखिलेश पर परिवारवाद को लेकर निशाना साधा. जेडीयू ने कहा कि समाजवादी विचारक जयप्रकाश नारायण ने जिन जीवन मूल्यों को अपनाया, अगर अखिलेश ने उन्हें थोड़ा सा भी अपनाया होता, तो समाजवादी पार्टी में एक परिवार का पूरा आधिपत्य नहीं होता.
इससे पहले अखिलेश यादव ने लखनऊ में जयप्रकाश नारायण की जयंती पर श्रद्धांजलि देने से समाजवादियों को रोके जाने का आरोप लगाया था और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बीजेपी से अपना समर्थन वापस लेने का आग्रह किया था.
समाजवादी देश के सिस्टम को चलाते
दरअसल गुरुवार की रात जब अखिलेश जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर जा रहे थे, तो उन्हें अंदर जाने से रोका गया. बताया जा रहा है कि सेंटर के प्रवेश द्वार पर टिन की चादरों से रास्ता बंद कर दिया गया था. इसके बाद अखिलेश ने बीजेपी सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि बहुत सारे समाजवादी लोग हैं, जो सरकार का हिस्सा हैं और देश की व्यवस्था को चला रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री उनमें से एक हैं, क्योंकि वे समय-समय पर जयप्रकाश नारायण के बारे में बात करते रहते हैं. अगर नीतीश वास्तव में जेपी के आंदोलन से उभरे हैं, तो उन्हें सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिए. क्योंकि यह सरकार समाजवादियों को उनकी जयंती पर उन्हें याद करने से रोक रही है.
JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन का पलटवार
वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने अखिलेश के इस बयान को हैरतअंगेज करार दिया और उन्हें नसीहत दी कि लोकनायक को केवल श्रद्धांजलि तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए. उन्होंने कहा, जीवन मूल्यों के लिए जयप्रकाश नारायण आजीवन संघर्षरत रहे. उन्होंने संपूर्ण क्रांति की अवधारणा दी. उन्होंने परिवारवाद, वंशवाद और व्यवस्था परिवर्तन को लेकर जो आह्वान किया.
अगर थोड़ा भी अखिलेश यादव ने उन जीवन मूल्यों को तरजीह दी होती, तो समाजवादी पार्टी पर एक परिवार का संपूर्ण आधिपत्य नहीं होता.
महामानवों का कोई दिवस नहीं
रंजन ने अखिलेश यादव पर जयप्रकाश नारायण की जयंती के दिन संकीर्ण राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि जहां तक श्रद्धांजलि में रोके जाने का सवाल है, तो उन्हें आधी रात के बजाय जयंती के दिन का चयन करना चाहिए था. उन्होंने कहा ऐसे महामानवों की स्मृति में जब भी कोई दिवस आयोजित किया जाता है, तो जनता ऐसी संकीर्ण राजनीति पसंद नहीं करती.