Income Tax Regime: नए और पुराने टैक्स रिजीम में से कौन सा है ज्यादा फायदेमंद, टैक्सपेयर्स जरूर जान लें

आयकर विभाग या इनकम टैक्स (Income Tax) के लिए नया साल (New Year) शुरू हो चुका है। इसके साथ ही इनकम टैक्स बचाने और टैक्स डिक्लरेशन के लिए भी दफ्तर से मेल आना शुरू हो गया होगा।

यह मेल होगा इनकम टैक्स रिजीम (Income Tax Regime) के बारे में। दफ्तर ने पूछना शुरू कर दिया है कि इस साल वह किस व्यवस्था के तहत रहना चाहेंगे, न्यू या ओल्ड टैक्स रिजीम?

इनकम टैक्स एक्सपर्ट चार्टर्ड अकाउंटेंट सी. कमलेश कुमार आज हमें बता रहें हैं कि कौन सी टैक्स रिजीम किन टैक्सपेयर्स (Income Tax Payers) के लिए अच्छी रहेगी।

न्यू टैक्स रिजीम को बनाया गया है आकर्षक

पिछले साल यानी 2023-24 के बजट प्रस्ताव में ही केंद्र सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम को थोड़ा आकर्षक बना दिया है। अब इसमें टैक्स रिबेट (Tax Rebate In New Tax Regime) को बढ़ाया गया है। अब यह सीमा दो लाख रुपये की हो चुकी है।

मतलब कि अब यदि कोई टैक्स पेयर नई टैक्स रिजीम चुनता है तो उसे 5 लाख रुपये की जगह 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं दनेा होगा।

इसके साथ ही सैलेरिड को इसी साल से नई कर व्यवस्था में भी 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन (Rs.50,000 Standard Deduction In New Tax Regime) का लाभ मिलेगा। इस तरह, जिनकी कुल सालाना आमदनी 7.5 लाख रुपये है, वो नई टैक्स रिजीम चुनकर टैक्स मुक्त हो जाएंगे।

पुरानी व्यवस्था में क्या है 

आयकर की पुरानी व्यवस्था यानी ओल्ड टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स से मुक्त होने की सालाना आय सीमा 5.50 लाख रुपये (Tax Rebate In Old Tax Regime) ही है। अगर कोई टैक्स पेयर पुरानी कर व्यवस्था चुन कर इनकम टैक्स की विभिन्न धाराओं के तहत डिडक्शन का लाभ लेता है।

और अपनी कर योग्य आमदनी 5.50 लाख रुपये तक ले आता है, तो उसका इनकम टैक्स जीरो हो जाएगा। पिछले कई बजट में पुरानी कर व्यवस्था की छूट राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

ओल्ड टैक्स रिजीम चुनें या नई टैक्स रिजीम

पिछले साल के बजट में न्यू टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने के लिए कुछ प्रावधान किए गए थे। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे आकर्षक बनाने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन का तोहफा दिया था। साथ ही टैक्स रिबेट की सीमा को भी बढ़ा कर दो लाख रुपये तक कर दिया गया था।

जहां तक ओल्ड रिजीम की बात है तो उसे ज्यों का त्यों छोड़ दिया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या न्यू टैक्स रिजीम बेहतर है? क्या पुरानी व्यवस्था को बाय बाय बोल दिया जाए? इसका एक सामान्य जवाब नहीं हो सकता है।

क्योंकि, पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 80सी से लेकर इनकम टैक्स कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत निवेश की रकम तय करेगी कि किसी खास करदाता के लिए न्यू टैक्स रिजीम अच्छा है या पुराना। लेकिन यह ध्यान देना जरूरी है.

कि टैक्स में छूट दिलाने वाले आयकर अधिनियम के जितने ज्यादा प्रावधानों का जितनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जाएगा, नई टैक्स रिजीम के मुकाबले ओल्ड टैक्स रिजीम उतनी ही ज्यादा फायदेमंद होती जाएगी।

बच्चे पढ़ते हैं, होम लोन भी ले रखा है तो कौन सा ठीक

अगर किसी वेतनभोगी व्यक्ति को दो बच्चे हैं और हर महीने करीब 20 हजार रुपये की फीस (School Fees) भरते हैं। तो इनके लिए ओल्ड टैक्स रिजीम ही ठीक है। इसी तरह कोई व्यक्ति होम लोन (Home Loan) लिए हुए है, तो उनके लिए भी पुरानी व्यवस्था ही ठीक है।

इस व्यवस्था में उन्हें होम लोन के ब्याज (Home Loan Interest Payment) और मूल धन (Principal Repayment), दोनों पर छूट मिलेगी। इसी तरह कोई व्यक्ति अपने बूढ़े माता-पिता के साथ रहते हैं और उनके लिए अलग से मेडिकल इंश्योरेंस (Health Insurance) ले रखा है, तो उन्हें भी पुरानी व्यवस्था में ही ज्यादा लाभ होगा।

7.5 लाख तक कमाते हैं तो कौन सा ठीक

अगर कोई व्यक्ति साल भर में 7.50 लाख रुपये तक अर्जित करता है और एक पैसे का भी इनवेस्टमेंट नहीं करता है तो तो उनके लिए नई व्यवस्था ही ठीक है। ऐसे व्यक्ति न्यू टैक्स रिजीम को न्यू टैक्स रिजीम में एक पैसा भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा।

इसके उलट उन्हें पुरानी व्यवस्था में जीरो टैक्स करने के लिए कम से कम दो लाख रुपये का इनवेस्टमेंट करना होगा। इस समय जो लोगों की जीवन शैली है, उसमें 7.50 लाख रुपये की सालाना सैलरी वाले व्यक्ति के लिए एक साल में दो लाख रुपये का इनवेस्टमेंट कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

पुरानी व्यवस्था में 10 लाख तक की आमदनी पर जीरो टैक्स

यदि कोई करदाता पुराने टैक्स रिजीम को चुनता है तो वह साल में 10 लाख रुपये की आमदनी पर भी पूरा का पूरा टैक्स बचा सकता है। वह 50 हजार रुपये का लाभ स्टेंडर्ड डिडक्शन में ले सकता है, डेढ़ लाख रुपये का लाभ 80सी में ले लेगा, दो लाख रुपये तक का टैक्स छूट होम लोन के इंटरेस्ट पेमेंट या एचआरए के मद में ले सकता है और 50 हजार रुपये पर टैक्स छूट एनपीएस में नइवेस्ट कर ले सकता है।

अपने और बूढ़े माता-पिता के मेडिकल इंश्योरेंस पर भी वह 80 हजार रुपये तक बचा सकता है। इस तरह से उनकी नेट टैक्सेबल इनकम पांच लाख रुपये से नीचे हो जाएगी।

पुरानी और नई टैक्स रिजीम के स्लैब्स

ओल्ड टैक्स रिजीम – (60 वर्ष से कम उम्र वालों के लिए)

0 से 2.5 लाख तक 0 टैक्स

2,50,001 से 5 लाख- 5 प्रतिशत

5,00,001 से 10 लाख -20 प्रतिशत

10,00,001 लाख से अधिक- 30 प्रतिशत

न्यू टैक्स रिजीम (सभी उम्र के लोगों के लिए)

0 से 3 लाख तक 0 टैक्स

3 से 6 लाख5- प्रतिशत

6,00,001 से 9 लाख- 10 प्रतिशत

9,00,001 से 12 लाख- 15 प्रतिशत

12,00,001 से 15 लाख- 20 प्रतिशत

15,00,001 लाख या ज्यादा- 30 प्रतिशत

न्यू या ओल्ड टैक्स रिजीम, क्या चुनें?

इतना पढ़ने के बाद भी आपके सामने न्यू या ओल्ड टैक्स रिजीम का सवाल बना हुआ ही है तो फिर आपको किसी टैक्स कंसलटेंट से मिलने की जरूरत है। हालांकि कर सलाहकार सी. कमलेश कुमार बताते हैं कि इसका जवाब आपकी आमदनी, आपकी निवेश की आदत और आपके खर्च पर निर्भर करता है।
अगर आप बचत करने के आदी हैं। इनकम टैक्स एक्ट के तहत विभिन्न टैक्स सेविंग इंस्ट्रुमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं, तो फिर आपके लिए निश्चित तौर पर पुरानी व्यवस्था ही बेहतर है। पर आप निवेश या बचत को फालतू काम समझते हैं तो नई टैक्स व्यवस्था में आना आपके लिए बढ़िया होगा। यहां टैक्स का रेट अपेक्षाकृत कम है।

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