नीतीश हार कर भी कैसे जीतते हैं? बिहार के असली किंग के सामने सब फेल
बिहार के किंग अभी भी नीतीश कुमार हैं ये तय हो गया है. वो अगर एक कदम पीछे जाते हैं तो कुछ समय बाद ही चार कदम आगे बढ़कर अपनी जोरदार मौजूदगी का अहसास विपक्ष के साथ-साथ घटक दल को भी कराते हैं. नीतीश की यही खूबसूरती बिहार में उन्हें अपराजेय बनाई हुई है. स्पेशल स्टेटस पर नीतीश को घेरने वाले जान चुके हैं कि वो एक बार फिर केंद्र से अपनी बात मनवाने में कामयाब रहे हैं. इसीलिए बिहार को केंद्र से 58 हजार 900 करोड़ की सौगात मिली है.
नीतीश कुमार जैसा हार्ड बारगेनर राजनीति में शायद ही कोई मिलेगा जो अपनी बात घटक दलों से मनवा कर ही दम लेते हैं. कैबिनेट बर्थ में जेडीयू को एक केंद्रीय मंत्रालय और दूसरा राज्य मंत्रालय मिला था. बिहार में आरजेडी और कांग्रेस इसका मजाक उड़ा रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार की असली नजर बिहार के लिए विशेष पैकेज मांगने के पर था. नीतीश दो मंत्री पद मिलने के बाद चुप रहे, लेकिन अंदर ही अंदर बिहार के लिए जोरदार पैकेज की मांग में जुटे रहे. आलम ये रहा कि बिहार के लिए केंद्र ने 58 हजार 900 करोड़ का प्रावधान कर दिया और नीतीश इसे अगला चुनाव जीतने के लिए अपना प्रमुख अस्त्र मानकर बखूबी इस्तेमाल करेंगे.
केंद्र के बजट के बाद नीतीश बमबम क्यों हैं?
केंद्र ने जैसे बजट की घोषणा की कांग्रेस के तेज तर्रार और पढ़े लिखे नेता शकील अहमद खां ने झुनझुना अपनी जेब में रख लिया. कांग्रेस और आरजेडी कहने को झुनझुना बजाते रहे, लेकिन वो समझ चुके थे कि नीतीश का असर केंद्र पर भरपूर रहा है. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने 58 हजार 900 करोड़ का प्रावधान कर नीतीश को आने वाले चुनाव के लिए बड़ा अस्त्र प्रदान कर दिया है.
इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजली पर खर्च का प्रावधान बिहार की दिशा और दशा बदलने के लिए किया जा रहा है. बिहार का मजाक एक्सप्रेस हाईवे नहीं होने की वजह से उड़ाया जाता था. केंद्र ने तीन एक्सप्रेस हाईवे की घोषणा कर बिहार को बड़ी सौगात दे दी. इसके लिए 26 हजार करोड़ आवंटित किए गए हैं. बक्सर से भागलपुर, पटना से पूर्णिया और बोधगया, राजगीर वैशाली और दरभंगा में सड़कों के काम में तेजी लाई जाएगी. बीजेपी इंफ्रास्ट्रक्चर पर खूब खर्च करने के मूड में है. तभी बिहार में निवेश की संभावना बढ़ सकती है.
नालंदा को विकसित किया जाएगा
वहीं टूरिज्म को डेवलप करने के लिए भी नालंदा को विकसित करने की बात कही गई हैं. गया के विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर को काशी विश्वनाथ की तर्ज पर विकसित किए जाने की योजना है. वहीं हर साल बाढ़ झेल रहे बिहार के लिए 11 हजार 500 करोड़ के प्रावधान ने उत्तर बिहार के लोगों के लिए जख्म पर मरहम लगाने का काम किया है. बिहार के पिरपैंती में 24 हजार मेगावाट के पावर प्लांट लिए 21 हजार करोड़ का प्रावधान रखा गया है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार में बाढ़ की समस्या से निजात पाने के अलावा बिहार की ऐतिहासिक विरासत और विनिवेश को प्रमोट करने के लिए सड़कें और पर्यटन केंद्र डेवलप करने पर भरपूर जोर दिया गया है.
विपक्ष की राजनीति की धार कुंद पड़ सकेगी?
बिहार में मेडिकल कॉलेज,12 शहरों में आईटी पार्क, सड़कों का जाल, मंदिरों को काशी कॉरिडोर की शक्ल देने का प्रावधान बिहार के लिए जोरदार सौगात है. 59 हजार 800 करोड़ का प्रावधान कर केंद्र सरकार ने नीतीश के राजनीतिक रसूख को काफी बढ़ा दिया है. यही वजह है कि कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा हों या नीतीश के करीबी मंत्री विजय चौधरी, सभी ने बिहार को बजट में मिली राशि को खूब सराहा है. नीतीश खुद कह रहे हैं कि स्पेशल स्टेटस में कानूनी अड़चन था इसलिए पैकेज मिलने की शुरुआत बढ़िया कोशिश है. नीतीश दोनों रास्ते खोल कर चल रहे हैं. यही उनकी राजनीति का जोरदार तरीका है जो उन्हें बार-बार गद्दी पर बने रहने में सहायक साबित हुआ है.
बिहार में अगले साल होगा विधानसभा चुनाव
नीतीश और उनके मंत्री खुश है और खुशी की वजह साल 2025 में होने वाला विधानसभा चुनाव है. नीतीश जानते थे कि फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट के बाद राज्य के लिए स्पेशल स्टेटस संभव नहीं था. इसलिए 58 हजार 900 करोड़ का पैकेज मिलने से नीतीश जनता के बीच जाकर उसे जोरदार प्रचारित करेंगे ये तय है. विपक्ष लाख नीतीश को इस्तीफा देने की सलाह दे, लेकिन ये बजट बिहार के नाम रहा है, इससे कौन इनकार कर सकता है.
यही नीतीश की कामयाबी विपक्ष की आक्रामकता की धार को कुंद कर देती है और वो बिहार में सबसे आगे पंक्ति में दिखाई पड़ते हैं. नीतीश की पूरी रणनीति छठ तक 10 लाख लोगों के लिए नौकरी के वैकेंसी निकालने की है ताकी तेजस्वी के नैरेटिव का जोरदार काट ढूंढ़ा जा सके. नीतीश अपने 12 सांसदों के दम पर केंद्र से भरपूर मदद लेंगे ये भी तय है. इसलिए विपक्ष नीतीश को घेरने में ज्यादा कामयाब होने नहीं जा रही है ये तय लग रहा है.