बंगाल में CAA के तहत नागरिकता प्रदान करना शुरू, ममता ने जताया है विरोध

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के विरोध के बावजूद पश्चिम बंगाल में भी नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के तहत नागरिकता प्रमाण पत्र दिये जाने की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है. पश्चिम बंगाल में नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदकों के पहले सेट को अधिकार प्राप्त समिति ने नागरिकता प्रदान की. पश्चिम बंगाल के साथ-साथ उत्तराखंड और हरियाणा की अधिकार प्राप्त समितियों ने भी सीएए के तहत आवेदकों के पहले सेट को नागरिकता प्रदान की.
11 मार्च, 2024 को केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता (संशोधन) नियम अधिसूचित किए गए थे. उसके बाद दिसंबर 2019 में संसद द्वारा इसे पारित किया गया. लेकिन लंबे समय तक इस पर कोई काम नहीं हुआ. संसद से पारित किए जाने के चार साल के बादकेंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा सीएए के नियमों की अधिसूचना जारी की गई.
सीएए नियमों के अधिसूचित होने के दो महीने बाद नागरिकता का प्रमाणपत्र दिये जाने की प्रक्रिया शुरू हुई. 15 मई को पहली बार 14 लोगों को सीएए के तहत नागरिकता प्रमाणपत्र प्रदान किए गये.
नागरिकता प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया शुरू
नियमों में आवेदन पत्र के तरीके और जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा आवेदनों के प्रसंस्करण की प्रक्रिया और राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) द्वारा जांच और नागरिकता प्रदान करने की परिकल्पना की गई है. नागरिकता के सर्टिफिकेट के लिए आवेदन ऑनलाइन पोर्टल द्वारा किया जाता है.
सीएए के तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया है. इसके तहत सिख, जैन, पारसी, हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों से संबंधित हैं और जो अपने गृह देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के कारण 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर गए थे.
सीएए को लेकर ममता का कड़ा विरोध
सीएए के बंगाल सहित विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही है. बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने सीएए के लागू किये जाने का विरोध जताया है. ममता बनर्जी ने सीएए को मानवता का अपमान और राष्ट्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए खतरा बताया है. उन्होंने कहा कि वह बंगाल में कभी भी सीएए लागू होने नहीं देंगी.

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