भारत के विदेशी मुद्रा रिजर्व में गिरावट, आठ हफ्तों में पहली बार आई कमी

भारत के विदेशी मुद्रा रिजर्व में आठ हफ्तों में पहली बार गिरावट आई है और यह अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से कम होकर 4 अक्टूबर को $701.18 अरब पर पहुंच गया. आरबीआई के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भंडार में इस सप्ताह $3.71 अरब की गिरावट आई, जबकि इससे पहले के सात हफ्तों में इसमें लगभग $35 अरब की बढ़ोतरी हुई थी.
सप्ताह के अंत में विदेशी मुद्रा रिजर्व $704.89 अरब के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था और 27 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में इसमें $12.6 अरब की वृद्धि दर्ज की गई थी, जो कि मध्य जुलाई 2023 के बाद से सबसे बड़ी साप्ताहिक वृद्धि थी.
क्या है कारण ?
बता दें विदेशी मुद्रा रिजर्व में बदलाव आरबीआई की विदेशी मुद्रा मार्केट में हस्तक्षेप के कारण होता हैं, साथ ही इसमें विदेशी संपत्तियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव का भी इफेक्ट होता है. आरबीआई रुपये में अत्यधिक अस्थिरता से बचने के लिए बाजार के दोनों पक्षों पर हस्तक्षेप करता है. विदेशी मुद्रा भंडार में भारत की इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड में रिजर्व ट्रेंच की स्थिति भी शामिल होती है. जिस टाइम पीरियड के लिए ये आंकड़े जारी हुए हैं, उस समय रुपये ने मई के बाद से अपना सबसे खराब सप्ताह देखा, जिसमें यह सप्ताह-दर-सप्ताह 0.3% गिरा. इस गिरावट का कारण था इक्विटी बाजार से धन का बाहर जाना और मिडिल ईस्ट कंट्री में बढ़ते तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि.
ट्रेडर्स के अनुसार, आरबीआई ने रुपये को महत्वपूर्ण 84 के स्तर से ऊपर बनाए रखने के लिए नॉन-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड्स और स्थानीय स्पॉट विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया. शुक्रवार को रुपया 84.06 पर बंद हुआ, जबकि इंटरडे ट्रेड में यह 84.07 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था.
भारत का गोल्ड रिजर्व
वहीं सितंबर तक के आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के गोल्ड रिजर्व में जोरदार बढ़ोतरी देखी गई. गोल्ड रिजर्व में 2.18 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ, इसकी कुल वैल्यू 65.79 अरब डॉलर हो गई. बता दें कि बैंक में जमा सोना गोल्ड रिजर्व कहलाता है, जिसे इंडियन करेंसी को सपोर्ट करने के लिए जमा किया जाता है. इसके जरिए कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखता है.

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