मसूद पेजेशकियन के ईरान के राष्ट्रपति बनने के बाद क्या बदल जाएंगे ईरान के हिजाब कानून?

ईरान को अपना नया राष्ट्रपति मिल गया है. रिफॉर्मिस्ट पार्टी के मसूद पेजेशकियान ईरान के राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभालेंगे. इस बार ईरान के चुनाव में पेजेशकियान का मुकाबला कट्टरपंथी नेता सईद जलीली से था, जिनको पेजेशकियन ने करारी शिकस्त दी. रन ऑफ में पेजेशकियान को 16 लाख से ज्यादा (53.6%) वोट मिले थे, जबकि सईद जलीली 13 लाख (44.3%) वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. इससे पहले देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए 28 जून को मतदान हुए थे. जिसके नतीजे 29 जून को सामने आए थे. हालांकि, नतीजों में कोई भी बहुमत का आंकड़ा (50 प्रतिशत) पार नहीं कर पाया. जिसके चलते 5 जुलाई को दोबारा वोटिंग कराई गई थी. जिसमें रिफॉर्मिस्ट पार्टी के मसूद पेजेशकियान ने जीत हासिल की.
जानकारी के मुताबिक हालांकि वोटर टर्नआउट में 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ, लेकिन चुनाव के सेकंड राउंड में भी लोगों की नाराजगी साफ देखी गई. ईरानी मीडिया के मुताबिक कई पोलिंग बूथ खाली पड़े रहे साथ ही महज 50 प्रतिशत मतदान ही दर्ज किया गया. जहां ईरान के लोगों ने सालों से ईरान की सत्ता पर काबिज कट्टरपंथी पार्टी को झटका दिया है, वहीं क्या अब जिन मुद्दों को लेकर ईरान के लोगों ने सत्ता की कमान मसूद पेजेशकियन के हाथ में दी है उस में कुछ बदलाव आएंगे?
महसा अमिनी का मामला आया सामने
ईरान के कट्टर कानूनों को लेकर ईरान के लोगों में काफी गुस्सा देखा गया है. ईरान के कट्टर कानूनों के चलते साल 2022 में ईरानी नागरिक महसा अमिनी का केस सामने आया था. जिसने पूरे देश में लोगों के अंदर आक्रोश की चिंगारी को जला दिया था. जिसका असर चुनाव में साफ दिखाई दिया और लोगों ने अपने वोटों की ताकत से सत्ता पलट दी. ईरान में साल 2022 में महसा अमिनी को सही तरीके से हिजाब न पहनने के चलते मोरल पुलिस (Moral Police) ने महसा अमिनी को जेल में डाल दिया था. जिसके बाद अमिनी की पुलिस कस्टडी में ही मौत हो गई थी. महसा अमिनी की मौत के बाद पूरे देश में इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए और लोगों ने बदलाव की मांग की.
महसा अमिनी केस पर पेजेशकियान का रुख
चुनाव में हिजाब को लेकर मुद्दा कई बार उठा. रिफॉर्मिस्ट पार्टी के मसूद पेजेशकियान ने साल 2022 में जिस समय यह मामला सामने आया था, जमकर सरकार का विरोध किया था और महसा अमिनी के हक में आवाज उठाई थी. पेजेशकियान ने महसा अमिनी की मौत के बारे में अधिकारियों से जांच करने की मांग की थी. पेजेशकियान ने कहा कि “इस्लामिक देश ईरान में किसी लड़की को उसके हिजाब के लिए गिरफ्तार करना और फिर उसका शव उसके परिवार को सौंपना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, यह अस्वीकार्य है.
जिसके बाद चुनाव के दौरान लगातार पेजेशकियन इस बात को दोहराते हुए दिखाई दिए कि वो हिजाब कानून की इस सख्ती पर रोक लगाएंगे. ईरान के हिजाब पहनने के इस कानून को आसान बनाया जाएगा. साथ ही पेजेशकियान ने चुनाव के पहले दौर में अपना वोट डालने के बाद कहा, हम हिजाब कानून का सम्मान करेंगे, लेकिन महिलाओं के साथ कभी भी कोई अमानवीय व्यवहार नहीं होना चाहिए.
पूरी सरकार मोरैलिटी पुलिस के खिलाफ रहेगी
हिजाब कानून को लेकर महिलाओं पर जबरन हिजाब को लागू करने को लेकर मसूद पेजेशकियान जमकर विरोध व्यक्त करते हैं. ईरानी मीडिया के मुताबिक चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि, उनका मानना ​​है कि किसी महिला के सिर से न तो जबरन हिजाब हटाना मुमकिन है और न ही उसके साथ जबरदस्ती करके हिजाब लागू करना मुमकिन है.
मसूद पेजेशकियानकहते हैं, “मैं धार्मिक तौर पर किसी भी इंसान के साथ किसी भी तरह की जबरदस्ती या कठोर व्यवहार का विरोध करता हूं. उन्होंने कहा, हम जोर-जबरदस्ती से महिलाओं का सिर नहीं ढक पाएंगे. पेजेशकियान ने लिखित गारंटी दी है कि पूरी सरकार सभी बैठकों और हर समय मोरैलिटी पुलिस के खिलाफ खड़ी रहेगी.
क्या राष्ट्रपति बदल पाएंगे हिजाब कानून
ईरान में 1979 के बाद से इस्लामी क्रांति आने के बाद से ईरान में धार्मिक नेताओं की सत्ता है. जिसके चलते ईरान में राष्ट्रपति से ज्यादा सुप्रीम लीडर के पास पावर होती है. ईरान में धार्मिक सुप्रीम लीडर जोकि इस समय अली खोमेनी हैं उन के दिशा-निर्देशों पर ही ईरान के राष्ट्रपति काम करते हैं. सुप्रीम लीडर अली खामेनेई 1989 से सुप्रीम लीडर की गद्दी पर काबिज हैं. वो राज्य के प्रमुख और कमांडर-इन-चीफ हैं. राष्ट्रीय पुलिस और नैतिकता पुलिस पर भी उनका अधिकार हैं. हालांकि नैतिक पुलिस ही हिजाब न पहनने वाली महिलाओं पर एक्शन लेती है जिसकी कमान सुप्रीम लीडर के हाथ में हैं. यह कहा नहीं जा सकता कि नए प्रशासन के तहत कानून का क्या होगा, कानून में कितना बदलाव आएगा. हालांकि ईरान के पिछले प्रशासनों ने हिजाब के कानून को लेकर ढीले या सख्त कानून अपनाए हैं.
ईरान में राष्ट्रपति की कितनी पावर
राष्ट्रपति सुप्रीम लीडर के बाद दूसरे स्थान पर होता है. वह सरकार के रोजमर्रा के कामकाज के लिए जिम्मेदार है और घरेलू नीति और विदेशी मामलों पर उनका प्रभाव होता है. जब कि सुरक्षा के मामलों में उनकी पावर सीमित है.राष्ट्रपति का आंतरिक मंत्रालय राष्ट्रीय पुलिस बल चलाता है, जबकि इसके कमांडर की नियुक्ति सुप्रीम लीडर करते हैं.

हिजाब को लेकर क्या है कानून
ईरान की दंड संहिता जो 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद लागू की गई थी उसके मुताबिक “हिजाब” के बिना सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं है और इसे अपराध माना जाता है. इस अपराध के लिए जुर्माना या 10 दिन से लेकर दो महीने तक की कैद की सजा सुनाई जाती है. पिछले 45 वर्षों से, ईरान में महिला अधिकारों की वकालत करने वाले लोग हिजाब कानून के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.

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