महाराष्ट्र में फिर से ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’, क्यों अपने-अपने विधायकों सेफ करने में लगीं पार्टियां?

महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर से ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ की एंट्री हो गई है. सूबे की सभी सियासी पार्टियां अपने-अपने विधायकों को एकजुट करने और विधान परिषद चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ से बचने की जद्दोजहद में लगी हुई हैं. इसी कड़ी में शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने सभी 16 विधायकों को मुंबई के आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल होटल में शिफ्ट किया है तो डिप्टी सीएम अजीत पवार ने अपने एनसीपी विधायकों के साथ सिद्धि विनायक मंदिर जाकर माथा टेका और फिर उन्हें एक रिसॉर्ट में ठहरा रखा है. बीजेपी ने अपने विधायकों को एमएलसी में वोटिंग करने की ट्रेंनिग दी है. इस तरह से सभी दल अपने-अपने विधायकों को सुरक्षित रखने में जुट गए हैं.
महाराष्ट्र में 11 विधान परिषद सीटों के लिए 12 जुलाई को चुनाव है. इन सीटों पर 12 उम्मीदवार के मैदान में उतरने से चुनाव की नौबत आई है. बीजेपी और कांग्रेस को छोड़कर किसी भी दल के पास अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पर्याप्त वोट नहीं है इसीलिए क्रॉस वोटिंग का खतरा एमएलसी चुनाव में बना है. एक एमएलसी उम्मीदवार को जीत के लिए प्रथम वरीयता के आधार पर 23 विधायकों के वोट का समर्थन चाहिए. ऐसे में जोड़तोड़ के सहारे ही जीत संभव है, जिसके चलते ही उद्धव ठाकरे से लेकर अजीत पवार तक अपने विधायकों को सेंधमारी से बचाए रखने के मिशन में जुट गए हैं.
एमएलसी चुनाव में 11 सीट पर 12 कैंडिडेट
विधान परिषद चुनाव में एनडीए ने 9 उम्मीदवार उतारे हैं तो इंडिया गठबंधन से तीन प्रत्याशी हैं. बीजेपी ने पांच और अजित पवार और शिंदे की अगुवाई वाली एनसीपी और शिवसेना ने दो-दो कैंडिडेट उतारे हैं जबकि इंडिया गठबंधन के कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी से एक-एक उम्मीदवार मैदान में है. बीजेपी से पंकजा मुंडे, डॉ.परिणय फुके, अमित बोरखे, योगेश टिलेकर और सदाभाऊ खोत एमएलसी चुनाव में हैं. शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने पूर्व सांसद भावना गवली और कृपाल तुमाने तो अजित पवार की एनसीपी से शिवाजीराव गर्जे और राजेश विटेकर प्रत्याशी हैं. वहीं,कांग्रेस से प्रज्ञा सातव, उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी से मिलिंद नार्वेकर और शरद पवार की एनसीपी ने जयंत पाटिल को चुनाव लड़ाया है.शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने मोर्चा संभाल लिया है.
एमएलसी चुनाव में क्रॉस वोटिंग का खतरा
महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्यों के आधार पर विधान परिषद की 11 में से 9 सीटों पर एनडीए को जीत मिल सकती है जबकि इंडिया गठबंधन को महज दो सीटें ही मिलती दिख रही हैं. एक एमएलसी सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के आधार पर 23 विधायकों के वोटों के समर्थन की जरूरत हैं. ऐसे में क्रॉस वोटिंग की आशंकाओं के बीच सभी दलों ने अपने विधायकों की बाड़ेबंदी शुरू कर दी है, क्योंकि लोकसभा चुनावों के बाद से माहौल बदला है और शिंदे गुट वाली शिवसेना और अजित पवार वाली एनसीपी के कुछ विधायक पाला बदल सकते हैं. ऐसे में चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग होती है तो इंडिया गठबंधन तीन सीटें अपने नाम कर सकती है. इसके चलते ही उद्धव ठाकरे से लेकर अजीत पवार तक अपने-अपने विधायकों को सुरक्षित रखने में जुटें हैं ताकि क्रॉस वोटिंग से बचाया जा सके.
उद्धव के सभी विधायक होटल में शिफ्ट
एमएलसी चुनाव में उद्धव ठाकरे ने अपने निजी सचिव मिलिंद नार्वेकर को एमएलसी के चुनावी मैदान में उतारा है, जिसके चलते कोई रिस्क लेने में मूड में वो नहीं है. मिलिंद नार्वेकर को जिताने के लिए उद्धव ठाकरे हरसंभव कोशिश में जुटे हैं, लेकिन उससे पहले अपने विधायकों को सुरक्षित करने का प्लान बनाया है. उद्धव ठाकरे की पार्टी के 16 विधायक हैं, लेकिन एमएलसी चुनाव में मिलिंद को जीत के लिए 7 अतिरिक्त वोट का समर्थन जुटाना होगा. ऐसे में उनकी नजर कांग्रेस के अतरिक्त वोट और अन्य विधायकों पर नजर है, लेकिन उससे पहले अपने विधायकों को सुरक्षित रखने की चुनौती है.
एमएलसी चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ की आशंका को देखते हुए उद्धव ने विधायकों को होटल में ठहराने का इंतजाम किया है.शिवसेना यूबीटी के सभी 16 विधायकों को बुधवार को आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल होटल में शिफ्ट कर दिया गया है. आदित्य ठाकरे भी इन विधायकों के साथ ठहरे हुए हैं ताकि विपक्षी खेमे का कोई नेता उनके विधायकों से संपर्क न कर सके.
MLC चुनाव के खेमेबंदी में जुटे शरद पवार
शरद पवार एमएलसी चुनाव में शेतकरी कामगार पक्ष के जयंत पाटिल को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे हैं. शरद के पास 12 विधायक हैं, जिन्होंने जयंत पाटिल को समर्थन करने का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन उन्हें जीत के लिए 11 अतरिक्त वोट चाहिए. इसके लिए उनकी नजर कांग्रेस के विधायकों पर है, लेकिन साथ ही अजीत पवार के साथ गए विधायकों का समर्थन जुटाने का प्लान बनाया है.
इंडिया गठहबंधन में कांग्रेस के पास 37 विधायक हैं, जिसमें से एक विधायक ने अजित पवार गुट को समर्थन देने का ऐलान किया है. ऐसे में अब उनके पास 36 वोट बचते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी प्रज्ञा सातव के पक्ष में 23 विधायकों के वोट करने के बाद भी, उनके पास 12 अतरिक्त वोट बचेंगे. उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों ने कांग्रेस के अतरिक्त वोटों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है, लेकिन सिर्फ कांग्रेस विधायकों से ही काम नहीं बन रहा. ऐसे में विपक्षी खेमे में सेंधमारी के बिना संभव नहीं है.
अजीत-शिंदे के लिए क्रॉस वोटिंग का खतरा
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लोकसभा चुनाव में जनता ने जिस तरह अजित पवार गुट को नकारा है, इससे उनके साथ गए लोगों को भी ये साफ हो चुका है कि आने वाले समय में कुछ भी हो सकता है. लोकसभा चुनाव के बाद अजीत पवार ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई थी, जिसमें पांच एनसीपी विधायक नहीं पहुंचे थे. इसके बाद से ही खतरा बना बुआ और खबरें भी आई थी कि अजीत पवार के साथ गए कुछ विधायक वापसी के मूड में है. ऐसे में अजित पवार गुट के विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की संभावना है.
अजीत पवार अपने विधायकों को सुरक्षित रखन में जुटें हैं, जिसके चलते ही उन्होंने अपने सभी विधायकों को लेकर सिद्धिविनायक मंदिर पहुंचे. इसके बाद से अजीत पवार अपने विधायकों पर नजर बनाए हुए हैं और उन्हें सेफ जगह पर रखा है. अजीत पवार के लिए एक-एक वोट मायने रखता हैय यही वजह है कि बीजेपी के मना करने के बावजूद अजित पवार ने डी-कंपनी से संबंध के आरोप में अरेस्ट हुए और जमानत पर बाहर आए नवाब मलिक को भी अपने साथ मिला रखा है.
क्रॉस वोटिंग की आशंका को देखते हुए शिवसेना शिंदे गुट ने अपने विधायकों को होटल में रखने की तैयारी पहले से कर ली थी. मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में पार्टी ने 60 रूम बुक कराए हैं. इसके अलावा अजित पवार की एनसीपीऔर बीजेपी विधायकों को मुंबई में अलग-अलग होटल में रखा गया है. बीजेपी ने अपने सभी विधायकों को बुधवार को वोटिंग करने का तरीखा सीखा है और सादे कागज पर मतदान की प्राक्टिस कराई गई है. इसके साथ ही वरिष्ठ विधायकों को निर्देश दिए कि वो ध्यान रखे कि किसी का वोट बर्बाद न हो.
महाराष्ट्र विधानसभा में नंबर गेम में कौन भारी
महाराष्ट्र की विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं लेकिन मौजूदा समय में 274 विधायक हैं. इस लिहाज से एक एमएलसी सीट को जीतने के लिए प्रथम वरीयता के आधार पर कम से कम 23 विधायकों का समर्थन चाहिए. बीजेपी के 103 विधायक हैं तो उसके सहयोगी अजित पवार की एनसीपी के पास 40 विधायक और शिंदे की शिवसेना के 38 विधायक हैं. इसके अलावा एनडीए के अन्य सहयोगी दलों और निर्दलीय विधायकों को मिलाकर एनडीए के पास 203 विधायकों का समर्थन है. इस आधार पर सत्ताधारी दल अगर चार विधायकों का और समर्थन जुटा लेता है तो उसके सभी 9 एमएलसी प्रत्याशियों की जीत हो जाएगी, लेकिन उसके लिए अन्य छोटे दल हैं, उन्हें साधकर रखना होगा.
इंडिया गठबंधन के पास 71 विधायकों का ही समर्थन है. इसमें कांग्रेस के 37 विधायक हैं. इसके अलावा उद्धव ठाकरे की शिवसेना के 16 विधायक हैं. शरद पवार की एनसीपी के 12 विधायक हैं. सपा के 2, सीपीआई (एम) के दो और 3 अतिरिक्त विधायकों का समर्थन है. इंडिया गठबंधन के विधायकों की संख्या के आधार पर तीनों सीटें जीत सकती है लेकिन उसके लिए अन्य दलों के विधायकों को जोड़कर रखना होगा और कांग्रेस विधायकों के विश्वास को भी बनाए रखना होगा.

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