रत्न भंडार में सांपों का मिथक: क्या सांप भगवान जगन्नाथ के खजाने की रक्षा कर रहे थे?
जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की रक्षा करने वाले सापों की सदियों पुरानी कथा कई पीढ़ियों से मंदिर के रहस्य का हिस्सा रही है. रविवार को मंदिर के रत्न भंडार को खोला गया. हालांकि भंडार को खोलने से पहले लोगों को इस बात का इंतजार था कि क्या सच में खजाने की रक्षा सांप कर रहे हैं. रत्न भंडार को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं.
ओडिशा में कई लोगों का कहना है कि इस खजाने की रक्षा के लिए नाग देवता 24 घंटे तैनात रहते हैं. इन सबको देखते हुए टीम एहतियातन अपने साथ एक सपेरे को भी ले गई थी. हालांकि अधिकारियों को अंदर कोई सांप नहीं मिला. बाहरी रत्न भंडार को खोला गया और उसकी सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए अस्थायी मजबूत कमरे में स्थानांतरित कर दिया गया.
चुनौतीपूर्ण था प्रवेश करना
आंतरिक रत्न भंडार में प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मौजूदा चाबियों से इसे नहीं खोला जा सका. मंदिर के अधिकारियों ने ताले काटकर इसे खोला. इस रत्न भंडार में प्रवेश करने के बाद, अधिकारियों ने दस्तावेजीकरण के लिए इसकी सामग्री का वीडियोग्राफी किया लेकिन सब कुछ वैसे ही छोड़ दिया. वीडियोग्राफी समाप्त होने के बाद, आंतरिक कक्ष को सुरक्षित रूप से बंद और सील कर दिया गया.
लंबे समय से चली आ रही मान्यताएं
सांपों की अनुपस्थिति ने इस पारंपरिक विश्वास पर सवाल उठाए हैं कि एक दिव्य नाग रत्न भंडार की रक्षा करता है. ये कथा लंबे समय से अनधिकृत प्रवेश को रोकने और मंदिर के खजाने में एक आध्यात्मिक महत्व जोड़ने का काम करती आई है. हाल ही के निरीक्षण से पता चलता है कि सुरक्षा करने वाले सांप की कहानी अधिक प्रतीकात्मक हो सकती है, जो मंदिर की संपत्ति की पवित्रता और दिव्य सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करती है.
सांस्कृतिक प्रभाव
रक्षक सांप की कथा जगन्नाथ मंदिर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कथा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है. हाल की खोजें इस मिथक को चुनौती देती हैं, लेकिन साथ ही वे मंदिर की समृद्ध लोककथाओं और इसके खजाने के प्रति श्रद्धा को भी उजागर करती हैं.