राहुल गांधी की नागरिकता वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, दूसरी बेंच के पास पहुंचा मामला

दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर कहा कि कोर्ट स्वामी की याचिका को जनहित याचिका के रूप में मानेगा. जस्टिस संजीव नरूला ने 20 अगस्त को याचिका पर सुनवाई की और कहा कि स्वामी इस मामले में कोई भी ‘लागू करने योग्य संवैधानिक अधिकार’ प्रदर्शित करने में नाकाम रहे. रेगुलर पीठ ने अपने रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने के लिए कोई ‘कानूनी रूप से लागू करने योग्य अधिकार’ नहीं पाया, जिसके बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मामले को सार्वजनिक हित में माना जाना चाहिए.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हमने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी के इस रुख पर गौर किया कि मामले में जनहित शामिल है और कहा कि याचिका पर जनहित याचिकाओं से निपटने वाली रोस्टर बेंच द्वारा सुनवाई की जाएगी. इसलिए कोर्ट ने मामले को रोस्टर बेंच एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच को ट्रांसफर कर दिया.
राहुल गांधी की नागरिकता
दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि राहुल गांधी की नागरिकता पर डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को रोस्टर बेंच के सामने जनहित याचिका के रूप में लिस्ट किया जाए. दरअसल पूरा मामला तब शुरू हुआ जब BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की. उन्होंने गृह मंत्रालय को राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने के उनके आवेदन पर निर्णय लेने के लिए निर्देश देने की मांग की है.
डबल बेंच में पहुंचा मामला
कोर्ट की सुनवाई के बाद स्वामी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि आज दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता और इसलिए उन्हें अपनी भारत की नागरिकता छोड़ देनी चाहिए. इस मामले पर विस्तार से सुनवाई हुई. इसके बाद कोर्ट ने 26 सितंबर को अंतिम सुनवाई के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच में स्थानांतरित कर दिया. सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में ये दावा किया है राहुल गांधी ने ब्रिटेन की एक कंपनी के डॉक्यूमेंट्स में अपने आप को ब्रिटिश नागरिक के तौर पर दिखाया है.

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