रेलवे की असिस्टेंट लोको पायलट भर्ती को लेकर छात्र विरोध क्यों कर रहे हैं?
रेलवे भर्ती बोर्ड की तरफ से असिस्टेंट लोको पायलट (Railway assistant loco pilot 2024) के लिए भर्ती निकाली गई हैं. इन भर्तियों को लेकर अभ्यर्थियों में खासी नाराजगी है. अपनी मांगों को लेकर अभ्यर्थी छात्रों ने बिहार में प्रदर्शन किए हैं.
पटना के भिखना पहाड़ी से लेकर करगिल चौक तक छात्रों ने रैली निकाली, पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. इससे पहले 27 जनवरी को छात्रों ने राजेंद्र नगर स्टेशन पर रेलवे ट्रैक जाम कर दिया था. पुलिस पर पथराव भी किया गया. मौके से कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया. भर्ती को लेकर छात्र नाराज क्यों हैं, उनकी मांगें क्या हैं, रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड का क्या कहना है, सब कुछ विस्तार से जानेंगे.
रेलवे द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन
कितने पदों पर भर्ती?
रेलवे भर्ती बोर्ड ने सहायक लोको पायलट पद के लिए 5 हजार 697 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया है. भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन 20 जनवरी से शुरू हो चुके हैं. आवेदन की आखिरी तारीख 19 फरवरी 2024 है. आवेदकों का चयन CBT (Computer Based Test) के आधार पर किया जाएगा. रेलवे ने भर्ती के लिए योग्य उम्मीदवारों की उम्र कम से कम 18 साल और ज्यादा से ज्यादा 33 साल रखी है. हालांकि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को RRB के ALP भर्ती बोर्ड के नियमों के तहत आयु सीमा में छूट दी जाएगी.
रेलवे द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन
एक अन्य नोटिफिकेशन के जरिए रेलवे ने ये भी कहा है कि कोविड के चलते जो अभ्यर्थी एग्जाम नहीं दे पाए, उन्हें उनकी अधिकतम आयु सीमा में 3 साल की छूट दी जाएगी. जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, ALP की पोस्ट के लिए पहला CBT जून से अगस्त 2024 के बीच हो सकता है जबकि दूसरा CBT सितंबर 2024 में होगा. वहीं एप्टीट्यूड टेस्ट नवंबर 2024 में होने की संभावना है.
रेलवे द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन.
पटना में छात्रों का प्रदर्शन
बीते कई दिनों से पटना में भारी तादाद में अभ्यर्थी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. 28 जनवरी को छात्रों ने राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन पर ट्रैक जाम कर दिया. अगले दिन भी अभ्यर्थी चक्का जाम करने निकले, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. कल यानी 30 जनवरी को भारी तादाद में अभ्यर्थी राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन की तरफ निकले थे. पटना पुलिस ने उन्हें उस तरफ जाने नहीं दिया तो छात्र पटना के गांधी मैदान के कारगिल चौक पर पहुंच गए और सड़क जाम कर हंगामा करने लगे. पटना पुलिस ने समझाने की काफी कोशिश की. छात्र मानने को तैयार नहीं थे. छात्रों को सड़क से हटाने की कोशिश की गई. पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा.
छात्रों की मांग
ये हंगामा क्यों? प्रदर्शन करने वाले रेलवे अभ्यर्थियों ने वैकेंसी बढ़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि ‘रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB) ने साल 2018 में 64 हजार 371 पदों पर भर्ती निकाली थी. उसके बाद कोई बहाली नहीं की गई. और अब लोको पायलट पद के लिए सिर्फ 5 हजार 600 पदों पर भर्ती निकाली हैं. जो कि पर्याप्त नहीं हैं. रेलवे को कम से कम 70 हजार पदों पर बहाली निकालनी चाहिए. पटना में प्रदर्शन कर रहे छात्रों में से एक ने कहा,
“देश में बहुत बेरोजगारी है. ऐसे में 5 हजार 600 सीटों से क्या होगा? रेलवे बोर्ड ने खुद बताया था कि उनके पास 20 हजार से ज्यादा पद खाली हैं. फिर भी बेहद कम पदों पर भर्ती निकाली गई. हम लोग शांति से प्रदर्शन कर रहे थे. इसके बावजूद हमें पीटा गया.”
छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा कि रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है. इसलिए इतनी कम संख्या में वैकेंसी आई हैं, वो भी 6 साल बाद. क्या गारंटी है कि रेलवे हर साल बहाली निकालेगी? इसके अलावा, छात्रों ने भर्ती की आयु सीमा में छूट की भी मांग की है. साथ ही अभ्यर्थी चाहते हैं कि भर्तियों का सालाना कैलेंडर जारी किया जाए.
रेलवे का क्या कहना है?
वैकेंसी के पद में बढ़ोतरी की मांग से जुड़े सवाल पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि रेलवे ने हाल ही में डेढ़ लाख पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी की है. वैष्णव ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया,
“हाल ही में हमने डेढ़ लाख नए कर्मचारियों के पदों पर रोजगार की प्रक्रिया पूरी की है. और इसके तुरंत बाद हम असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं. ये पहला कदम है. टेक्निकल और नॉन टेक्निकल वर्गों के लिए और ग्रुप D के लिए और अधिक रोजगार के अवसर दिए जाएंगे. सभी चीजों (भर्तियों) को एक साथ लाने के बजाय अब हमारा उद्देश्य है कि एक वार्षिक प्रक्रिया लाई जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अवसर मिल सकें.”
ईस्ट सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर अनिल कुमार खंडेलवाल ने ANI से बात करते हुए कहा कि अब अलग-अलग कैटेगरीज में सालाना भर्तियां की जाएंगी. उन्होंने कहा,
“हमने हाल ही में डेढ़ लाख पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया पूरी की. अब हमने एक नई प्रक्रिया शुरू की है. अब हर साल नियमित रूप से भर्तियां निकालने की रेलवे की योजना है क्योंकि रेलवे का इन्फ्रास्ट्रक्चर और संचालन बढ़ रहा है. अब हर साल अलग-अलग कैटेगरीज में भर्तियां निकाली जाएंगी. इसी दिशा में 5 हजार 696 पदों पर भर्ती शुरू हुई है.”
अनिल खंडेलवाल ने ये भी कहा,
“अब हर साल अभ्यर्थियों को अवसर मिलेंगे. अगर किसी वजह से ऐसा नहीं हो पाता तो अभ्यर्थी अगले साल भर्ती परीक्षा में बैठ सकेंगे. इसलिए अगले अवसर के लिए बीच में कोई गैप नहीं रहेगा.”
बड़ा सवाल है कि रेलवे की तरफ से जिस नई प्रक्रिया की बात की जा रही है, उसकी जरूरत क्यों है, और क्या इससे अभ्यर्थियों के लिए कोई संतोषजनक समाधान निकलेगा? इसे समझने के लिए हमने रेलवे भर्ती से जुड़े एक बड़े अधिकारी से बात की. उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कई जरूरी जानकारियां दीं.
हमने उनसे सवाल किया कि छात्रों की मांग है कि 70 हजार पदों पर बहाली की जाए क्योंकि रेलवे की तरफ से 6 साल बाद कोई वैकेंसी आई है. इस पर क्या कहना है? उन्होंने कहा,
“पहले चुनावी सालों में बड़ी तादाद में वैकेंसी की घोषणा कर दी जाती थी. उस भर्ती प्रक्रिया को पूरा होने में कई साल लग जाते थे. रेलवे की जरूरत के हिसाब से भी भर्ती का ये तरीका ठीक नहीं था. कई कैटेगरीज की भर्तियों में किसी न किसी तरह की रुकावट आ जाती थी. सालाना, टाइमलाइन तय करके एग्जाम करवाने से रेलवे और स्टूडेंट्स दोनों का फायदा है. अब RPF में भी टाइमलाइन डिक्लेयर करके एग्जाम कराए जाएंगे. 4 साल पहले के एग्जाम के हिसाब से भर्ती में नए अभ्यर्थियों का नुकसान होता है. इस बीच नौकरी लगवाने का दावा करने वाले बिचौलिए भी सक्रिय हो जाते हैं.”
वे आगे कहते हैं,
“रेलवे में अलग-अलग डिवीजन में पदों पर अलग तरह की जरूरत होती है. रेलवे का अपना सिस्टम है कि वो हर 6 महीने में नए स्टाफ की जरूरत का रिव्यू करता है. क्योंकि अब लगातार रेलवे की जरूरतें बढ़ रही हैं. साल 2014 में मालगाड़ियां 1014 टन सामान की लोडिंग कर रही थीं. आज डेढ़ हजार टन लोडिंग हो रही है. साल 2013-14 में ट्रैक बनाने का काम 4 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से चल रहा था. बीते साल 2022-23 में 14 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से ट्रैक बनाने का काम हुआ है. कुल 5 हजार किलोमीटर का ट्रैक बना है. इस साल का हमारा टारगेट 6 हजार किलोमीटर है. साल 2014 तक 20 हजार किलोमीटर की रेलवे लाइन का इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ था. अब 60 हजार किलोमीटर का इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है.”
अधिकारी आगे कहते हैं,
“एक साथ भर्तियां निकालने की प्रक्रिया में हमें समस्या ये थी कि जहां जरूरत है वहां कम स्टाफ है. उसकी नियुक्तियां कर पाना सहज नहीं होता था. इसलिए अब हर साल कई कैटेगरीज में अलग-अलग भर्तियां निकाली जाएंगी.”
हमने पूछा कि क्या असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर आई भर्तियों की तादाद नहीं बढ़ाई जा सकती है? इस पर अधिकारी ने हमें लोकोपायलट के पदों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया समझाई. उन्होंने सबसे पहले हमें असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर प्रमोशन का तरीका बताया. उन्होंने कहा,
“ALP के पद पर भर्ती के बाद असिस्टेंट ड्राइवर बनने वाले व्यक्ति को 6 महीने की ट्रेनिंग करनी होती है. सेवा शुरू करने के 3 साल बाद उसका सीनियर असिस्टेंट ड्राइवर के पद पर प्रमोशन होता है. उसके बाद ड्राइवर बनने के लिए 5 साल की सेवा देने और 60 हजार किलोमीटर ट्रेन चलाने के बाद एक एग्जाम होता है जिसे पास करने के बाद व्यक्ति सीनियर गुड्स ड्राइवर बनता है, उसके बाद पैसेंजर गाड़ी, फिर मेल या एक्सप्रेस गाड़ी और सबसे आखिर में राजधानी जैसी गाड़ी का ड्राइवर बनता है.”
ALP में कुल पद कितने?
अधिकारी ने हमें बताया,
“असिस्टेंट लोको पायलट का पूरा कैडर ही 57 हजार का है. ड्राइवर की पोस्ट पर कुल 15 हजार पद ही हैं. ऐसे में जितने पद खाली होंगे. उसी हिसाब से नियुक्ति संभव है.”
ALP के पदों पर भर्ती बढ़ाने में आने वाली एक तकनीकी दिक्कत का दावा करते हुए उन्होंने कहा,
“रेलवे में ट्रेन के परिचालन से जुड़े कर्मियों को रनिंग स्टाफ कहा जाता है. इससे पहले साल 2018 में ALP की 15 हजार के आसपास वैकेंसी निकाली गई थीं. टेकनीशियन की वैकेंसी भी इसी में शामिल थीं. ALP के लिए डिप्लोमा और ITI की जरूरत होती है. जबकि टेकनीशियन के लिए सिर्फ ITI की जरूरत होती थी. साल 2018 के पहले ALP और टेकनीशियन की भर्ती अलग-अलग होती थी. फिजिकल एग्जाम होता था. लेकिन CBT आने के चलते दोनों को एक साथ मर्ज किया गया. लेकिन इसकी भी अपनी दिक्कतें थीं. डिप्लोमा रखने वाला अभ्यर्थी मार्क्स कम आने के बाद भी रैंक में ऊपर चला जाता था. इसलिए इस बार से ALP और टेकनीशियन की भर्ती अलग-अलग करने पर सहमति बनी. उन्होंने ये भी बताया कि एक नया नोटिफिकेशन जारी करके ये भी कहा गया है कि टेकनीशियन के पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जाएगी.”
आयु सीमा बढ़ाने की मांग पर अधिकारी ने बताया कि कोविड के चलते अधिकतम उम्र सीमा को 3 साल बढ़ाने की मांग की गई थी. इसे हमने बढ़ा दिया है.
छात्रों का विरोध प्रदर्शन कब तक?
अधिकारी ने हमें ये भी बताया कि विरोध प्रदर्शन को एक उग्र आंदोलन में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है. ये हमारा दावा नहीं है. सोशल मीडिया पर वॉट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट वायरल हो रहे हैं, जिसमें छोटे स्टेशन पर प्रदर्शन तेज करने की बात हो रही है. क्योंकि वहां प्रशासन की सख्ती नहीं होगी. हालांकि इन दावों की हम स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करते हैं.