वॉटर बर्थ मां और बच्चे दोनों के लिए है सुरक्षित, स्टडी का दावा
महिला के जीवन में कई तरह के बदलाव आते हैं लेकिन मां बनने का अहसास उसके लिए बहुत खूबसूरत होता है. इस समय उन्हें भले ही कई तकलीफ से गुजरना पड़े लेकिन अपने बच्चे को देखते ही मां के सारी दुख दूर हो जाते हैं. आज के समय में बच्चे की डिलीवरी के लिए बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं.
कई बार परिस्थिति ऐसी हो जाती है कि ऑपरेशन का ऑप्शन चुनना पड़ता है. लेकिन आपने नॉर्मल और सिजेरियन सेक्शन के अलावा वॉटर बर्थ डिलीवरी का नाम भी सुना होगा. सोशल मीडिया पर इसकी वीडियों भी देखी जा सकती हैं.
क्या होती है वॉर्ट बर्थ ?
ये प्रक्रिया भी नॉर्मल डिलीवरी की तरह ही होती है. इसमें प्रसव पीड़ा के दौरान गुनगुने पानी वाले टब में बैठाकर डिलीवरी करवायी जाती है. बच्चे को जन्म देने वाली इस प्रक्रिया को वॉटर बर्थ कहा जाता है.
लेकिन लोगों के मन में इस प्रक्रिया को लेकर बहुत से सवाल हैं जैसे कि क्या वॉटर बर्थ मां और बच्चे के लिए सही है या नहीं? इससे किसी तरह की कॉम्प्लिकेशन का सामना तो नहीं करना पड़ता है, शायद इसलिए आज वॉटर बर्थ डिलीवरी प्रक्रिया बहुत कम लोगों को पता है. लेकिन हाल ही में इसे लेकर एक रिसर्च ने दावा किया है कि ये वॉटर बर्थ डिलीवरी मां और बच्चे दोनों के लिए सुरक्षित है.
नए शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि बच्चे को पानी में जन्म देना उतना ही सुरक्षित है जितना कि सामान्य तरीके से जन्म देना होता है. इस रिसर्च को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है.
अन्काम्प्लकैटिड डिलवरी की स्थित में पानी में जन्म देना उतना ही सुरक्षित है जितना कि उससे पहले पानी छोडना में है. ये अध्ययन,” बीजेओजी: एन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में प्रकाशित हुआ था.
शोधकर्ताओं ने अन्काम्प्लकैटिड डिलवरी की स्थिति वाली 87,000 से ज्यादा महिलाओं के अनुभवों को देखा, जिन्होंने आराम और दर्स से राहत के लिए प्रसव के दौरान वॉटर बर्थ प्रक्रिया को अपनाया था. अध्ययन ये पता लगाने के लिए किया गया था कि क्या जन्म देने के लिए पानी में रहना माताओं और उनके बच्चों के लिए उतना ही सुरक्षित है जितना कि जन्म से पहले पानी से बाहर आ जाने पर होता है.
पानी में खतरा नहीं
टीम ने प्रसव के दौरान महिलाओं को होने वाले गंभीर दर्द दी हर का पता लगाया, साथ ही उन शिशुओं की संख्या का भी पता लगाया जिन्हें जन्म के बाद एंटीबायोटिक दवाओं या सांस लेने में मदद की आवश्यकता थी. शोधकर्ताओं के अनुसार, “पानी से बाहर जन्मे बच्चों की तुलना में पानी में जन्मे बच्चों में खतरा ज्यादा नहीं था.
टीम का नेतृत्व कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल मिडवाइफरी की प्रोफेसर जूलिया सैंडर्स ने किया, जिन्होंने कहा ब्रिटेन में प्रति वर्ष लगभग 60,000 महिलाएं प्रसव के दौरान दर्द से राहत पाने के लिए बर्थ पूल या स्नान का उपयोग करती हैं, लेकिन कुछ दाइयों और डॉक्टरों को बर्थ पूल के प्रक्रिया को लेकर चिंता थी, कि इससे ज्यादा जोखिम हो सकता है.
ऐसी रिपोर्ट सामने आई है कि पानी में जन्म के बाद बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं या मर भी सकते हैं साथ ही मां को गंभीर दर्द या ज्यादा ब्लड बह सकता है. हम ये स्थापित करना चाहते हैं कि क्य एनएचएस दाइयों के साथ पानी में जन्म देना, उन मलिहाओं को जिनमें जटिलताएं कम दिखाई दे रही हों और उनके बच्चों के लिए पानी से बाह जन्म देने वाले बच्चों जितना ही सुरक्षित है.
कार्डिफ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ हेल्थ केयर साइंसेज और सेंटर फॉर ट्रायल्स रिसर्च के नेतृत्व में पूल अध्ययन ने इंग्लैंड और वेल्स के 26 एनएचएस संगठनों में 87,040 महिलाओं के एनएचएस रिकॉर्ड का अध्ययन किया, जिन्होंने 2015 और 2022 के बीच श्रम में पूल का उपयोग किया था. शोधकर्ताओं ने महिलाएं द्वारा अनुभव किए गए गंभीर दर्द के दर, शिशुओं की एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत की दर या नवजात इकाई पर सांस लेने में मदद की दर, साथ ही मरने वाले शिशुओं की दर को देखा.
विश्लेषण में पाया गया है कि पहली बार मां बनने वाली 20 में से एक कों दर्द ज्यादा हुआ, जबकि दूसरे, तीसरे या चौथे बच्चे को जन्म देने वाली 100 में से एक मां को ही गंभीर दर्द हुआ. हर 100 नवजात में से तीन को एंटीबायोटिक्स या सांस लेने में मदद की आवश्यकता होती है, जबकि मौतकी स्थिति दुर्लभ थी, पानी से बाहर जन्म देने वालों में छह की तुलना में वाटर बर्थ ग्रुप में सात दर्ज किया गया था. सिजेरियन सेक्शन की दर भी पहली बार मां बनने वाली मां के लिए 6 प्रतिशत से कम और दूसरे, तीसरे या फिर चौथे बच्चे को जन्म देने वाली मां के लिए 1 प्रतिशत से कम थी.
लंदन में चेल्सी और वेस्टमिंस्टर एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के सलाहकार नियोनेटोलॉजिस्ट प्रोफेसर क्रिस गेल ने कहा: “कई बाल रोग विशेषज्ञों और नियोनेटोलॉजिस्टों को चिंता है कि पानी में जन्म देने से शिशुओं के लिए ज्यादा जोखिम हो सकता है, लेकिन अध्ययन में इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था में जटिलता नहीं होती है, उनके लिए यह जोखिम भरा हो सकता है. ये बात नहीं है.”