शेख हसीना को 2 सूटकेस के साथ छोड़ना पड़ा बांग्लादेश, सेना ने नहीं दी कोई मोहलत
बांग्लादेश में हिंसा के मद्देनजर शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद जल्दबाजी में बांग्लादेश छोड़ा था. उन्होंने अस्थायी तौर पर भारत में शरण ले रखी है. बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार उन्हें बांग्लादेश छोड़ने के लिए करीब 45 मिनट का समय दिया गया था. इस 45 मिनट में ही शेख हसीना को सेना के हेलीकॉप्टर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था. वह अपने साथ केवल दो सूटकेस ही ले जा पाई थी.जैसे ही हसीना ने बांग्लादेश छोड़ा, प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के सरकारी आवास गणभवन पर कब्जा कर लिया. गणभवन पर कब्जे और वहां से हर समान उठा ले जाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं. उन्होंने गणभवन से वह सब कुछ ले लिया, जो वो ले सकते थे.
शेख हसीना ने जिस दिन देश छोड़ा था. उसकी पिछली रात उन्होंने सेना प्रमुख और उनके जनरलों के साथ बैठक की थी. फैसला किया कि सेना कर्फ्यू लागू करने के लिए नागरिकों पर गोली नहीं चलाएगी. सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान अगली सुबह शेख हसीना के आधिकारिक आवास गणभवन गए.
उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि उनकी सेना देश भर में लगाए गए कर्फ्यू को लागू करने में असमर्थ है. भारतीय अधिकारी ने कहा ने कहा कि संदेश साफ था, शेख हसीना को अब सेना का समर्थन नहीं है और उन्होंने सेना का समर्थन खो दिया है, क्योंकि विरोध प्रदर्शन में लगातार लोगों की जान जा रही थी. 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी थी.
सेना ने हसीना का छोड़ा था साथ
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जनरल एम सखावत हुसैन ने कहा कि सैनिकों में बहुत बेचैनी थी. शायद इसी वजह से सेना प्रमुख पर दबाव पड़ा, क्योंकि सैनिक बाहर हैं. वे देख रहे हैं कि क्या हो रहा है? उसके बाद सेना ने शेख हसीना से अपने को अलग कर लिया. जल्दबाजी में शेख हसीना वहां से बहुत कुछ नहीं ले जा पाई थीं. सूत्रों के अनुसार शेख हसीना केवल दो सूटकेस के साथ बांग्लादेश से रवाना हुईं. वह अपने साथ कुछ और नहीं ला सकीं. सूटकेस में कुछ कपड़े और जरूरी दस्तावेज थे.
बांग्लादेश में इस साल होने वाले चुनाव से पहले शेख हसीना ने वहां के चुनाव आयोग को अपनी संपत्ति का हिसाब दिया था. चुनाव आयोग को दिए गए आंकड़े के मुताबिक, शेख हसीना के पास 4 करोड़ 36 लाख टका (बांग्लादेशी मुद्रा) की संपत्ति है. भारतीय मुद्रा में ये 3 करोड़ 14 लाख रुपये हैं.
शेख हसीना बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में शरण ले रखी है, हालांकि उन्होंने ब्रिटेन से शरण देने की अपील की थी, लेकिन वहां से इस बाबत अनुमति नहीं मिली है. इस कारण उनके रहने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इस बीच, उनके बेटे साजिब वाजेद जॉय का बयान सामने आया है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि वह वाशिंगटन में रह सकती हैं. इस बाबत फिलहाल बातचीत चल रही है.
चुनाव जीतकर हसीना ने बनाई थी सरकार
हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के अगले दिन वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद को भंग कर दिया. इस साल की शुरुआत में बांग्लादेश में आम चुनाव हुआ था. हसीना की पार्टी आवामी लीग लगातार चौथी बार जीती थी. अवामी लीग और उसकी सहयोगी पार्टियों ने मिलकर बांग्लादेश की संसद की 300 सीटों में से 225 सीटें जीती थी.
इसके बाद हसीना की चौथी सरकार एक साल भी नहीं चल पाई. कोटा सुधार आंदोलन और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन – दो चरणों के आंदोलन में चार सौ से अधिक लोग मारे गए. हालात यहां तक पहुंच गए कि हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.
अब सेना ने वहां अंतरिम सरकार गठन करने का ऐलान किया है. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनुस सरकार की कमान संभालेंगे. बीएनपी प्रमुख खालिदा जिला को भी मुक्त कर दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि शेख हसीना की संपत्ति सीज कर दिए जाने और उनके बैंक खाते को सीज कर दिया जा सकता है.