श्रीपेरूम्बुदूर सीट से जीतने वाले DMK के टीआर बालू कौन हैं? जानिए अपने सांसद को
देश की 543 और तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीट में से एक है श्रीपेरूम्बुदूर लोकसभा क्षेत्र. इस लोकसभा सीट से डीएमके पार्टी के प्रत्याशी टीआर बालू ने 4 लाख 87 हजार 29 मतों से प्रचंड जीत हासिल कर ली है. AIADMK के जी प्रेमकुमार दूसरे नंबर पर हैं. इस सीट पर प्रेमकुमार को टीआर बालू के मुकाबले मात्र 2,71,582 वोट ही मिले. ये सीट तमिलनाडु की सबसे बड़ी संसदीय क्षेत्रों में से एक है. पहले चरण में हुए चुनाव में यहां 60.21 प्रतिशत मतदाताओं ने यहां वोट डाले थे. आइये जानते हैं कौन हैं टी.आर. बालू जिन्हें जनता ने अपनी लोकसभा की बात रखने संसद भेजा है.
थलिक्कोट्टई राजुथेवर बालू, जिन्हें टी.आर. बालू के नाम से जाना जाता है, इन्हें डीएमके का मजबूत और भरोसेमंद सिपाही भी मन जाता है. ये 1957 से पार्टी का हिस्सा हैं. 2020 तक ये पार्टी के मुख्य सचिव भी थें, वर्तमान में इन्हें कोषाध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया है. 82 साल की उम्र में 7वीं बार लोकसभा सांसद रहें टीआर बालू के पास चुनाव आयोग में जमा किए गए हलफनामे के हिसाब से 45 करोड़ से अधिक संपत्ति है. इनके पास 8 करोड़ से ज्यादा की देनदारी है. इनकी पत्नी हाउस वाइफ है. इन्होंने साल 1989 में मद्रास यूनिवर्सिटी से बी.एस.सी से ग्रेजुएशन किया है.
कैसा रहा राजनीतिक सफर
इनका राजनीतिक इतिहास काफी मजबूत है. 1986 में ये राज्यसभा के सदस्य बनें. डीएमके के भरोसेमंद रहने का इन्हें इनाम मिला और 1991 में भरोसा जताते हुए पार्टी ने चेन्नई साउथ लोकसभा सीट से टिकट दे दिया. लेकिन इन्हें हर का सामना करना पड़ा. 5 साल बाद 1996 में भी पार्टी ने टीआर बालू पर भरोसा बनाए रखा और दोबारा चेन्नई साउथ से ही चुनावी मैदान में उतारा. इस बार बालू ने पार्टी को निराश नही किया और बड़ी जीत हासिल की.
देवगौड़ा सरकार में बने मंत्री
1996 में देवगौड़ा सरकार में ये पहली बार मंत्री बने. इन्हें पेट्रोलियम मंत्रालय का कार्यभार मिला. इसके बाद 1998, 1999 और 2004 में लगातार इस सीट से सांसद रहे. इन्हें तीन बार मंत्रालय की जिम्मेदारी भी मिली. 1999 में अटल बिहारी की सरकार में भी इन्हें पर्यावरण मंत्रायल की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद 2004 की मनमोहन सरकार में इन्हें परिवाहन मंत्रालय दिया गया.
2024 में हासिल की 7वीं जीत
4 जीत के बाद भी इनका विजय रथ नहीं रुका बस चुनावी क्षेत्र बदल गया और 2009 में इन्होंने श्रीपेरंबुदूर लोकसभा क्षेत्र से ताल ठोकी और जीत हासिल की. इस जीत के बाद 2014 में फिर इन्होंने लोकसभा सीट बदली लेकिन इस बार इनको हार का सामना करना पड़ा. हार से सबक लेते हुए 2019 में ये फिर श्रीपेरंबुदूर सीट से चुनाव लड़ें और दोबारा विजय रथ पर सवार हो गए. 2024 में इन्होंने 7वीं जीत हासिल की है.
श्रीपेरंबदूर लोकसभा का राजनीतिक इतिहास
श्रीपेरंबदूर तमिलनाडु में एक ऐसा संसदीय क्षेत्र है जो कि देश के राजनीतिक इतिहास में कई वजहों से सुर्खियों में रहा है. यहीं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की गई थी. 21 मई 1991 को उनकी हत्या हुई थी. श्रीपेरंबुदूर शहर चेन्नई से 40 किलोमीटर की दूर है. यह जगह प्रमुख वैष्णव संत का जन्मस्थान है. इस लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. ताजा आंकड़ों के लिहाज से इस लोकसभा सीट पर करीब 24 लाख मतदाता हैं, जोकि अन्य सीटों के मुकाबले अधिक हैं.