सड़क हादसों में भारत की हालत की खराब क्यों? जानिए किन राज्यों में होतें हैं सबसे ज्यादा हादसे

आपको क्या पता है हर साल देश में 1 लाख से भी ज्यादा लोग, अपनी जान किसी एक ही कारण से खो रहे हैं? आप अंदाज़ा लगाएंगे कि वो कोई बड़ी बीमारी होगी.. मगर नहीं.. इतने लोगों की जान सिर्फ अकले सड़क हादसों में जाती है.
सड़कें लोगों को आपस में जोड़ने का काम करती हैं. एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का आसान रास्ता है. लेकिन सड़कों पर तेज रफ्तार से चलती गाड़िया और मंजिल तक पहुंचने की जल्दबाजी, अक्सर ये सफर एक ऐसे मोड़ पर खत्म होता है जहां जिंदगी और मौत का फासला बेहद कम होता है. पिछले एक दशक में 50 लाख से ज्यादा लोग सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल हुए या फिर अपंग हो गए. इसी दौरान 13 लाख 81 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई.
हाल ही में दिल्ली सरकार की तरफ से रोड हादसों को लेकर एक रिपोर्ट आई. जिसके मुताबिक सबसे ज्यादा हादसे ऑफ ऑवर यानी रात के नौ बजे से लेकर सुबह के दो बजे तक होते हैं. ये तो दिल्ली की बात हुई लेकिन पूरी भारत की बात करें तो इंडिया स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी 2024 की रिपोर्ट के इस आंकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसी स्थिति है.
रिपोर्ट के मुताबिक 1990 में किसी भारतीय की सड़क दुर्घटना में मरने की संभावना 40% थी. पर 2021 तक, यह आंकड़ा 600% तक बढ़ गया था. जो दिखाता है कि सड़क पर होने वाली मौतों में तेजी से बढोतरी हो रही है.
किस राज्य में होते हैं सबसे ज्यादा सड़क हादसे?
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज के मुताबिक 2022 में 4,61,312 रोड हादसे हुए जिसमें 4,43,366 लोग घायल हुए. 1,68, 491 लोगों की मौत हुई. यानी भारत में हर दिन 1263 रोड हादसे और 461 मौतें. और हर घंटे 19 मौतें और 53 रोड हादसे.
जिन राज्यों में सबसे ज्यादा रोड हादसे होते हैं उसमें सबसे पहला नंबर आता है तमिलनाडु का. जहां 13.9 फीसदी हादसे दर्ज हुए. उसके बाद मध्य प्रदेश(11.8%), केरल(9.5), उत्तर प्रदेश(9%), कर्नाटक(8.6%), महाराष्ट्र(7.2%), राजस्थान(5.1), तेलंगाना(4.7), आंध्र प्रदेश(4.6), गुजरात(3.4) है.
अब सवाल है कि भारत के किन राज्यों में रोड हादसे सबसे जानलेवा होते हैं. तो भारत सरकार के आंकड़ो की मानें तो, टॉप 10 देशों में सबसे पहला नंबर उत्तर प्रदेश का आता है. यहां 13.4 फीसदी मौते हुईं. उसके बाद तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना है.
तेज गाड़ी चलाना सबसे घातक
तकरीबन हर दिन हमें टीवी अखबारों में देखने पढ़ने को जरूर मिलती है कि आज सड़क दुर्घटना में इतने लोगों की जान चली गई. इतने घायल हो गए. फिर वजह पता चलती है कि किसी की मौत का कारण तेज गति से वाहन चलाना बना तो मोबाइल पर बात करना, तो कभी किसी ने सीट बेल्ट, हेलमेट नहीं पहनने की वजह से अपनी जान गंवाईं.
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में सबसे ज्यादा हादसे तकरीबन 72 फीसदी तेज गाड़ी चलाने की वजह से हुए. और सबसे ज्यादा मौतों का कारण भी बनी. गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन चलाने से 1.6 फीसदी हादसे हुए. 4.8 फीसदी सड़का हादसे रोड के गलत साइड गाड़ी चलाने की वजह से हुए. शराब पीकर वाहन चलाने वाले हादसों का प्रतिशत ढाई फीसदी रहा.
रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि पैदल चलने वाले, साइकिल चालक और दोपहिया गाड़ी सड़क दुर्घटनाओं के सबसे आम शिकार हैं. जबकि ट्रक इन वाहनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार है. जहां सबसे ज्यादा हादसे होते हैं उसमें सबसे पहला नंबर नेशनल हाइवेज का आता है. उसके बाद स्टेट हाइवेज. बाकी के एक्सिडेंट्स बाजारों, उबड़ खाबड़ वाली सड़कों पर होती हैं.
किस उम्र के लोगों की सबसे ज्यादा मौतें हुईं?
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2021 और 2022 में सबसे ज्याद सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की उम्र 25-35 साल को लोगों की रही. करीब 25 फीसदी लोगों इसी उम्र के सड़क हादसों में अपनी जान से हाथ धो बैठे. उसके बाद करीब 21 फीसदी 18-25 साल के उम्र के लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई. 5 फीसदी 18 साल से कम उम्र के बच्चों भी इसमें शामिल हैं.
इंडिया स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी 2024 के मुताबिक 2021 में रोड हादसे में लगी चोट भारत में मौत का 13वां प्रमुख कारण थी. स्वास्थ्य के नुकसान पहुंचने की 12वीं सबसे बड़ी वजह रोड हादसे ही थे. छह राज्यों में तो ये 10वां सबसे बड़ा कारण रहा. ये छह राज्य हैं- हरियाणा, जम्मू कश्मीर और लद्दाख, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश.

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