सुप्रीम कोर्ट ने सहारा पर दिखाई सख्ती, जल्द बताएं कैसे चुकाएंगे पैसा

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सहारा समूह द्वारा न्यायालय के निर्देशानुसार राशि जमा नहीं करने पर नाराजगी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह से शीर्ष अधिकारियों और बिक्री के लिए संपत्तियों की सूची मांगी है. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत को निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए कुछ व्यावहारिक समाधान खोजना होगा क्योंकि यह मुद्दा एक दशक से अधिक समय से लंबित है.
‘कंपनी शेयरधारकों और संपत्तियों का ब्योरा दे’
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सहारा समूह से कहा कि वह अपने शीर्ष अधिकारियों और मौजूदा शेयरधारकों के बारे में जानकारी देने के अलावा उन संपत्तियों की सूची भी उपलब्ध कराए जिन्हें बेचकर 10 हजार करोड़ रुपए प्राप्त किए जा सकते हैं.
आज सहारा समूह ने कहा है कि वह लगभग 10 हजार करोड़ रुपये जमा करने के लिए कुछ योजना प्रस्तुत करेगा. कंपनी ने अब तक केवल 15 हजार करोड़ रुपये जमा किए हैं. यह मामला आगे नहीं बढ़ सकता. हमें प्रगति करने के लिए कुछ व्यावहारिक समाधान खोजना होगा. इस मामले मे अदालत ने 25 हजार करोड़ रुपए जमा करने का निर्देश दिया है.
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
दरअसल निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए यह राशि सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा की जानी है. 31 अगस्त, 2012 को दिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के मुताबिक सहारा समूह की कंपनियाँ – सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) – व्यक्तिगत निवेशकों या निवेशकों के समूह से एकत्र की गई राशि को तीन महीने के भीतर पुर्नभुगतान की तारीख तक सेबी को 15 प्रतिशत प्रति वर्ष के ब्याज के साथ वापस कर देंगी.

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